धर्म/संस्कृति/ चारधाम यात्रा

देव प्रयाग के रघुनाथ मंदिर में नेताओं के प्रवेश पर रोक ! मंदिर की उपेक्षा से क्षुब्ध है पंडा समाज

 

देहरादून, 21 जनवरी । देवप्रयाग के पंडा समाज ने 22 जनवरी को अयोध्या में राम मंदिर की प्राणप्रतिष्ठा के अवसर  पर किसी भी राज नेता या कार्यकर्त्ता को देवप्रयाग के पौराणिक रघुनाथ मंदिर में न घुसने देने का ऐलान किया है।  पंडा समाज का आरोप है कि आगामी लोक सभा चुनाव के लिए देश में धार्मिक उन्माद पैदा किया जा रहा है और उसी अभियान के तहत अब राजनीतिबाजों को देव प्रयाग के रघुनाथ मंदिर की याद  आ रही है।  देव प्रयागी पंडा समाज के प्रमुख व्यक्ति अधिवक्ता राजेंद्र कोटियाल के  अयोध्या के प्राण प्रतिष्ठा अनुष्ठान में शंकराचार्यों की उपेक्षा के विरोध में भी समाज को यह निर्णय लेना पड़  रहा है ।

पूर्व सूचना आयुक्त एवं नैनीताल हाईकोर्ट के वरिष्ठ अधिवक्ता देवप्रयाग निवासी राजेंद्र कोटियाल ने स्पष्ट किया हैं कि भगवान राम की नगरी देवप्रयाग में आदि गुरु शंकराचार्य द्वारा स्थापित रघुनाथ मंदिर में किसी भी जनप्रतिनिधि को नहीं घुसने दिया जाएगा। राजेंद्र कोटियाल ने आरोप लगाते हुए कहा कि ज़ब आदि गुरु शंकराचार्यो का देश में अपमान किया जा रहा है तो फिर उनके द्वारा देवप्रयाग में स्थापित रघुनाथ के मंदिर में 22 जनवरी को किसी भी जनप्रतिनिधि को नहीं घुसने दिया जाएगा।

पूर्व सूचना आयुक्त राजेंद्र कोटियाल ने आरोप लगाते हुए कहा कि सरकार मास्टर प्लान के तहत बद्रीनाथ धाम में जितने भी निर्माण कार्य करवा रही है वहाँ वो मनमानी कर रही है और आज तक देवप्रयाग स्थित भगवान राम के रघुनाथ मंदिर में किसी भी प्रकार का क़ोई सहयोग उसकी तरफ से नहीं मिला है।साथ ही उहोने कहा कि अयोध्या में 22 जनवरी को होने वाले भगवान रामलला की मूर्ति की प्राण प्रतिष्ठा कार्यक्रम का वह स्वागत करतें है। लेकिन जिस प्रकार आदि गुरु शंकराचार्यो का अपमान हों रहा है उसे वह बर्दास्त नहीं कर सकते और इसीलिए देवप्रयाग वासियों ने फैसला किया है कि आदि गुरु शंकराचार्य द्वारा देवप्रयाग में स्थापित रघुनाथ के मंदिर में 22 जनवरी को किसी भी जनप्रतिनिधि को घुसने नहीं दिया जाएगा।

8वीं शताब्दी में आदिगुरु शंकराचार्य ने रखी थी रघुनाथ मंदिर की नीव

देवप्रयाग में अलकनंदा और भागीरथी नदी के संगम पर रघुनाथ मंदिर स्थित हैं,जों भगवान राम को समर्पित है. रघुनाथ मंदिर भगवान विष्णु को समर्पित 108 दिव्य देवों में से एक है. रघुनाथ मंदिर में भगवान राम (जो कि विष्णु के अवतार थे) और माता सीता (जो कि देवी लक्ष्मी की अवतार थी) की पूजा की जाती है.माना जाता है कि 8वीं शताब्दी के दौरान मंदिर गढ़वाल साम्राज्य के बाद के विस्तार के साथ आदि गुरु शंकराचार्य द्वारा इस मंदिर को स्थापित किया गया था. यह मंदिर मूल रूप से 10 वीं शताब्दी में अस्तित्व में आया.माना जाता है कि भगवान राम ने रावण की हत्या की थी,रावण एक ब्रह्माण था, इसलिए भगवान राम ने एक ब्रह्माण की हत्या का पश्चाताप करने के लिए इस स्थान पर तपस्या की थी.

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

error: Content is protected !!