स्तन कैंसर से स्वस्थ होने की दर और जीवित बचने की दर में उल्लेखनीय वृद्धि
The study included 1,600 women with early breast cancer who were planned to be treated with surgery. Half of these patients, constituting the control group, received standard surgery followed by standard post-operative treatment including chemotherapy, hormone therapy and radiotherapy as per guidelines. The other half, constituting the intervention group, received an injection of a commonly used local anaesthesia agent, 0.5% lidocaine, all around the tumor, just prior to surgery. They then underwent standard surgery followed by the same postoperative treatment as was given in the control group. The results of this study show that this simple, low-cost intervention significantly and substantially increases the cure rates and survival of breast cancer patients, with a benefit that is ongoing for several years after surgery. The injection requires no additional expertise, is inexpensive, and can result in saving up to 100,000 lives annually globally. These benefits are substantial and were achieved with an intervention the cost of which was less than Rs.100/- per patient. For comparison, benefits of far lesser magnitude have been achieved in early breast cancer patients by much more expensive, targeted drugs which cost more than ten lakhs per patient. The clinical trial is hence an important milestone in the treatment of breast cancer.
By- Usha Rawat
मुंबई स्थित टाटा मेमोरियल सेंटर के निदेशक डॉ. राजेंद्र बडवे ने आज स्तन कैंसर पर एक ऐतिहासिक बहु-केंद्रीय भारतीय अध्ययन के नतीजे प्रस्तुत किए। इस अध्ययन के नतीजे बताते हैं कि सरल एवं कम लागत वाला यह उपाय महत्वपूर्ण रूप से और काफी हद तक स्तन कैंसर के रोगियों के स्वस्थ होने की दर और जीवित बचे रहने की संभावना, एक ऐसा लाभ जो सर्जरी के बाद कई वर्षों से जारी है, को बढ़ाता है। इस टीके के लिए किसी अतिरिक्त विशेषज्ञता की जरूरत नहीं है। यह टीका सस्ता है और इसके जरिए विश्व स्तर पर सालाना 100,000 लोगों की जान बचाई जा सकती है। इसके व्यापक लाभ हैं और इस उपाय की लागत प्रति मरीज 100 रुपये से कम थी। तुलनात्मक रूप से, स्तन कैंसर के शुरुआती चरण के रोगियों में बहुत अधिक महंगी एवं लक्षित दवाओं, जिनकी कीमत प्रति रोगी दस लाख से अधिक है, द्वारा बहुत कम पैमाने वाले लाभ प्राप्त किए गए हैं। इसलिए, यह नैदानिक परीक्षण स्तन कैंसर के उपचार में एक महत्वपूर्ण मील का पत्थर है। स्तन कैंसर की सर्जरी कराने वाली महिलाओं में किए गए इस परीक्षण में सर्जरी से ठीक पहले, ऑपरेशन टेबल पर ट्यूमर के चारों ओर आमतौर पर इस्तेमाल की जाने वाली दवा के टीके को शामिल किया गया था।
डॉ. बडवे ने इन निष्कर्षों को पेरिस में चल रहे यूरोपियन सोसाइटी ऑफ मेडिकल ऑन्कोलॉजी (ईएसएमओ) कांग्रेस, जोकि यूरोप में प्रतिवर्ष आयोजित होने वाले दुनिया के सबसे प्रतिष्ठित कैंसर सम्मेलनों में से एक है, में प्रस्तुत किया। इस परीक्षण के नतीजों की घोषणा करने के लिए आज एक प्रेस कॉन्फ्रेंस आयोजित की गई। साथ ही, इस प्रस्तुति की लाइव स्ट्रीमिंग भी की गई। इसके बाद, टाटा मेमोरियल सेंटर/अस्पताल एवं होमी भाभा राष्ट्रीय संस्थान के मेडिकल ऑन्कोलॉजी के प्रोफेसर और एक्ट्रेक के निदेशक डॉ. सुदीप गुप्ता का संबोधन हुआ।
डॉ. गुप्ता की प्रस्तुति के तुरंत बाद, पेरिस से जुड़ते हुए, डॉ. बडवे ने अपनी टिप्पणी में कहा, “यह विश्व स्तर पर अपनी तरह का पहला अध्ययन है, जिसने सर्जरी से पहले किसी एकल उपाय से हासिल होने वाले एक बड़े लाभ को दर्शाया है। अगर इस उपाय को दुनिया भर में लागू किया जाता है, तो इसमें सालाना 100,000 से अधिक लोगों की बचाने की क्षमता होगी। वैज्ञानिकों के लिए, यह कैंसर के परिवेश को इस तरह से व्यवस्थित करने के लिए ऑपरेशन के समय (पेरी-ऑपरेटिव) किए जाने वाले एक उपाय की संभावना खोलता है ताकि सर्जरी के कार्य [अवलोकन] के प्रति इस बीमारी की हानिकारक प्रतिक्रिया को रोका जा सके। भारत और दुनिया के लोगों के लाभ के लिए कैंसर से निपटने हेतु कम लागत वाले उपाय का विकास टाटा मेमोरियल सेंटर और अणु ऊर्जा विभाग का एक मिशन रहा है और अणु ऊर्जा विभाग द्वारा समर्थित यह अध्ययन आत्मनिर्भर भारत की दिशा में एक बड़ा कदम है।”
इस अध्ययन के सह-अन्वेषकों में से एक और टीएमसी में मेडिकल ऑन्कोलॉजी के प्रोफेसर व एक्ट्रेक के निदेशक डॉ सुदीप गुप्ता ने कहा, “यह अध्ययन स्तन कैंसर में एक सस्ता और तुरंत लागू करने योग्य उपचार प्रदान करता है जिसका इस्तेमाल इस बीमारी का इलाज करने वाले प्रत्येक सर्जन द्वारा किया जा सकता है। एक बड़े स्तर पर औचक तरीके से किए गए इस परीक्षण, जो नए उपचारों की उपयोगिता का मूल्यांकन करने का मानक तरीका है, के नतीजे इस तकनीक के उपयोग का समर्थन करने के लिए उच्चतम स्तर के साक्ष्य प्रदान करते हैं। यह अध्ययन इस बात का प्रमाण है कि भारतीय केंद्र वैश्विक प्रभाव वाले अध्ययनों को डिजाइन और संचालित कर सकते हैं।”
‘शुरुआती स्तन कैंसर में जीवन रक्षा पर सर्जरी से पहले स्थानीय एनेस्थेटिक के पेरी-ट्यूमर घुसपैठ का प्रभाव’ शीर्षक वाला यह अध्ययन औचक तरीके से किया गया एक नियंत्रित परीक्षण है। इसकी परिकल्पना और डिजाइन मुख्य अन्वेषक डॉ. बडवे द्वारा की गई है। यह अध्ययन वर्ष 2011 लेकर 2022 के बीच 11 साल की अवधि में मुंबई में टाटा मेमोरियल सेंटर सहित भारत के 11 कैंसर केंद्रों में अन्वेषकों द्वारा किया गया था।
इस अध्ययन में स्तन कैंसर के शुरुआती चरण वाली 1,600 महिलाओं को शामिल किया गया था, जिनका इलाज सर्जरी के जरिए करने की योजना थी। इनमें से आधे रोगियों, जो नियंत्रण समूह कह्लाती हैं, को मानक सर्जरी का उपचार दिया गया। इसके बाद उन्हें दिशानिर्देशों के अनुसार सर्जरी के बाद के मानक उपचार, जिसमें कीमोथेरेपी, हार्मोन थेरेपी और रेडियोथेरेपी शामिल हैं, दिए गए। अन्य आधे रोगियों, जो हस्तक्षेप समूह कहलाती हैं, को सर्जरी से ठीक पहले, ट्यूमर के चारों ओर आमतौर पर इस्तेमाल किए जाने वाले स्थानीय एनेस्थीसिया, 0.5 प्रतिशत लिडोकेन, का टीका लगाया गया। फिर उनकी मानक सर्जरी की गई और उसके बाद उन्हें वही सर्जरी के बाद के उपचार दिए गए जो नियंत्रण समूह को दिए गए थे।
डॉ. बडवे के पिछले शोध ने सुझाव दिया है कि प्राथमिक स्तर के कैंसर को सर्जरी के जरिए हटाने के ठीक पहले, सर्जरी के दौरान और सर्जरी के तुरंत बाद अवसर की एक संभावना खुलती है जब कैंसर विरोधी उपाय रोगी के बाद के जीवनकाल में प्रसारित चरण- 4 के मेटास्टेटिक कैंसर के विकास के जोखिम को कम कर सकता है। लिग्नोकेन, जो आमतौर पर इस्तेमाल की जाने वाली एक सस्ती एवं स्थानीय एनेस्थीसिया की दवा है, को कैंसर कोशिका विभाजन, संचरण और अन्य कैंसर विरोधी गुणों पर इसके निरोधात्मक प्रभावों के कारण एक ऐसा ही उपयुक्त उपाय माना जाता था। यहां पेरी-ट्यूमर इंजेक्शन की तकनीक का आरेखीय चित्रण दिखाया गया है, जोकि सरल है और इसके लिए किसी अतिरिक्त विशेषज्ञता की जरूरत नहीं है।
नियंत्रण समूह और स्थानीय एनेस्थीसिया समूह के बीच स्वस्थ होने और जीवित रहने की दरों की तुलना करने के लिए उपचार के पूरा होने के बाद कई वर्षों तक रोगियों की नियमित रूप से अनुवर्ती देखरेख की गई। जब दोनों समूहों में पर्याप्त अनुवर्ती देखरेख हो गई, तो सितंबर 2021 की कट-ऑफ तारीख पर डेटा का विश्लेषण किया गया। जैसा कि अपेक्षित था, इस उपाय को हासिल करने वाले रोगियों में लिग्नोकेन की कोई विषाक्तता नहीं थी। नियंत्रण समूह में 6 साल की रोग-मुक्त जीवित रहने (स्वस्थ रहने की दर) 81.7 प्रतिशत और स्थानीय एनेस्थीसिया समूह में 86.1 प्रतिशत थी, जो कैंसर के दोबारा उभरने या स्थानीय एनेस्थीसिया के टीके के साथ मृत्यु के जोखिम में 26 प्रतिशत की तुलनात्मक कमी के साथ थी, जो सांख्यिकीय दृष्टि से महत्वपूर्ण थी। इसी तरह, स्थानीय एनेस्थेटिक टीके के साथ मृत्यु के जोखिम में 29 प्रतिशत की कमी के साथ दो समूहों में छह साल तक जीवित बचने का समग्र आंकड़ा 86.2 प्रतिशत बनाम 89.9 प्रतिशत का था। सांख्यिकीय दृष्टि से यह भी महत्वपूर्ण था। समय के साथ दो अध्ययन समूहों में रोग मुक्त होने के बाद जीवित बचे रहने और समग्र रूप से जीवित रहने की तुलनात्मक स्थिति को नीचे दर्शाया गया है।
रोग मुक्त होने के बाद जीवित बचे रहना
समग्र रूप से जीवित रहना
अध्ययन करने वाला दल:
क्रं. सं. | संस्थान का नाम | अनुसंधानकर्ता |
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टाटा मेमोरियल सेंटर, मुंबई | डॉ. राजेंद्र बडवे
डॉ. सुदीप गुप्ता डॉ. वाणी परमार डॉ. नीता नायर डॉ. श्लाका जोशी सुश्री रोहिणी हवलदार सुश्री शबीना सिद्दीकी श्री वैभव वनमाली सुश्री अश्विनी देवडे सुश्री वर्षा गायकवाड़ |
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कोल्हापुर कैंसर सेंटर, कोल्हापुर, भारत | डॉ. सूरज पवार |
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मैक्स सुपरस्पेशियलिटी हॉस्पिटल, पटपड़गंज, नई दिल्ली, भारत | डॉ. गीता कडायाप्रथ |
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बी. बोरुआ कैंसर संस्थान, गुवाहाटी, भारत | डॉ. बिभूति भूषण बोरठाकुर |
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बसवतारकम इंडो-अमेरिकन कैंसर हॉस्पिटल एंड रिसर्च सेंटर, हैदराबाद, भारत | डॉ. सुब्रमण्येश्वर राव थम्मीनेडी |
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गुजरात कैंसर एवं रिसर्च संस्थान, अहमदाबाद, भारत | डॉ. शशांक पंडया |
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मालाबार कैंसर सेंटर (एमसीसी), कोडिवेरी, थालासेरी, कन्नूर, भारत | डॉ. सतीसन बी |
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सिद्दीवियानक गणपति कैंसर अस्पताल, मिराज, भारत | डॉ. पी. वी. चिताले |
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स्टर्लिंग मल्टी-स्पेशियिलटी अस्पताल, पुणे, भारत | डॉ. राकेश नेवे |
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नार्थ ईस्टर्न इंदिरा गांधी रीजनल इंस्टीट्यूट ऑफ हेल्थ एंड मेडिकल साइंस (एनईआईजीआरआईएचएमएस), शिलांग, भारत | डॉ. कालेब हैरिस |
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अखिल भारतीय आर्युविज्ञान संस्थान, नई दिल्ली | डॉ. अनुराग श्रीवास्तव |
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डॉ सुदीप गुप्ता, टाटा मेमोरियल सेंटर:9821298642