पर्यावरण

2025 का अंटार्कटिक ओजोन छिद्र पांच साल में सबसे छोटा और सबसे जल्दी बंद हुआ

Daily evolution of the 2025 (red) Southern Hemisphere ozone hole area poleward of 60°S in million km2 compared with 2024 (dark blue), 2023 (light blue) and the statistical spread of 1979-2022 (grey shading). Data source: Copernicus Atmosphere Monitoring Service. Credit: Copernicus Atmosphere Monitoring Service / ECMWF.

कोपरनिकस वायुमंडल निगरानी सेवा (CAMS) ने आज पुष्टि की है कि 2025 का अंटार्कटिक ओजोन छिद्र 1 दिसंबर को पूरी तरह बंद हो गया। यह 2019 के बाद से अब तक का सबसे जल्दी बंद होने वाला ओजोन छिद्र है। साथ ही, यह पिछले पांच वर्षों में क्षेत्रफल की दृष्टि से सबसे छोटा ओजोन छिद्र रहा।

यह लगातार दूसरा वर्ष है जब ओजोन छिद्र अपेक्षाकृत छोटा रहा। 2020 से 2023 तक लगातार बड़े और लंबे समय तक बने रहने वाले ओजोन छिद्रों की श्रृंखला के बाद यह राहत भरा संकेत है। 2025 में अंटार्कटिका के ऊपर स्ट्रैटोस्फीयर में ओजोन की मात्रा भी सामान्य से अधिक रही।

कोपरनिकस वायुमंडल निगरानी सेवा के निदेशक लॉरेंस रूइल ने कहा, “इस वर्ष ओजोन छिद्र का जल्दी बंद होना और उसका छोटा आकार एक आश्वस्त करने वाला संकेत है। यह ओजोन परत की निरंतर हो रही रिकवरी को दर्शाता है, जो ओजोन-क्षयकारी पदार्थों (ODS) पर प्रतिबंध के कारण संभव हुआ है। यह हमें याद दिलाता है कि जब वैश्विक समुदाय एकजुट होकर पर्यावरणीय चुनौतियों का सामना करता है, तो क्या हासिल किया जा सकता है।”

2025 में ओजोन छिद्र अगस्त के मध्य तक जल्दी विकसित होने लगा था और शुरुआत में 2023 जैसे बड़े छिद्र की तरह दिख रहा था। सितंबर की शुरुआत में इसका अधिकतम क्षेत्रफल 21.08 मिलियन वर्ग किमी रहा, जो 2023 के रिकॉर्ड 26.1 मिलियन वर्ग किमी से काफी कम है।

Closure dates of the Antarctic ozone hole since 1979 (line chart) and ranking of the earliest closure dates (table). Data source: Copernicus Atmosphere Monitoring Service. Credit: Copernicus Atmosphere Monitoring Service / ECMWF.

सितंबर और अक्टूबर में इसका आकार 15 से 20 मिलियन वर्ग किमी के बीच बना रहा। नवंबर के पहले पखवाड़े में यह तेजी से सिकुड़ने लगा, जिससे जल्दी बंद होने की संभावना दिखी। हालांकि नवंबर के अंत तक ओजोन की कमी का एक छोटा क्षेत्र बना रहा, जो अंततः 1 दिसंबर को पूरी तरह समाप्त हो गया।

विशेषज्ञों का कहना है कि मॉन्ट्रियल प्रोटोकॉल और उसके संशोधनों के कारण क्लोरोफ्लोरोकार्बन (CFCs) जैसे लगभग 100 ओजोन-हानिकारक रसायनों के उत्पादन और उपयोग पर नियंत्रण होने से ही ओजोन परत की यह रिकवरी संभव हो पाई है। यदि ये कदम न उठाए गए होते तो 2020-2023 जैसे बड़े ओजोन छिद्र वैश्विक स्तर पर विनाशकारी स्थिति पैदा कर सकते थे।

(स्रोत: कोपरनिकस वायुमंडल निगरानी सेवा / ECMWF) विस्तृत विश्लेषण के लिए: https://atmosphere.copernicus.eu/smallest-and-shortest-lived-ozone-hole-5-years-closes

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