पोखरी शरदोत्सव 25 अक्टूबर से, मंत्री सुबोध उनियाल करेंगे उद्घाटन

–पोखरी से राजेश्वरी राणा-
पुष्कर पर्वतमाला की गोद में बसे नागनाथ–पोखरी क्षेत्र में 19वां हिमवंत कवि चंद्रकुंवर बर्त्वाल खादी ग्रामोद्योग एवं पर्यटन शरदोत्सव मेला 25 अक्टूबर (शनिवार) से प्रारंभ हो रहा है। मेले का उद्घाटन उत्तराखंड सरकार के कृषि मंत्री सुबोध उनियाल आज दोपहर 2 बजे करेंगे। नगर पंचायत पोखरी की ओर से मेला आयोजन की सभी तैयारियाँ पूर्ण कर ली गई हैं।
मेला अध्यक्ष सोहन लाल एवं मेले के जनक पूर्व कैबिनेट मंत्री राजेंद्र सिंह भंडारी ने बताया कि मेला अपने निर्धारित कार्यक्रम अनुसार ही आयोजित किया जा रहा है। यह मेला अब अपने 19वें वर्ष में प्रवेश कर चुका है।

सात दिनों तक चलने वाले इस शरदोत्सव में दिनभर विद्यालयी छात्र-छात्राओं और महिला मंगल दलों द्वारा सांस्कृतिक कार्यक्रम, विभिन्न खेलकूद प्रतियोगिताएँ एवं स्थानीय उत्पादों की प्रदर्शनी आयोजित की जाएंगी। रात्रि समय में क्षेत्रीय एवं बाहरी कलाकारों द्वारा लोकनृत्य और संगीत प्रस्तुतियाँ दी जाएंगी, जो स्थानीय संस्कृति और परंपराओं को जीवंत रूप से प्रस्तुत करेंगी। मेले का उद्देश्य खादी, ग्रामोद्योग और पर्यटन को बढ़ावा देना है।
इस मेले की शुरुआत वर्ष 2006 में तत्कालीन जिला पंचायत अध्यक्ष एवं पूर्व कैबिनेट मंत्री राजेंद्र सिंह भंडारी द्वारा खादी, पर्यटन एवं औद्योगिक किसान विकास मेला के रूप में की गई थी। वर्ष 2018 से नगर पंचायत पोखरी द्वारा इस मेले का संचालन किया जा रहा है और तब से इसका नाम हिमवंत कवि चंद्रकुंवर बर्त्वाल खादी ग्रामोद्योग एवं पर्यटन शरदोत्सव मेला कर दिया गया।
नागनाथ–पोखरी क्षेत्र का अपना विशिष्ट ऐतिहासिक, धार्मिक और सांस्कृतिक महत्व रहा है। इस क्षेत्र ने समय के साथ शिक्षा और विकास में उल्लेखनीय उपलब्धियाँ अर्जित की हैं। कभी ब्रिटिश काल में शैक्षणिक रूप से पिछड़ा माना जाने वाला यह क्षेत्र आज राजकीय स्नातकोत्तर महाविद्यालय, पॉलिटेक्निक, आईटीआई एवं बालिका इंटर कॉलेज जैसी शैक्षणिक संस्थाओं के माध्यम से शिक्षा व तकनीकी विकास में अग्रणी स्थान रखता है।
मेला न केवल स्थानीय सांस्कृतिक विरासत को संरक्षित करता है, बल्कि स्थानीय उत्पादों, हस्तशिल्प, खादी और पर्यटन को प्रोत्साहन देने का भी महत्वपूर्ण माध्यम बन चुका है। यह परंपरागत मेलों की जीवंत पहचान को आगे बढ़ाते हुए समाज में एकता, कौशल विकास, रोजगार और सांस्कृतिक चेतना को नई दिशा प्रदान करता है।
