जोशीमठ भू-धसाव प्रभावितों को पीडीएनए प्रक्रिया से बाहर रखने पर नाराजगी

– प्रकाश कपरुवाण–
ज्योतिर्मठ, 23 सितम्बर। जनवरी 2023 के जोशीमठ भू-धसाव के बाद से सीमांत नगर की व्यावसायिक गतिविधियां लगभग ठप्प पड़ी हैं। होटल, रेस्टोरेंट, ढाबे, टैक्सी व्यवसाय, दुग्ध व फल-सब्जी व्यापार बुरी तरह प्रभावित हुआ है। व्यापार संगठन लगातार मांग कर रहे हैं कि आपदा प्रभावित व्यवसायियों को भी आपदा श्रेणी में शामिल कर राहत दी जाए।
व्यवसायियों और किसानों के प्रति शासन-प्रशासन के उपेक्षापूर्ण रवैये से स्थानीय लोगों में गहरी नाराजगी है, जो कभी भी विस्फोटक रूप ले सकती है। हालांकि इस बार राज्यभर में आई आपदाओं—चमोली, पौड़ी, उत्तरकाशी, बागेश्वर, देहरादून सहित अन्य जिलों में हुई तबाही—ने सरकार को सक्रिय होने पर मजबूर किया है।
अब सरकार ने होटल, रेस्टोरेंट, ढाबा संचालक, टैक्सी चालक-क्लीनर, तीर्थ पुरोहित, किसान, फल-फूल व सब्जी विक्रेता, टूरिस्ट गाइड आदि के नुकसान का आकलन कराने के लिए पीडीएनए (पोस्ट डिजास्टर नीड्स असेसमेंट) प्रक्रिया शुरू करने के निर्देश दिए हैं। बुधवार से राष्ट्रीय आपदा प्रबंधन प्राधिकरण (NDMA) की टीम राज्य में मानसून आपदा से हुई क्षति का आकलन शुरू कर रही है।
लेकिन बड़ा सवाल यह है कि क्या यह टीम केवल वर्ष 2025 की आपदाओं का आकलन करेगी या फिर जनवरी 2023 जोशीमठ भू-धसाव प्रभावित व्यवसायियों को भी इसमें शामिल किया जाएगा?
आपदा प्रबंधन एवं पुनर्वास सचिव विनोद कुमार सुमन ने स्पष्ट किया है कि पीडीएनए प्रक्रिया में केवल 2025 की आपदाएं शामिल होंगी। उनका कहना है कि जोशीमठ के लिए पहले ही आकलन के आधार पर निर्माण कार्य शुरू किए जाने हैं, इसलिए उसे इस प्रक्रिया में सम्मिलित नहीं किया जा सकता।
इस निर्णय पर मूल निवासी स्वाभिमान संगठन ने गहरी नाराजगी व्यक्त की है। संगठन अध्यक्ष भुवन चन्द्र उनियाल ने मंगलवार को जिला मुख्यालय में जिलाधिकारी चमोली से भेंटकर ज्ञापन सौंपा और मांग की कि जोशीमठ भू-धसाव प्रभावित व्यवसायियों व काश्तकारों को भी पीडीएनए प्रक्रिया में शामिल किया जाए।
