सुरक्षा

सनसनीखेज खुलासा : अफगानिस्तान में लड़ने के बाद जम्मू कश्मीर में अत्याधुनिक हथियारों समेत जम्मू कश्मीर में घुसे लड़ाके

IN A CONCERNING DEVELOPMENT, INTELLIGENCE REPORTS INDICATE THAT ADVANCED WEAPONRY LEFT BEHIND BY THE US ARMY IN AFGHANISTAN AFTER THEIR 2021 WITHDRAWAL IS BEING FUNNELLED INTO JAMMU AND KASHMIR THROUGH PAKISTAN. THIS REVELATION HAS HEIGHTENED SECURITY CONCERNS IN AN ALREADY VOLATILE REGION. LAST WEEK, TERRORISTS WERE FOUND USING AMERICAN-MADE M4 CARBINE ASSAULT RIFLES DURING TERROR ATTACK AT BADNOTI NEAR MACHEDI IN BILLAWAR AREA OF KATHUA DISTRICT. IN PREVIOUS GUN BATTLES IN DODA, POONCH AND RAJOURI, THESE WEAPONS HAVE BEEN USED, THE OFFICIALS SAID. SECURITY AGENCIES SUSPECT THAT THESE WEAPONS, LEFT BEHIND BY THE US ARMY AFTER THEIR WITHDRAWAL FROM AFGHANISTAN IN 2021, HAVE FINALLY REACHED J&K AND ARE NOW IN THE HANDS OF TERRORISTS TARGETING CIVILIANS AND SECURITY PERSONNEL.

 

 जम्मू, 19 जुलाई।  जम्मू कश्मीर के पूर्व पुलिस महानिदेशक ( डीजीपी )  एसपी वैद एसपी वैद  ने राज्य में ताजा आतंकवादी घटनाओं पर सनसनीखेज खुलासा किया है, जो कि बहुत ही चिंताजनक है।  वैद के अनुसार जम्मू कश्मीर में हाल के दिनों में घुसे आतंकवादी पाकिस्तानी या कश्मीरी नहीं बल्कि पाक अधिकृत खैवर पख्तूनवा के पठान  हैं जो कि अफगानिस्तान में तालिबान के साथ मिल कर लड़ चुके हैं और उनके पास अत्याधुनिक  अमेरिकी तथा चीनी हथियार हैं ।  पूर्व डीजीपी वैद के अनुसार  रात को भी अचूक निशाना मार सकते हैं. और उनकी स्टील कोटेड गोलियां बुलेट प्रूफ जैकेट को भी भेद सकती हैं. यही नहीं उनके पास नाईट विज़न वाली सामग्री भी है। वैद्य का यह भी  मानना है कि धारा 370 हटाना समस्या का कोई समाधान नहीं है.
पूर्व डीजीपी वैद के अनुसार “जम्मू क्षेत्र में आतंकी हमले चिंता का विषय हैं। तत्काल कार्रवाई समय की मांग है। कथित तौर पर पाकिस्तानी सेना के कुछ नियमित सैनिक जम्मू क्षेत्र के कुछ स्थानीय आतंकियों की मदद से जम्मू क्षेत्र में सक्रिय आतंकियों से हमला करवा रहे हैं। इनके साथ कुछ ऐसे आतंकी भी हैं, जो जम्मू संभाग के रहने वाले हैं और पाकिस्तान में बसे हुए हैं। आतंकी पठान लड़ाके हैं। “
जम्‍मू के कठुआ में 30 अक्‍टूबर 1959 को जन्‍में पूर्व डीजीपी वैद 25 अगस्‍त 1986 बतौर IPS ऑफिसर जम्‍मू कश्‍मीर पुलिस में शामिल हुए. ।  एसपी वैद ने मद्रास वेटनेरी कॉलेज से ग्रेजुएट करने के बाद सिविल सर्विस परीक्षा पास की थी।

पूर्व डीजीपी एसपी वैद कहते हैं कि आतंकियों के पास सैन्य प्रशिक्षण, टोही क्षमता, गुरिल्ला युद्ध रणनीति का अनुभव है। अत्याधुनिक हथियार हैं। वे हमलों के वीडियो बना रहे हैं। इन हमलों के तौर तरीकों से पता चलता है कि यह पाकिस्तान के पंजाब प्रांत एवं खैबर पखतून के पठान लड़ाके हैं। इन पर जल्द काबू पाने की जरूरत है।

उधर, खुफिया  सूत्रों का कहना है कि राजोरी-पुंछ, कठुआ, डोडा और रियासी में 40 से 50 आतंकी सक्रिय हैं। यह आतंकी तीन से चार ग्रुप में बंटे हुए हैं। इन्होंने करीब छह महीने आईबी से घुसपैठ की थी। इन्हें अफगानिस्तान में तालीबानी आतंकियों के साथ लड़ने का अनुभव है। आतंकियों के पास नाइट विजन कैमरे भी हैं, जो दूर से स्नाइपर वार करते हैं।

आतंकियों ने हर हमला करने के बाद बॉडी कैमरों का उपयोग कर हमलों के परिष्कृत वीडियो बनाए हैं। जब हमला कर लेते हैं, तो इन्हें आगे भेज देते हैं। यह टीमें अंग्रेजी में अनुवाद कर पोस्ट डालती हैं। वे कभी-कभी राबर्ट फ्रॉस्ट जैसे प्रसिद्ध लेखकों और कवियों को भी कोट करते हैं।

पुंछ के भाटादूड़ियां, राजोरी के कंडी, राजोरी के ढांगरी, रियासी में हमला करने की जिम्मेदारी आतंकी संगठन पीपुल्स एंटी-फासीस्ट फ्रंट (पीएएफएफ) ने ली थी, जबकि कठुआ और डोडा हमलों की जिम्मेदारी कश्मीर टाइगर ने ली। सूत्रों के अनुसार ये दोनों संगठन पाकिस्तान से संचालित आतंकी संगठन जैश-ए-मोहम्मद के ही हैं।

एक वरिष्ठ सैन्य अफसर ने एक समाचार एजेंसी को  बताया कि ये  आतंकी फोन का इस्तेमाल नहीं करते हैं। कोई संदेश भेजना होता है, तो वे रेडियो फ़्रीक्वेंसी मैसेंजर का इस्तेमाल करते हैं, जिसे इंटरसेप्ट नहीं किया जा सकता। वे गांव में नहीं जाते न ही स्थानीय लोगों के साथ रहते हैं। वे जंगलों या गुफाओं में रहते हैं। वे जंगल में बकरवाल द्वारा लाए गए भोजन को खरीदते हैं। कभी-कभी अपने मददगारों से जंगल में ही खाना रख जाने के लिए भी कहते हैं।

 

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