नहीं रहे प्रख्यात ओड़िया कवि पद्मभूषण रमाकांत रथ
-उषा रावत
प्रख्यात ओड़िया कवि रमाकांत रथ का आज, रविवार, खारवेल नगर में 90 वर्ष की आयु में निधन हो गया। पद्म भूषण से सम्मानित रथ ने ओड़िया साहित्य में आधुनिकतावादी धारा को सशक्त किया और अपनी रचनाओं से साहित्यिक जगत में अमिट छाप छोड़ी। राष्ट्रपति श्रीमती द्रोपदी मुर्मू और प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने उनके निधन पर शोक प्रकट किया है।
जीवन परिचय
रमाकांत रथ का जन्म 13 दिसंबर 1934 को ओडिशा के कटक नगर में हुआ था। उन्होंने रेवेंशॉ कॉलेज से अंग्रेजी साहित्य में एमए किया और 1957 में भारतीय प्रशासनिक सेवा में शामिल हुए। अपनी सेवा के दौरान वे भारत सरकार के सचिव और ओडिशा सरकार के मुख्य सचिव पद पर कार्यरत रहे। सिविल सेवा के साथ-साथ उनकी साहित्यिक सृजनशीलता निरंतर सक्रिय रही।
साहित्यिक योगदान
रथ ओड़िया साहित्य के प्रमुख आधुनिकतावादी कवियों में से एक थे। उनकी प्रमुख काव्य कृतियों में ‘केते दिनार’, ‘अनेक कोठरी’, ‘संदिग्ध मृगया’ और ‘सप्तम ऋतु’ शामिल हैं। उनकी रचना ‘श्रीराधा’ में राधा को एक नवीन दृष्टिकोण से प्रस्तुत किया गया है, जो प्रेम और भक्ति के पारंपरिक स्वरूप से हटकर है।
सम्मान और पुरस्कार
रमाकांत रथ को उनके साहित्यिक योगदान के लिए कई प्रतिष्ठित पुरस्कारों से सम्मानित किया गया, जिनमें सरला पुरस्कार, साहित्य अकादमी पुरस्कार, विषुव पुरस्कार, सरस्वती सम्मान और कबीर सम्मान शामिल हैं। 2006 में उन्हें भारत सरकार द्वारा साहित्य एवं शिक्षा के क्षेत्र में पद्म भूषण से अलंकृत किया गया था।
कविता: अव्याहत
रथ की कविता ‘अव्याहत’ उनकी गहन संवेदनशीलता और आध्यात्मिक चिंतन को प्रकट करती है। यह कविता उनके काव्य संग्रह में एक महत्वपूर्ण स्थान रखती है।
रमाकांत रथ का निधन साहित्य जगत के लिए एक अपूरणीय क्षति है। उनकी रचनाएँ आने वाली पीढ़ियों के लिए प्रेरणा स्रोत बनी रहेंगी ।