टीएमयू में बड़ी आंत की स्टेप्लर विधि से दुर्लभ सर्जरी

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ख़ास बातें

  • सड़क हादसे में डेमेज हो गई थी बड़ी आंत
  • दो ऑपरेशन के बाद गणित टीचर हुए डिस्चार्ज
  • गेंग्रीन होने के बाद स्टेप्लर विधि से आंत को काटा
  • डॉ. विपिन की अगुवाई में छह डॉर्क्ट्स ऑपरेशन में जुटे
  • पांच माह के बाद जुनैद बोले, टीएमयू के डॉक्टरों का शुक्रिया

–प्रो. श्याम सुंदर भाटिया

तीर्थंकर महावीर हॉस्पिटल एंड रिसर्च सेंटर के सर्जरी विभाग ने बड़ी आंत को जोड़ने के दुर्लभ ऑपरेशन में सफलता हासिल की है। संभल क्षेत्र के गणित और फिजिक्स के टीचर जुनैद का पांच माह पूर्व सड़क हादसा हो गया था, जिसमें टीचर की बड़ी आंत डेमेज हो गई थी। तीन-चार दिन भूख और बेइंतहा दर्द  आदि सहन करने के बाद अंततः 24 जुलाई को टीएमयू चिकित्यालय में भर्ती करा दिया गया। सर्जरी विभाग के सीनियर सर्जन डॉ. विपिन कुमार और उनकी टीम ने प्रारंभिक जांचों के बाद बड़ी आंत का तुरंत ऑपरेशन करने का फैसला लिया। ढाई घंटे चले इस ऑपरेशन में शौच से निवृत होने को बाहरी रास्ते का प्रावधान कर दिया गया। मेडिकल भाषा में गेंग्रीन का हिस्सा काट दिया गया और आंत का बाईपास करके कोलोस्टोमी बना दी गई। इस दुर्लभ ऑपरेशन की सफलता पर सीनियर सर्जन प्रो. विपिन कुमार और उनकी टीम को कुलाधिपति श्री सुरेश जैन ने हार्दिक बधाई दी है ।

टीएमयू के सीनियर सर्जन डॉ. विपिन कुमार बताते हैं, चार माह के बाद यानी 30 नवंबर को स्टेप्लर विधि के जरिए इस टीचर की अंततः आंत जोड़ दी गई। यह ऑपरेशन करीब चार घंटे चला। इस ऑपरेशन में प्रो. विपिन कुमार के संग-संग डॉ. सौरव सुमन, डॉ. विभोर अग्रवाल, डॉ. पार्थ अग्रवाल, डॉ. अंशुल जसूजा, डॉ. चिराग रल्हन के अलावा एनिसथिसिया की डॉ. पायल जैन शामिल रहीं। 27 साल के यह टीचर अब न केवल खाना खा रहे हैं बल्कि दर्द भी नहीं है। शौच प्रक्रिया भी सामान्य हो गई है। उल्लेखनीय है, टीएमयू चिकित्सालय में सर्कुलर स्टेप्लर, लीनियर स्टेप्लर, हीमोरॉइड स्टेप्लर आदि विधियों से सर्जरी की जा रही हैं। सर्जरी की ये विधियां आधुनिक हैं। टीएमयू में नौ साल से कार्यरत डॉ. विपिन कुमार अपने जीवन में बीस हजार ऑपरेशन कर चुके हैं, इनमें से करीब एक दर्जन सर्जरी स्टेप्लर विधि से कर चुके हैं।

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