पृथ्वी के सबसे पुराने जीवों की जीवित रहने की गजब की कहानी

The detailed analysis of the VapBC4 TA system that helps survival in the high temperature environment shows its important role during heat stress. The findings reveal several functions of the VapC4 toxin, such as stopping protein production, helping the organism form resilient cells, and influencing biofilm creation. When the cell faces heat stress, a stress-activated protease (which hasn’t been identified in archaea yet) may break down VapB4 protein (which otherwise checks VapC4 toxin’s activity). Once VapB4 is gone, the VapC4 toxin is released and can stop protein production. This block in protein production is part of a survival strategy that helps cells form “persister cells” during stress. These persister cells go into a resting state, conserving energy and avoiding making damaged proteins. This dormancy helps them survive tough conditions until the environment improves. Overall, this research enhances our understanding of TA systems in extreme environments and offers insights into how micro organisms adapt to harsh conditions.
-By- Jyoti Rawat
क्या आपने कभी सोचा है कि पृथ्वी पर कुछ जीव इतने कठिन हालातों में भी कैसे जिंदा रहते हैं, जहां इंसान का टिकना नामुमकिन है? वैज्ञानिकों ने हाल ही में पृथ्वी के सबसे प्राचीन जीवों में से एक, आर्किया के रहस्यों को खोला है। ये सूक्ष्म जीव, जो दिखने में छोटे हैं, लेकिन जीवटता में गजब के हैं, हमें बता रहे हैं कि कैसे वे उबलते ज्वालामुखीय तालाबों और चरम गर्मी में भी जिंदा रहते हैं। आइए, इस रोमांचक खोज को आसान और दिलचस्प तरीके से समझें!
आर्किया: पृथ्वी के सुपरहीरो जीव :
आर्किया का नाम ग्रीक शब्द से आया है, जिसका मतलब है “प्राचीन चीजें।” ये पृथ्वी पर जीवन के सबसे पुराने रूपों में से एक हैं। आप इन्हें छोटे–छोटे सुपरहीरो समझ सकते हैं, जो ज्वालामुखियों के पास 90 डिग्री सेल्सियस तक गर्म पानी में, या फिर जहरीले वातावरण में भी खुशी–खुशी जिंदा रहते हैं। लेकिन इनका रहस्य क्या है? वैज्ञानिकों ने पाया कि इनके पास एक खास हथियार है, जिसे टॉक्सिन–एंटीटॉक्सिन (टीए) सिस्टम कहते हैं। यह सिस्टम इन जीवों को कठिन हालातों में बचाए रखता है, जैसे कोई कवच!
वैज्ञानिकों ने क्या खोजा?
बोस इंस्टीट्यूट के वैज्ञानिक डॉ. अभ्रज्योति घोष और उनकी टीम ने एक खास आर्किया, सल्फोलोबस एसिडोकैल्डेरियस, का अध्ययन किया। यह जीव भारत के अंडमान और निकोबार द्वीप समूह के बैरन द्वीप जैसे ज्वालामुखीय क्षेत्रों में रहता है, जहां तापमान इतना ज्यादा होता है कि पानी उबलने लगे। उनकी खोज, जो जर्नल एमबायो में छपी, बताती है कि टीए सिस्टम आर्किया को तीन तरह से मदद करता है:
तनाव से जंग: जब गर्मी या अन्य कठिन हालात आते हैं, टीए सिस्टम आर्किया को “सोने” की स्थिति में ले जाता है। यह ऐसा है जैसे जीव कहे, “ठीक है, अभी हालात खराब हैं, मैं थोड़ा आराम कर लेता हूं!” इससे वे ऊर्जा बचाते हैं और नुकसान से बचते हैं।
मजबूत कोशिकाएं बनाना: टीए सिस्टम की मदद से आर्किया ऐसी कोशिकाएं बनाता है, जो कठिन हालातों में भी टिकी रहती हैं। ये कोशिकाएं “स्थायी कोशिकाएं” कहलाती हैं, जो तब तक इंतजार करती हैं, जब तक हालात बेहतर न हो जाएं।
बायोफिल्म का जादू: आर्किया बायोफिल्म बनाते हैं, जो एक तरह का सुरक्षात्मक आवरण होता है। यह आवरण उन्हें गर्मी, जहरीले पदार्थों और अन्य खतरों से बचाता है, जैसे कोई किला! कैसे काम करता है टीए सिस्टम?
टीए सिस्टम में दो हिस्से होते हैं: टॉक्सिन (विष) और एंटीटॉक्सिन (प्रतिविष)। आम हालात में, एंटीटॉक्सिन टॉक्सिन को काबू में रखता है, ताकि जीव सामान्य रूप से काम कर सके। लेकिन जब गर्मी या तनाव बढ़ता है, तो एक खास प्रोटीन (प्रोटीज) एंटीटॉक्सिन को तोड़ देता है। इससे टॉक्सिन आजाद हो जाता है और जीव के प्रोटीन बनाने की प्रक्रिया को रोक देता है। यह रुकावट जीव को “हाइबरनेशन” मोड में डाल देती है, जिससे वह कठिन हालातों में भी जिंदा रहता है।
यह खोज क्यों खास है? जलवायु परिवर्तन से सबक:
उच्च तापमान वाले वातावरण में जीवित रहने में मदद करने वाले वैपबीसी4 टीए सिस्टम का विस्तृत विश्लेषण, गर्मी के तनाव के दौरान इसकी महत्वपूर्ण भूमिका को दर्शाता है। निष्कर्षों से वैपसी4 विष के प्रोटीन उत्पादन को रोकने, जीव को लचीली कोशिकाएं बनाने में मदद करने और बायोफिल्म निर्माण को प्रभावित करने जैसे कई कार्यों का पता चलता है। जब कोशिका गर्मी के तनाव का सामना करती है, तो एक तनाव-सक्रिय प्रोटीज (जिसे अभी तक आर्किया में पहचाना नहीं गया है) वैपबी4 प्रोटीन को तोड़ सकता है (जो अन्यथा वैपसी4 विष की गतिविधि को रोकता है)। एक बार वैपबी4 के चले जाने पर, वैपसी4 विष निकल जाता है और प्रोटीन उत्पादन को रोक सकता है। प्रोटीन उत्पादन में यह अवरोध एक जीवित रहने की रणनीति का हिस्सा है, जो तनाव के दौरान कोशिकाओं को “स्थायी कोशिकाएं” बनाने में मदद करता है। ये स्थायी कोशिकाएं आराम की स्थिति में चली जाती हैं, ऊर्जा का संरक्षण करती हैं और क्षतिग्रस्त प्रोटीन बनाने से बचती हैं। यह निष्क्रियता उन्हें पर्यावरण में सुधार होने तक कठिन परिस्थितियों में जीवित रहने में मदद करती है। कुल मिलाकर, यह अनुसंधान चरम वातावरण में टीए सिस्टम की हमारी समझ को बढ़ाता है और इस बारे में अंतर्दृष्टि प्रदान करता है कि सूक्ष्म जीव कठोर परिस्थितियों के अनुकूल कैसे होते हैं।