राष्ट्रपति मुर्मू ने देहरादून में किया 11वें अंतरराष्ट्रीय योग दिवस का शुभारंभ
- योग भारत की सॉफ्ट पावर का प्रतीक : राष्ट्रपति
- “इलाज से बेहतर है रोकथाम” – राष्ट्रपति का संदेश
देहरादून, 21 जून। राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू ने शुक्रवार को देहरादून में 11वें अंतरराष्ट्रीय योग दिवस का उद्घाटन करते हुए योग को भारत की प्राचीन चेतना, सांस्कृतिक विरासत और सॉफ्ट पावर का सशक्त उदाहरण बताया। उन्होंने कहा कि “इलाज से बेहतर रोकथाम” की भावना को योग पूरी तरह से साकार करता है और यह व्यक्ति, समाज और राष्ट्र को जोड़ने का माध्यम बन चुका है।
राष्ट्रपति ने कहा कि जब व्यक्ति स्वस्थ होता है, तो परिवार स्वस्थ रहता है और जब परिवार स्वस्थ होता है तो राष्ट्र स्वस्थ होता है। उन्होंने सभी नागरिकों और संस्थाओं से आह्वान किया कि योग को जीवन का हिस्सा बनाएं और इसे जनसुलभ बनाने के प्रयास करें। राष्ट्रपति ने कहा कि ‘योग’का अर्थ है ‘जोड़ना’। योग का अभ्यास व्यक्ति के शरीर, मन एवं आत्मा को जोड़ता है और उसे स्वस्थ बनाता है। योग एक व्यक्ति को दूसरे व्यक्ति से, एक समुदाय को दूसरे समुदाय से और एक देश को दूसरे देश से भी जोड़ सकता है।
राष्ट्रपति ने कहा कि यह एक आम धारणा है कि इलाज से बेहतर रोकथाम की नीति अधिक कारगर होती है। रोकथाम के लिए योग को बहुत उपयोगी माना जाता है। उन्होंने सभी से योग को जीवन का अभिन्न अंग बनाने और दूसरों को भी योगाभ्यासके लिए प्रेरित करने का आग्रह किया।
इस अवसर पर राज्यपाल लेफ्टिनेंट जनरल (सेनि.) गुरमीत सिंह ने भी योग को भारत की प्राचीनतम सांस्कृतिक परंपरा का हिस्सा बताया। उन्होंने कहा कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के प्रयासों से योग आज वैश्विक आंदोलन बन गया है। राज्यपाल ने कहा कि यह केवल शारीरिक व्यायाम नहीं, बल्कि आत्मानुशासन और मानसिक शांति का मार्ग है।
राज्यपाल ने कहा कि इस वर्ष योग दिवस की थीम “एक पृथ्वी, एक स्वास्थ्य के लिए योग” भारत की सनातन सोच ‘वसुधैव कुटुम्बकम्’ की वैश्विक अभिव्यक्ति है, जो हमें पर्यावरण, समाज और व्यक्तिगत स्वास्थ्य के गहरे संबंधों की याद दिलाती है।
उत्तराखंड की पहली योग नीति-2025 की घोषणा
इस अवसर पर कैबिनेट मंत्री सुबोध उनियाल ने बताया कि मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी की प्रेरणा से उत्तराखंड ने देश की पहली “योग नीति 2025” तैयार की है, जो राज्य को योग अनुसंधान और उद्यमिता का हब बनाएगी।
नीति की मुख्य बातें:
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योग और ध्यान केंद्रों की स्थापना पर अधिकतम ₹20 लाख तक पूंजीगत अनुदान।
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अनुसंधान कार्यों हेतु ₹10 लाख तक का शोध अनुदान।
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योग शिक्षकों के लिए प्रमाणन में योग सर्टिफिकेशन बोर्ड को प्राथमिकता।
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योग निदेशालय की स्थापना।
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मौजूदा संस्थानों में योग के लिए पारिश्रमिक प्रतिपूर्ति एवं अनुसंधान सुविधाएं।
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एक विशेष ऑनलाइन योग प्लेटफॉर्म का विकास।
नीति के लक्ष्य:
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वर्ष 2030 तक कम-से-कम 5 नए योग हब्स की स्थापना।
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मार्च 2026 तक सभी आयुष हेल्थ वेलनेस सेंटर्स में योग सेवाएं उपलब्ध कराना।
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आयु, लिंग और वर्ग आधारित माइंडफुलनेस कार्यक्रमों की शुरुआत।
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योग संस्थाओं का 100% पंजीकरण।
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मार्च 2028 तक 15–20 राष्ट्रीय और अंतरराष्ट्रीय संस्थाओं के साथ साझेदारी।
मंत्री उनियाल ने उम्मीद जताई कि यह नीति राज्य की आध्यात्मिक ऊर्जा और पारंपरिक ज्ञान को वैश्विक स्तर पर स्थापित करने में सहायक सिद्ध होगी।