“ग्राम पंचायतें विफल रहीं। हमारे पास इंस्टाग्राम पंचायतें हैं”–सरकार बोली ये बात तो नहीं !
In this context, the Ministry of Panchayati Raj states that the phrase “Gram Panchayats failed. We have InstaGram Panchayats” does not reflect the ground realities or the considerable advancements made so far in strengthening the Panchayati Raj system over the years. The Ministry is of the view that while satire holds its place in media, broad generalisations like these, about the performance of democratic institutions, can lead to misperceptions about the transformative work being done at the grassroots level in India. The exemplary work of more than 32 lakh elected representatives of Panchayats, including over 14 lakh women members to build a robust PRI system in India often tends to be undermined or misrepresented with over simplistic depictions.
नयी दिल्ली, 15 मई। टाइम्स ऑफ इंडिया के 14 मई 2025 के नई दिल्ली संस्करण में टाइम्स टेकीज सेक्शन (पेज 24) में एक कार्टून प्रकाशित किया गया है, जो मूल रूप से टाइम्स ऑफ इंडिया द्वारा 14 अप्रैल 2016 को प्रकाशित किया गया था, जिसका शीर्षक था: “ग्राम पंचायतें विफल हो गईं। हमारे पास इंस्टाग्राम पंचायतें हैं।”
इस संदर्भ में, पंचायती राज मंत्रालय का कहना है कि वाक्यांश “ग्राम पंचायतें विफल रहीं। हमारे पास इंस्टाग्राम पंचायतें हैं” जमीनी हकीकत या पिछले कुछ वर्षों में पंचायती राज व्यवस्था को मजबूत करने में अब तक की गई उल्लेखनीय प्रगति को नहीं दर्शाता है। मंत्रालय का मानना है कि मीडिया में व्यंग्य का अपना स्थान है, लेकिन लोकतांत्रिक संस्थाओं के प्रदर्शन के बारे में इस तरह के व्यापक सामान्यीकरण से भारत में जमीनी स्तर पर किए जा रहे परिवर्तनकारी कार्यों के बारे में गलत धारणाएं पैदा हो सकती हैं। भारत में एक मजबूत पंचायती राज व्यवस्था बनाने के लिए 14 लाख से अधिक महिला सदस्यों सहित 32 लाख से अधिक निर्वाचित पंचायत प्रतिनिधियों के अनुकरणीय कार्य को अक्सर अति सरलीकृत चित्रण के साथ कम करके आंका जाता है या गलत तरीके से प्रस्तुत किया जाता है।
हाल के दिनों में विभिन्न उपलब्धियों के बीच, पंचायती राज मंत्रालय का मेरी पंचायत मोबाइल एप्लिकेशन (जिसे जेम्स ऑफ डिजिटल इंडिया अवार्ड 2024 से सम्मानित किया गया है) नागरिकों को वास्तविक समय में पंचायत स्तर की जानकारी तक पहुंचने में सक्षम बनाता है, जिससे अधिक सार्वजनिक सहभागिता को बढ़ावा मिलता है। इससे न केवल सामुदायिक भागीदारी मजबूत होती है, बल्कि जमीनी स्तर पर भारत के लोकतांत्रिक मूल्यों को भी बल मिलता है। ग्राम मानचित्र, भाषानी और भारत मौसम विज्ञान विभाग (आईएमडी) जैसे प्लेटफार्मों के साथ एकीकरण ने बेहतर आपदा तैयारी और आजीविका लचीलेपन के लिए नियोजन, बहुभाषी पहुंच और हाइपरलोकल मौसम पूर्वानुमान में ग्राम पंचायत क्षमताओं को कई गुना बढ़ा दिया है। 2018-19 में शुरू की गई और बाद में 2022-23 से संशोधित की गई ‘राष्ट्रीय ग्राम स्वराज अभियान (आरजीएसए)’ की प्रमुख योजना के तहत सभी स्तरों पर 2.50 लाख से अधिक पंचायती राज संस्थाओं (पीआरआई) के 3.65 करोड़ से अधिक पंचायत प्रतिनिधियों और पदाधिकारियों (संचयी) का प्रशिक्षण और क्षमता निर्माण पूरा हो चुका है, जिससे जमीनी स्तर पर मजबूत नेतृत्व को सक्षम किया जा रहा है, जो ग्रामीण भारत की सूरत बदल रहा है।
ई-ग्राम स्वराज के माध्यम से 2.5 लाख से अधिक पंचायतों का संचालन, पीएफएमएस के माध्यम से वास्तविक समय पर भुगतान, राष्ट्रीय परिसंपत्ति निर्देशिका (एनएडी) के माध्यम से परिसंपत्ति प्रबंधन, सर्विसप्लस के माध्यम से नागरिक-केंद्रित सेवाएं प्रदान करना, नागरिक चार्टर को अपनाना, ऑनलाइन सेवा वितरण तंत्र का विस्तार, ग्राम पंचायत स्तर पर मौसम पूर्वानुमान की उपलब्धता, अत्याधुनिक पंचायत भवनों का निर्माण और स्वयं के स्रोत से राजस्व जुटाने में वृद्धि के साथ, ग्राम पंचायतें आज “विकसित भारत 2047” के विजन की ओर निर्णायक और सफलतापूर्वक आगे बढ़ रही हैं। भारत में पंचायती राज प्रणाली तकनीकी एकीकरण, पर्यावरणीय स्थिरता, भाषाई समावेशिता और सामुदायिक भागीदारी द्वारा चिह्नित समावेशी विकास में अत्यधिक योगदान देती है।
आज भारत में ग्राम पंचायतें डिजिटल, स्मार्ट और आत्मनिर्भर बनने की दिशा में प्रयास कर रही हैं। पंचायती राज मंत्रालय द्वारा हाल ही में प्रसारित तीन भागों वाली डिजिटल श्रृंखला ‘फुलेरा का पंचायती राज’ को मिली जनता की प्रतिक्रिया से स्पष्ट रूप से देश में पंचायत-नेतृत्व वाली शासन प्रणाली के प्रति जनता की बढ़ती रुचि, जागरूकता और विश्वास का संकेत मिलता है। यह विचार गलत है कि ग्राम पंचायतें असफल हो गई हैं, बल्कि वे स्थानीय स्वशासन की जीवंत संस्थाएं हैं जो सतत विकास और भागीदारीपूर्ण लोकतंत्र के लक्ष्यों को प्राप्त करने के लिए आवश्यक हैं।