अंतरिक्ष प्रौद्योगिकी के अनुप्रयोगों पर संगोष्ठी : “विकसित भारत 2047” हेतु उत्तराखंड में तैयार होगा रोडमैप
यू-सैक सभागार में राज्य स्तरीय ‘स्टेट स्पेस मीट’ के लिए हुई विभागवार चर्चा
देहरादून, 21 जून। उत्तराखंड अंतरिक्ष उपयोग केंद्र (यू-सैक) के सभागार में शनिवार को “विकसित भारत 2047 के लिए अंतरिक्ष प्रौद्योगिकी एवं उसके अनुप्रयोगों का लाभ: हिमालयीय राज्यों के दृष्टांत” विषय पर एक दिवसीय राज्य स्तरीय संगोष्ठी का आयोजन किया गया। संगोष्ठी का उद्देश्य आगामी जुलाई में प्रस्तावित “स्टेट स्पेस मीट” कार्यशाला की पूर्व तैयारी करना था, जिसमें राज्य के विभिन्न विभागों की अंतरिक्ष तकनीक आधारित योजनाओं को समाहित किया जाएगा।
इस संगोष्ठी में राज्य के 21 रेखीय विभागों से 40 प्रतिभागियों ने भाग लिया, जिनमें वन, सिंचाई, जल संस्थान, मृदा, पशुपालन, आपदा प्रबंधन, शिक्षा, स्वास्थ्य, प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड, ऊर्जा, कृषि, उद्यान, जैवविविधता बोर्ड, लोक निर्माण, राजस्व और ग्राम्य विकास जैसे प्रमुख विभागों के अधिकारी, वैज्ञानिक एवं अभियंता शामिल रहे।
यू-सैक के निदेशक प्रो. एम.पी.एस. पंत ने बताया कि “विकसित भारत 2047” की दिशा में उत्तराखंड के लिए एक विज़न डॉक्यूमेंट तैयार किया जा रहा है। इसके तहत आठ प्रमुख थीम—कृषि, पर्यावरण एवं ऊर्जा, जल संसाधन, शिक्षा एवं स्वास्थ्य, आपदा प्रबंधन, इंफ्रास्ट्रक्चर विकास, विकास नियोजन, और संचार एवं नेविगेशन—चिन्हित की गई हैं। इन सभी क्षेत्रों में अंतरिक्ष तकनीक के उपयोग को रेखांकित किया जाएगा। प्रो. पंत ने कहा कि हिमालयी राज्यों की भौगोलिक संवेदनशीलता को देखते हुए अंतरिक्ष प्रौद्योगिकी की भूमिका अत्यंत महत्वपूर्ण हो जाती है। उच्च विभेदी सैटेलाइट डेटा की सहायता से आपदा संभावित क्षेत्रों की निगरानी, पर्यावरण अनुश्रवण, प्राकृतिक संसाधनों का प्रबंधन और आधारभूत संरचना के नियोजन में इसका प्रयोग हो रहा है।
इस अवसर पर इसरो के क्षेत्रीय सुदूर संवेदन केंद्र (उत्तर) के वैज्ञानिक डॉ. अभिनव शुक्ला ने आगामी नेशनल स्टेट मीट के स्वरूप और उद्देश्यों की जानकारी दी। भारतीय सुदूर संवेदन संस्थान (आईआईआरएस) के वरिष्ठ वैज्ञानिक डॉ. प्रवीन ठाकुर ने भारतीय अंतरिक्ष अभियानों और तकनीकी अनुप्रयोगों पर एक विस्तृत प्रस्तुति दी।
संगोष्ठी का संचालन यू-सैक की वरिष्ठ वैज्ञानिक डॉ. सुषमा गैरोला ने किया। संगोष्ठी में यू-सैक के वैज्ञानिक डॉ. अरुणा रानी, डॉ. आशा थपलियाल, डॉ. प्रियदर्शी उपाध्याय, डॉ. गजेन्द्र सिंह रावत, डॉ. नीलम रावत, श्री पुष्कर कुमार, श्री शशांक लिंगवाल, डॉ. दिव्या उनियाल, श्री आर.एस. मेहता, श्री सुधाकर भट्ट, श्री प्रदीप सिंह रावत, श्री देवेश कपरूवाण, श्री सौरभ डंगवाल, श्री गोविंद सिंह नेगी, श्री विकास शर्मा, श्री कुशलानंद सेमवाल, श्री चन्द्रमोहन फर्स्वाण और श्रीमती मीना पंत आदि उपस्थित रहे।
संगोष्ठी में विभागों द्वारा प्रस्तुत कार्य योजनाओं के आधार पर राज्य के लिए एक समग्र रोडमैप तैयार किया जाएगा, जिसे अगस्त में आयोजित होने वाली राष्ट्रीय कार्यशाला में प्रस्तुत किया जाएगा।