जोशीमठ के नीचे निर्माणाधीन बाईपास पर गिरी चट्टान, मजदूरों ने भाग कर बचायी जान, देखिये वीडियो
– प्रकाश कपरुवाण –
ज्योतिर्मठ, 14अक्टूबर। हेलंग -मारवाड़ी बाईपास निर्माण को लेकर हुए तमाम विरोधों के बावजूद आल वैदर रोड के नाम पर बाईपास का निर्माण कराया जा रहा है, जिस पर सोमवार को एक चट्टान टूटने से निर्माणाधीन सड़क को तो नुकसान हुआ ही सड़क पर कार्य कर रहे मजदूरों ने भी भाग कर जान बचाई।
इस बाईपास के निर्माण को रोकने के लिए जोशीमठ के निवासियों ने हर स्तर पर जोरदार विरोध के साथ धरना प्रदर्शन भी किया, यहां तक बाईपास निर्माण को रोकने के लिए जुलूस लेकर निर्माण स्थल तक भी पहुंचे पर कोई असर नहीं हुआ और बाईपास निर्माण धड़ल्ले से होता रहा।
इस बीच मूल निवासी स्वाभिमान संगठन ज्योतिर्मठ द्वारा बीती 27सितंबर को हुए चक्का जाम के दौरान संगठन के अध्यक्ष भुवन चन्द्र उनियाल का वो भाषण भी तेजी से वायरल हो रहा है जिसमें उन्होंने भगवान नरसिंह को याद करते हुए कहा था कि जोशीमठ एवं भगवान नरसिंह को बद्रीनाथ यात्रा मार्ग से अलग थलग करने के दुस्साहस का परिणाम जल्द सामने आएगा और साल दो साल के भीतर बाईपास मार्ग पूरी तरह से क्षतिग्रस्त हो जाएगा और भगवान नरसिंह के दर्शन के बाद ही श्रद्धालु बद्रीनाथ की यात्रा करेंगे, और अनादिकाल से भगवान नरसिंह के दर्शनों के बाद ही श्री बद्रीनाथ के दर्शनों की मान्य व शास्त्रीय परंपरा यथावत रहेगी।
दरसअल सीमांत धार्मिक एवं पर्यटन नगरी जोशीमठ को अलग थलग कर हेलंग -मारवाड़ी बाईपास का निर्माण वर्ष 1988-89मे भी शुरू हुआ था, तब जोशीमठ के जागरूक नागरिक इस बाईपास निर्माण रोकने के लिए इलाहाबाद हाई कोर्ट पहुँच गए थे, हाईकोर्ट से स्टे मिलने के बाद बाईपास का निर्माण रुक गया था, हालांकि तब बाईपास लगभग बन भी चुका था लेकिन तब भी जोशीमठ के ठीक नीचे एक भीषण चट्टान टूटी जिससे सड़क ही ध्वस्त हो गई थी।
बीआरओ तब से ही इस बाई पास निर्माण के लिए निरंतर प्रयासरत था, कभी सीमा पर हैवी मशीने पहुँचाने के नाम पर तो कभी समय व जाम से बचने के लिए बाईपास को जरुरी बताते रहे, लेकिन जोशीमठ के विरोध के कारण इस पर कार्य शुरू नहीं हो सका, जो अब ऑल वैदर रोड के नाम पर शुरू हुआ।
अब इसे संयोग कहे या दैविक प्रकोप तब भी चट्टान टूटी थी और अब भी चट्टानों के टूटने का क्रम शुरू हो गया है, हालाँकि अंधाधुंध ब्लास्टिंग भी इसका एक प्रमुख कारण हो सकता है, लेकिन जब 1991मे इलाहाबाद हाईकोर्ट ने स्थगन आदेश दिया था तो कोर्ट ने 1976 की मेहश चन्द्र मिश्रा कमेटी की रिपोर्ट को आधार माना था जिसमें जोशीमठ की तलहटी पर न केवल ब्लास्टिंग पर बल्कि पत्थरों के टिपान को प्रतिबंधित करने की सिफारिश की थी।
लेकिन मिश्रा कमेटी की रिपोर्ट का अनदेखी का खामियाजा तो जोशीमठ भू धसाव के रूप मे सामने आ ही गया है, रही सही कसर बाईपास निर्माण मे हैवी ब्लास्टिंग पूरा करने पर तुली है।
अब देखना होगा भू धसाव से प्रभावित जोशीमठ को बचाने का संकल्प लेने वाले नीति नियंता हेलंग -मारवाड़ी बाईपास पर हो रहे ब्लास्टिंग को रोकने मे कितना सफल हो पाते हैं।