आपदा/दुर्घटना

पिंडर घाटी की सोल पट्टी आपदा पीड़ित : 16 दिन से बंद सड़कों के कारण खाद्यान्न और जरूरी वस्तुओं की भारी किल्लत

-हरेंद्र बिष्ट की रिपोर्ट-
थराली, 6 सितम्बर। विकासखंड थराली के अंतर्गत सोल पट्टी क्षेत्र में आपदा के चलते हालात लगातार बिगड़ते जा रहे हैं। पिछले 16 दिनों से क्षेत्र की मुख्य सड़कें पूरी तरह अवरुद्ध हैं, जिसके कारण यहां खाद्यान्न और रोजमर्रा की वस्तुओं की भारी किल्लत हो गई है। हालात इतने गंभीर हैं कि एक किलो चीनी 80 से 82 रुपये तक बिक रही है। अनुमान है कि सड़क खोलने में अभी एक माह से अधिक का समय लग सकता है।

आपदा का कारण और सड़क की दुर्दशा

22 अगस्त को थराली क्षेत्र में बादल फटने और भारी बारिश के कारण कई सड़कें बह गईं। थराली से सोल-डुंग्री 10 किमी सड़क कई स्थानों पर ध्वस्त हो गई है और करीब 100 मीटर हिस्सा प्राणमती गदेरे में समा गया है। पीएमजीएसवाई कर्णप्रयाग डिवीजन अब तक केवल 1 किमी सड़क भी नहीं खोल पाया है। इसके अलावा डुंग्री-रूईसाण, डुंग्री-रतगांव और डुंग्री-बूंगा मोटर सड़कें भी पूरी तरह बंद हैं।

गांवों में खाद्यान्न और दवाओं की कमी

लगभग 15 हजार की आबादी वाला सोल क्षेत्र अब पूरी तरह आपूर्ति संकट से जूझ रहा है। मैन-केरा, डुंग्री, रूईसाण, बूंगा, गेरूड, कोलपुड़ी, रतगांव, गुमड़, लेटाल, कुराबड़ और पार्था सहित कई गांवों में खाद्यान्न, तेल, नमक, चायपत्ती और दवाओं की भारी कमी हो गई है। दवाओं की आपूर्ति ठप होने से रोजाना दवा लेने वाले मरीजों को भारी परेशानी हो रही है।

थराली तक पैदल सफर की मजबूरी

सड़क ध्वस्त होने के कारण ग्रामीणों को पैदल थराली पहुंचना पड़ रहा है। डुंग्री से थराली (10 किमी) तक का सफर अब 5 से 6 घंटे में तय हो रहा है। कई स्थानों पर भारी भूस्खलन और वॉशआउट सड़क से गुजरने में ग्रामीणों को जान जोखिम में डालनी पड़ रही है।

ग्रामीणों का अन्य बाजारों की ओर रुख

थराली बाजार बंद होने से ग्रामीण देवाल और नंदानगर के बाजारों में जाकर आवश्यक सामान जुटाने को मजबूर हैं। रूईसाण गांव के लोग नंदानगर, रतगांव के लोग देवाल के लोहाजंग, जबकि पार्था गांव के लोग बेराधार बाजार की ओर जा रहे हैं।

सरकार और प्रशासन की पहल

विधायक भूपाल राम टम्टा ने कहा कि मुख्यमंत्री से बातचीत कर हेलीकॉप्टर से जरूरी वस्तुओं की आपूर्ति करवाने का अनुरोध किया जाएगा।
उपजिलाधिकारी पंकज भट्ट ने बताया कि क्षेत्र की स्थिति की जानकारी ग्राम प्रधानों और राजस्व उपनिरीक्षक से ली जा रही है। हेलीकॉप्टर से रसद आपूर्ति की संभावना तलाश की जा रही है।
ईई प्रमोद गंगाड़ी के अनुसार सड़क खोलने के लिए 2 पोकलेन मशीन, 1 जेसीबी, 8 डंपर और 75 मजदूर लगाए गए हैं, लेकिन भूस्खलन और सड़क बह जाने के कारण इसे दुरुस्त करने में एक माह तक लग सकता है।

राजनीतिक मांगें

पूर्व प्रमुख सुशील रावत ने मुख्यमंत्री से हेलीकॉप्टर द्वारा तुरंत राहत सामग्री भेजने की मांग की है। वहीं, पूर्व मुख्यमंत्री हरीश रावत ने भी सरकार से छोटे हेलीकॉप्टर की बजाय चिनूक हेलीकॉप्टर से राहत सामग्री पहुंचाने की मांग की है।

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