धर्म/संस्कृति/ चारधाम यात्राब्लॉग

अष्ठधातु के रामलला सरकारी संग्रहालय में कैद ; मुक्ति के लिए सरकार से गुहार करते रह गये रामभक्त

-गौचर से दिग्पाल गुसांईं-
जनपद चमोली के पालिका क्षेत्र गौचर के पौराणिक रघुनाथ मंदिर की अष्टधातु से बनी मूर्तियां भले ही सरकारी संग्रहालय में धूल फांक रही हों बावजूद इसके इस मंदिर में श्रद्धालुओं की श्रद्धा हिलोरें मार रही है। गौचरवासी बहुमूल्य अष्ठधातु के रामलला की मुक्ति के लिए आंदोलन की तैयारी कर रहे हैं ।

22 जनवरी को अयोध्या के राम मंदिर में भगवान राम की प्राण-प्रतिष्ठा का कार्यक्रम आयोजित किया जाना है। इसके लिए शासन प्रशासन ने मंदिरों में साफ सफाई के अलावा पूजा पाठ करने का आदेश दिया है। नगरपालिका ने इसके लिए पालिका क्षेत्र के तलधारी में अलकनंदा नदी के तट पर स्थित पौराणिक रघुनाथ मंदिर को ही चुना है।रविवार से दो दिवसीय अखंड रामायण पाठ का आयोजन शुरू किया गया है सोमवार को क्षेत्र की महिलाओं द्वारा भव्य कलश यात्रा का आयोजन किया जाएगा।

पालिका क्षेत्र के तलधारी नामक स्थान पर अलकनंदा नदी के तट लगभग 100 नाली जमीन पर बसा यह पौराणिक रघुनाथ मंदिर जहां क्षेत्र वासियों के साथ ही देश विदेश से आने वाले तीर्थ यात्रियों के लिए आस्था का केंद्र था वहीं यातायात विहीन समय में बद्रीनाथ यात्रियों का पढाव भी हुआ करता था। इस मंदिर में भगवान राम, हनुमान के अलावा अन्य देवी देवताओं की अष्टधातु से बनी मूर्तियों के अलावा रहने के लिए लकड़ी पत्थरों से बनी धर्मशालाएं भी थी।

यातायात विहीन के दौर में यह मंदिर सुबह से शाम तक भजनों व घंटा घंणयालों के आवाजों से गुंजायमान रहता था। सन् 60 के दशक में जैसे जैसे बद्रीनाथ धाम के लिए मोटर मार्ग की सुविधा होती गई तो इस मंदिर में यात्रियों का आवागमन भी कम होता गया। तब इस मंदिर के पुजारी राघवानन्द जी महाराज हुआ करते थे।

क्षेत्रीय लोगों के लिए यह मंदिर आस्था का केंद्र भी हुआ करता था। बीरान क्षेत्र में बने इस मंदिर में 1972 के मैदानी भाग से आए चोरों ने रात के अंधेरे में मंदिर के पुजारी को बंधक बनाकर अष्टधातु की मूर्ति चुराने का प्रयास किया। मूर्तियों का वजन भारी होने की वजह से चोरों को सड़क मार्ग तक पहुंचने में काफी समय लग गया।

इस बात का पता तब चला जब अल सुबह लोग मंदिर में पहुंचे तो मंदिर के पुजारी के मौजूद न होने पर लोग भौंचक्के रह गए ढूंड खोज करने पर पता चला कि चोरों ने एक कमरे में पुजारी को बंधक बनाकर रखा हुआ है। पुजारी ने जब आप बीती सुनाई तो भागे भागे लोग पुलिस चौकी पहुंचे और चोर मूर्तियों के साथ रंगेहाथ पकड़े गए।

तबसे इस मंदिर की चुराई गई मूर्तियां जिले के मालखाने के बाद गोविंद बल्लभ पंत राजकीय संग्रहालय अल्मोड़ा भेज दी गई। इस आशय की जानकारी अल्मोड़ा के जिलाधिकारी ने 18 अप्रैल 2022 को अनु सचिव उत्तराखंड शासन को भेजे पत्र में खुलासा किया है।

वर्तमान में मंदिर के पुजारी बाबा राम दास ने 6 दिसंबर 2021 को प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी को भेजे पत्र में मंदिर की अष्टधातु से बनी मूर्तियों को पुनः मंदिर को सौंपने का आग्रह किया था। इससे पूर्व निवर्तमान पालिकाध्यक्ष अंजू बिष्ट ने भी 22 सितंबर 2020 को पर्यटन मंत्री सतपाल महाराज को पत्र भेजकर गोविंद बल्लभ पंत राजकीय संग्रहालय से गौचर के रघुनाथ मंदिर में पहुंचाने का आग्रह किया था। लेकिन शासन प्रशासन आजतक इन मूर्तियों को उपलब्ध नहीं करा पाया है।

हालांकि इस मंदिर को पुनः सजाने संवारने के लिए नगर पंचायत गौचर ने कुछ हद तक भवनों के साथ ही संपर्क मोटर मार्ग पर कुछ धन व्यय तो किया है। लेकिन आज तक इस पौराणिक रघुनाथ मंदिर का अपेक्षित विकास नहीं हो पाया है। बावजूद इसके यह मंदिर आज भी स्थानीय लोगों के आस्था का केंद्र बना हुआ है।

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

error: Content is protected !!