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विश्व के पांच  प्राचीनतम महाकाव्यों में से एक है रामायण 

-जयसिंह रावत
अध्योध्या में राम मंदिर की प्राण प्रतिष्ठा के साथ ही भारत वर्ष के धार्मिक इतिहास में 22 जनवरी की तिथि को एक नया अध्याय जुड़ने जा रहा है। इस ऐतिहासिक तिथि से पूर्व ही अधिकांश हिन्दू जनमानस राममय हो रहा है। भगवान राम की कथा मानो जैसे पुनर्जीवित हो रही हो। ऐसी स्थिति में उस अध्यात्मिक कथा के आधार ‘‘रामायण’’ पर भी चर्चा जरूरी है। इस महाग्रन्थ के मूल रचियता महर्षि वाल्मीकि और उस महाग्रन्थ की प्रतिकृति ‘रामचरित मानस’ के रचियता महाकवि तुलसीदास का स्मरण भी समीचीन ही है। रामायण भाव भाषा शैली समस्त दृष्टि से एक विलक्षण महाकाव्य है। इस महाकथा में श्रृंगार, शान्त, करुण, भक्ति, वात्सल्य समस्त रसों का यथोचित प्रयोग किया गया है।

रामायण का पुनर्जन्म है रामचरित मानस

मर्यादा पुरुषोत्तम राजा राम की कथा हमें महर्षि वाल्मीकि कृत ‘‘रामायण’’ में भी मिलती है तो महाकवि तुलसीदास कृत ‘’राम चरित मानस’’ मानस में भी मिलती है। रामचरितमानस वाल्मिकी रामायण का पुनर्जन्म माना जा सकता है। ‘‘रामायण’’ विश्व के प्राचीनतम् महाग्रन्थों में से एक है। मान्यता है कि नारद ने यह ज्ञान वाल्मिकी को दिया और फिर वाल्मिकी ने रामायणकी रचना की। जबकि रामचरितमानस की रचना सोलहवी सदी में तुलसीदास द्वारा की गयी। रामायण को संस्कृत भाषा में और रामचरितमानस को अवधी भाषा में लिखा गया। दोनों ही ग्रथों में भगवान राम की कथा 7 खण्डों या अध्यायों में लिखी गयी है। वाल्मीकि कृत ‘रामायण’ में लगभग 24,000 छंद (श्लोक) हैं। जबकि अवधी में लिखे गये ‘रामचरितमानस’ में लगभग 11,000 छंद (चौपाई) हैं। हालाँकि दोनों ही भगवान राम को मुख्य पात्र मानकर लिखी गई हैं। ’’रामायण’’ के दोनो सबसे प्रसिद्ध संस्करणों की अपनी विशिष्ट विशेषताएँ और सांस्कृतिक प्रभाव हैं।

विश्व के पांच प्राचीनतम महाकाव्यों में से एक रामायण

दरअसल ‘‘रामायण’’ विश्व के पांच प्राचीनतम् महाग्रथों में से एक है। दुनिया के सबसे पुराने और महानतम महाकाव्य विभिन्न संस्कृतियों और सभ्यताओं को दर्शाते हैं, जो समृद्ध आख्यानों और सांस्कृतिक मूल्यों को प्रदर्शित करते हैं। ये महाकाव्य विभिन्न सभ्यताओं में साहित्य, कला और संस्कृति को प्रभावित करते हुए समय की कसौटी पर खरे उतरे हैं। इनमें भारत के ा ’’महाभारत’’ और ’’रामायाण’’ शामिल हैं। जबकि अन्य महाग्रन्थों में गिलगमेश का महाकाव्य (सुमेरियन या बेबीलोनियाई), इलियड और ओडिसी (ग्रीक) और रोमन महाकाव्य एनीड शामिल हैं। रोमन कवि वर्जिल द्वारा लिखित, एनीड एक ट्रोजन नायक एनीस की पौराणिक कहानी बताता है, जो इटली की यात्रा करता है और रोमनों का पूर्वज बन जाता है। वाल्मीकि को भगवान राम का समकालीन माना जाता है और ‘‘रामायाण’’ का रचनाकाल त्रेता युग माना जाता है। जबकि दोनों संस्करण भगवान राम की यात्रा की मौलिक कथा साझा करते हैं, शैली, जोर और सांस्कृतिक संदर्भ में अंतर प्रत्येक संस्करण को अद्वितीय बनाते हैं। पाठक अपनी पसंद और सांस्कृतिक पृष्ठभूमि के आधार पर रामायण के विभिन्न पहलुओं की सराहना कर सकते हैं।

वाल्मीकि रामायण में 7 काण्डों में रामकथा

वाल्मिकी की ‘‘रामायण’’ को मूल माना जाता है और इसे इसकी विस्तृत कथा, नैतिक शिक्षाओं और काव्य सौंदर्य के लिए आदर दिया जाता है। यह हिंदू दर्शन और संस्कृति के लिए एक मूलभूत पाठ प्रदान करता है। ’’रामायण’’सात अध्यायों या कांडों से बनी है, जिसमें लगभग 24,000 छंद (श्लोक) हैं। इसका विस्तार जिन 7 काण्डों में दिया गया है उनमें प्रथम बालकाण्ड है। इस अध्याय में भगवान राम के जन्म और बचपन का वर्णन है। दूसरे अध्याय या कांड में अयोध्या कांड है जो कि राम के वनवास की घटनाओं और अयोध्या के लोगों की प्रतिक्रियाओं का वर्णन करता है। तीसरा अरण्य कांड है जो चौदह वर्ष के वनवास के दौरान जंगल में राम के जीवन पर प्रकाश डालता है। अगला किष्किंधाकांड राज्य में राम की हनुमान से मुलाकात और सीता की खोज की कहानी बताता है। इसी तरह सुंदरकांड सीता की खोज में हनुमान की लंका यात्रा पर केंद्रित है। युद्धकांड में राम और रावण के बीच हुए महान युद्ध का विवरण है। अंतिम उत्तरकांड में राम के राज्याभिषेक, सीता के निर्वासन और राम के पुत्रों, लव और कुश के जन्म पर चर्चा की गई है।

रामचरित मानस का भी 7 ही काण्डों में विस्तार

अवधी भाषा में लिखी गई तुलसीदास की रामचरितमानस उत्तर भारत में अत्यधिक पूजनीय है। इसने राजा राम की कहानी को लोकप्रिय बनाने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई है और भक्ति प्रथाओं पर इसका महत्वपूर्ण प्रभाव पड़ा है। महाकवि का यह कार्य अपनी सरलता और व्यापक दर्शकों तक पहुंच के लिए भी जाना जाता है। रामचरितमानस में लगभग 11,000 छंद (चौपाई) हैं और यह भी सात अध्यायों या कांडों में व्यवस्थित है। इसका पहला अध्याय बालकांड है जो भगवान राम के जन्म और बचपन को कवर करता है। दूसरा अध्याय अयोध्या कांड है जो राम के सीता से विवाह और उसके बाद के वनवास का वर्णन करता है। तीसरा कांड अरण्य कांड है जिसमें वन में राम के जीवन और रावण द्वारा सीता के अपहरण का विवरण दिया गया है। चौथे कांड किष्किंधा कांड हनुमान की सीता की खोज और सुग्रीव के साथ गठबंधन की कहानी बताता है। पंाचवें सुंदर कांड में हनुमान की लंका यात्रा और सीता से उनकी मुलाकात पर केन्द्रित किया गया है। छटवां लंका कांड राम और रावण के बीच युद्ध का वर्णन करता है। सातवें उत्तर कांड में सीता के साथ राम का पुनर्मिलन, अग्नि परीक्षा और उनकी अयोध्या वापसी शामिल है।

रामायण में व्यापकता और गहनता अधिक

वाल्मिकी की रामायण अपने विस्तृत विवरण के लिए जानी जाती है, जो घटनाओं और पात्रों का व्यापक दृष्टिकोण प्रदान करती है। कथा वर्णनों से समृद्ध है और इसमें अक्सर सूक्ष्म दार्शनिक चर्चाएँ शामिल होती हैं। वाल्मिकी रामायण में चरित्र-चित्रण अधिक सूक्ष्म है, जो प्रत्येक चरित्र की प्रेरणाओं और कार्यों की जटिलता को प्रस्तुत करता है। राम, सीता, लक्ष्मण, रावण और अन्य को गहराई से चित्रित किया गया है, जिससे पाठकों को उनके गुणों और दोषों का पता लगाने का मौका मिलता है। वाल्मिकी की रामायण पात्रों द्वारा सामना की जाने वाली नैतिक और नैतिक दुविधाओं पर प्रकाश डालती है, जो ऐसी स्थितियों को प्रस्तुत करती है जो सही और गलत की पारंपरिक धारणाओं को चुनौती देती हैं। वाल्मिकी के संस्करण में विभिन्न उप-कहानियाँ और उपाख्यान शामिल हैं, जो मुख्य कथा को व्यापक संदर्भ प्रदान करते हैं। यह रामायण ब्रह्मांड की अधिक व्यापक व्याख्या करती है।

 

रामचरितमानस कथा अक्सर तुलसीदास के भक्ति परिप्रेक्ष्य को दर्शाती है, जिससे यह व्यापक दर्शकों के लिए अधिक सुलभ हो जाती है। तुलसीदास ने अवधी भाषा में लिखा है जो आम लोगों द्वारा अधिक व्यापक रूप से बोली और समझी जाती थी। यह भाषा वाल्मिकी की रामायण की शास्त्रीय संस्कृत की तुलना में अधिक सरल और अधिक बोलचाल की भाषा है। तुलसीदास के संस्करण में हनुमान के चरित्र पर विशेष विशेष ध्यान दिया गया है। हनुमान को समर्पित सुंदर कांड व्यापक है और उन्हें भक्ति, शक्ति और वफादारी के प्रतीक के रूप में चित्रित करता है। तुलसीदास का रामचरितमानस मध्यकालीन उत्तर भारत के सांस्कृतिक और सामाजिक संदर्भ में निहित है। इसमें स्थानीय संस्कृति के तत्वों को शामिल किया गया है, जो इसे उस समय के दर्शकों के लिए अधिक प्रासंगिक बनाता है।

लेकिन कुछ विवाद भी प्रमुखता से उठते रहे

रामायण, चाहे वह वाल्मिकी संस्करण में हो या तुलसीदास संस्करण में, सदियों से व्याख्या और चर्चा का विषय रही है। हालाँकि ये महाकाव्य पूजनीय हैं, कुछ विवाद और बहसें विशिष्ट पहलुओं को लेकर हैं। यह ध्यान रखना आवश्यक है कि विद्वानों और अनुयायियों के बीच व्याख्याएं और विवाद भिन्न-भिन्न हो सकते हैं। रामायण में सीता की अग्नि परीक्षा, सीता का निर्वासन और नारी के लिये लक्ष्मण रेखा पर बहसें होती रही है। तुलसीकृत रामचरित मानस में सबसे विवादास्पद चौपाई, ’’ढोल शूद्र और पशु नारी’’ वाली चौपाई पर रहा। हनुमान द्वारा लंका दहन और लंका के विनाश को भी कुछ आलोचकों ने सही नहीं माना है। कुछ आधुनिक आलोचकों ने विभिन्न लेखकों द्वारा रामायण के पुनर्कथन में सांस्कृतिक विनियोग के बारे में चिंता जताई है। यह पहचानना महत्वपूर्ण है कि रामायण की व्याख्याएँ अलग-अलग हो सकती हैं, और ये विवाद अक्सर विद्वानों की चर्चा और बहस का विषय होते हैं। महाकाव्यों के इन पहलुओं पर विभिन्न समुदायों, विद्वानों और व्यक्तियों के अलग-अलग दृष्टिकोण हो सकते हैं।

भारत के अलावा 9  देशों में राम कथा सुनी जाती है

दुनिया के अलग-अलग हिस्सों में  300 से ज्यादा ऐसी रामकथाएं हैं  प्रचलित हैं। इसके अलावा 2 से 3 हजार लोक कथाएं भी हैं, जो राम कथा से जुड़ी हुई हैं। भारत के अलावा 9 और देश हैं जहां किसी ना किसी रुप में रामकथा सुनी और गाई जाती है।वाल्मीकि रामायण को सबसे ज्यादा प्रमाणिक इसलिए भी माना जाता है क्योंकि वाल्मीकि भगवान राम के समकालीन ही थे और सीता ने उनके आश्रम में ही लव-कुश को जन्म दिया था। लव-कुश ने ही राम को दरबार में वाल्मीकि की लिखी रामायण सुनाई थी।

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