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प्रोजेक्ट लायन: भारत की गर्जना को संरक्षित करने की महायात्रा

-जयसिंह रावत –

एशियाई शेर, जो कभी भारतीय उपमहाद्वीप और मध्य पूर्व के विशाल क्षेत्रों में विचरण करते थे, आज केवल गुजरात के गिर वन और इसके आसपास के क्षेत्रों तक सीमित हैं। 19वीं सदी में इनकी संख्या इतनी कम हो गई थी कि विलुप्ति का खतरा मंडराने लगा था। लेकिन, गुजरात सरकार, वन विभाग और स्थानीय समुदायों के संरक्षण प्रयासों ने शेरों की आबादी को पुनर्जनन की राह पर ला खड़ा किया। 2025 तक, गिर और इसके आसपास के क्षेत्रों में शेरों की संख्या बढ़कर लगभग 891 हो गई है। प्रोजेक्ट लायन इस सफलता को और मजबूत करने और शेरों के भविष्य को सुरक्षित करने की एक व्यापक योजना है।

प्रोजेक्ट लायन के उद्देश्य

प्रोजेक्ट लायन का लक्ष्य केवल शेरों की संख्या बढ़ाना नहीं, बल्कि उनके आवास, स्वास्थ्य और मानव-वन्यजीव सह-अस्तित्व को सुनिश्चित करना है। इसके प्रमुख उद्देश्य निम्नलिखित हैं:

  1. शेरों की आबादी का प्रबंधन: बढ़ती आबादी के लिए पर्याप्त और सुरक्षित आवास सुनिश्चित करना।

  2. आवास संरक्षण और विस्तार: गिर राष्ट्रीय उद्यान और आसपास के क्षेत्रों में जैव विविधता को बनाए रखना और नए आवासों का विकास करना।

  3. स्वास्थ्य और चिकित्सा प्रबंधन: संक्रामक रोगों, जैसे कैनाइन डिस्टेंपर वायरस (CDV), से शेरों की सुरक्षा के लिए उन्नत चिकित्सा सुविधाएँ स्थापित करना।

  4. मानव-वन्यजीव संघर्ष का समाधान: स्थानीय समुदायों के साथ सह-अस्तित्व को बढ़ावा देना और संघर्ष को कम करना।

  5. पुनर्वास और स्थानांतरण: शेरों की आबादी को एक क्षेत्र पर केंद्रित होने से बचाने के लिए अन्य उपयुक्त क्षेत्रों में उनके स्थानांतरण की योजना।

  6. वैज्ञानिक अनुसंधान: आधुनिक तकनीकों जैसे जीपीएस ट्रैकिंग और रेडियो कॉलर के उपयोग से शेरों की गतिविधियों की निगरानी और अध्ययन।

प्रोजेक्ट लायन की पृष्ठभूमि

एशियाई शेरों की कहानी एक प्रेरणादायक पुनर्जनन की कहानी है। 1960 के दशक में उनकी संख्या कुछ सौ तक सिमट गई थी, लेकिन संरक्षण प्रयासों ने इसे उल्लेखनीय रूप से बढ़ाया। गिर वन, जो 1,452 वर्ग किलोमीटर में फैला है, शेरों का प्राथमिक आवास है। लेकिन, बढ़ती आबादी ने कई चुनौतियाँ खड़ी की हैं, जैसे आवास की कमी, मानव-शेर संघर्ष, और रोगों का खतरा। 2018 में CDV के कारण कई शेरों की मृत्यु ने संरक्षण की आवश्यकता को और उजागर किया। प्रोजेक्ट लायन इन चुनौतियों का सामना करने के लिए एक समग्र दृष्टिकोण अपनाता है।

प्रोजेक्ट लायन की प्रमुख विशेषताएँ

1. आवास विस्तार

प्रोजेक्ट लायन के तहत गुजरात में 6 नए पुनर्वास स्थलों की पहचान की गई है, जैसे बरदा, जेस्सोर और अन्य क्षेत्र। ये नए क्षेत्र शेरों की बढ़ती आबादी को समायोजित करने और उनके भौगोलिक विस्तार को बढ़ाने के लिए विकसित किए जा रहे हैं।

2. उन्नत स्वास्थ्य सुविधाएँ

  • शेरों के लिए विशेष पशु चिकित्सा केंद्र स्थापित किए गए हैं, जो संक्रामक रोगों की निगरानी और उपचार में सक्षम हैं।

  • टीकाकरण अभियान और नियमित स्वास्थ्य जाँच सुनिश्चित की जा रही है।

  • 2018 की CDV घटना के बाद, वैक्सीनेशन और रोग निगरानी पर विशेष ध्यान दिया गया है।

3. मानव-वन्यजीव सह-अस्तित्व

  • स्थानीय मालधारी समुदाय, जो गिर में शेरों के साथ सह-अस्तित्व में रहता है, को संरक्षण में शामिल किया गया है।

  • शेरों द्वारा पशुधन को नुकसान पहुँचाने पर त्वरित मुआवजा प्रदान किया जाता है।

  • जागरूकता अभियान और प्रशिक्षण कार्यक्रम स्थानीय लोगों को शेरों के महत्व के बारे में शिक्षित करते हैं।

4. वैज्ञानिक अनुसंधान और निगरानी

  • रेडियो कॉलर और जीपीएस ट्रैकिंग के माध्यम से शेरों की गतिविधियों पर नजर रखी जाती है।

  • IUCN ग्रीन स्टेटस ऑफ़ स्पीशीज जैसे वैश्विक मानकों को अपनाया गया है।

  • आनुवंशिक विविधता को बनाए रखने के लिए अनुसंधान किए जा रहे हैं।

5. वित्तीय और प्रशासनिक समर्थन

  • केंद्र और गुजरात सरकार ने प्रोजेक्ट लायन के लिए 2500 करोड़ रुपये की परियोजनाएँ शुरू की हैं।

  • सासन गिर में संरक्षण और पर्यटन को बढ़ावा देने के लिए बुनियादी ढाँचा विकसित किया जा रहा है।

उपलब्धियाँ

  • आबादी में वृद्धि: 1960 के दशक में कुछ सौ शेरों से बढ़कर 2025 तक 891 शेरों की आबादी।

  • नए क्षेत्रों में विस्तार: शेर अब सौराष्ट्र के अन्य हिस्सों, जैसे अमरेली और भावनगर, में भी देखे जा रहे हैं।

  • सामुदायिक भागीदारी: मालधारी समुदाय और स्थानीय लोग संरक्षण में सक्रिय भूमिका निभा रहे हैं।

  • वैश्विक मान्यता: प्रोजेक्ट लायन को अंतरराष्ट्रीय स्तर पर सराहा गया है, और यह भारत की वन्यजीव संरक्षण नीतियों का प्रतीक बन गया है।

चुनौतियाँ

  1. शेरों की मृत्यु: 2022-2024 के बीच 286 शेरों की मृत्यु (प्राकृतिक कारण, दुर्घटनाएँ और बीमारियाँ) एक गंभीर चिंता है।

  2. मानव-शेर संघर्ष: शेरों का गाँवों और कृषि क्षेत्रों में प्रवेश करने से स्थानीय समुदायों के साथ तनाव बढ़ रहा है।

  3. आनुवंशिक विविधता: एक ही क्षेत्र में शेरों की आबादी के केंद्रित होने से आनुवंशिक विविधता पर खतरा है।

  4. स्थानांतरण विवाद: मध्य प्रदेश के कुनो राष्ट्रीय उद्यान में शेरों के स्थानांतरण को लेकर गुजरात और केंद्र सरकार के बीच मतभेद।

पुनर्वास और स्थानांतरण

प्रोजेक्ट लायन का एक महत्वपूर्ण हिस्सा एशियाई शेर पुनर्वास परियोजना है। इसका उद्देश्य शेरों को गुजरात के बाहर, जैसे मध्य प्रदेश के कुनो राष्ट्रीय उद्यान, में स्थानांतरित करना है। यह कदम शेरों की आबादी को किसी एक क्षेत्र पर निर्भरता से बचाने और प्राकृतिक आपदाओं या रोगों से उनकी सुरक्षा सुनिश्चित करने के लिए महत्वपूर्ण है। हालांकि, यह परियोजना कुछ तकनीकी और प्रशासनिक चुनौतियों का सामना कर रही है।

भविष्य की योजनाएँ

  • 2047 तक लक्ष्य: विशेषज्ञों का अनुमान है कि वर्तमान वृद्धि दर के साथ, 2047 तक शेरों की संख्या 2500 को पार कर सकती है।

  • पर्यटन को बढ़ावा: गिर को एक वैश्विक वन्यजीव पर्यटन स्थल के रूप में विकसित करने की योजना है, जिससे संरक्षण के लिए धन और जागरूकता बढ़ेगी।

  • वैश्विक सहयोग: IUCN और अन्य अंतरराष्ट्रीय संगठनों के साथ सहयोग बढ़ाकर वैश्विक सर्वोत्तम प्रथाओं को अपनाया जाएगा।

  • प्रौद्योगिकी का उपयोग: ड्रोन, सैटेलाइट इमेजरी और AI-आधारित निगरानी को और विस्तार दिया जाएगा।

प्रोजेक्ट लायन न केवल एशियाई शेरों के संरक्षण की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम है, बल्कि यह भारत की जैव विविधता और पर्यावरण संरक्षण के प्रति प्रतिबद्धता का प्रतीक भी है। यह परियोजना सरकार, वैज्ञानिकों, स्थानीय समुदायों और अंतरराष्ट्रीय संगठनों के सहयोग का एक शानदार उदाहरण है। हालाँकि, मानव-वन्यजीव संघर्ष, रोगों का खतरा और स्थानांतरण जैसे मुद्दों पर और अधिक ध्यान देने की आवश्यकता है। प्रोजेक्ट लायन के प्रयासों से, गिर के शेरों की गर्जना न केवल भारत में, बल्कि वैश्विक स्तर पर भी गूँजेगी, और यह भारत की संरक्षण विरासत को और समृद्ध करेगी।

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