पुण्य तिथि पर विशेष : तकनीकी क्रांति और विकेंद्रीकरण के दूरदर्शी नेता थे राजीव गांधी
– जयसिंह रावत-
21 मई, भारत के पूर्व प्रधानमंत्री श्री राजीव गांधी की पुण्य तिथि है। यह दिन हमें न केवल उनके बलिदान को याद करने का अवसर देता है, बल्कि उनकी दूरदृष्टि, खासकर भारत को 21वीं सदी के लिए तैयार करने की उनकी सोच और उनके तकनीकी योगदान को भी रेखांकित करता है। राजीव गांधी ने न केवल तकनीकी और संचार क्रांति की नींव रखी, बल्कि पंचायती राज के माध्यम से सत्ता के विकेंद्रीकरण और महिला सशक्तिकरण जैसे क्रांतिकारी कदम उठाकर भारत के सामाजिक-राजनीतिक ढांचे को मजबूत किया।
21वीं सदी के लिए भारत की तैयारी
राजीव गांधी अक्सर कहा करते थे कि भारत को 21वीं सदी के लिए तैयार करना है। उनकी यह सोच उस समय के भारत के लिए एक क्रांतिकारी दृष्टिकोण थी, जब देश आर्थिक और तकनीकी रूप से वैश्विक मंच पर अपनी पहचान बनाने की कोशिश कर रहा था। उन्होंने तकनीक को जन-जन तक पहुंचाने और इसे विकास का आधार बनाने का सपना देखा। उनकी यह दृष्टि न केवल भारत के आधुनिकीकरण की नींव बनी, बल्कि आज के डिजिटल भारत की आधारशिला भी साबित हुई।
तकनीकी और संचार क्रांति का सूत्रपात
राजीव गांधी को भारत में सूचना प्रौद्योगिकी (आईटी) और दूरसंचार क्रांति का जनक माना जाता है। 1980 के दशक में, जब दुनिया में डिजिटल तकनीक अपनी प्रारंभिक अवस्था में थी, राजीव गांधी ने इसके महत्व को पहचाना और इसे भारत के विकास का आधार बनाने का फैसला किया। उनके नेतृत्व में निम्नलिखित कदम उठाए गए:
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दूरसंचार क्रांति: राजीव गांधी ने दूरसंचार क्षेत्र में क्रांतिकारी बदलाव लाने के लिए सेंटर फॉर डेवलपमेंट ऑफ टेलीमैटिक्स (C-DOT) की स्थापना को प्रोत्साहित किया। C-DOT ने स्वदेशी तकनीक के माध्यम से ग्रामीण और शहरी क्षेत्रों में टेलीफोन नेटवर्क का विस्तार किया। उनके प्रयासों से सार्वजनिक कॉल ऑफिस (PCO) की शुरुआत हुई, जिसने पहली बार आम लोगों, विशेषकर ग्रामीण क्षेत्रों में, टेलीफोन सेवाओं तक पहुंच बनाई।
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कंप्यूटर क्रांति: राजीव गांधी ने कंप्यूटर को भारत में लोकप्रिय बनाने के लिए कई नीतिगत कदम उठाए। उन्होंने कंप्यूटर आयात को आसान किया और कंप्यूटर शिक्षा को बढ़ावा देने के लिए स्कूलों और कॉलेजों में कंप्यूटर लैब स्थापित करने की पहल की। उनके कार्यकाल में राष्ट्रीय सूचना विज्ञान केंद्र (NIC) को मजबूत किया गया, जिसने सरकारी कार्यों में डिजिटल तकनीक के उपयोग को बढ़ावा दिया।
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विज्ञान और तकनीक का प्रोत्साहन: राजीव गांधी ने विज्ञान और प्रौद्योगिकी को राष्ट्रीय विकास का आधार बनाया। उनके कार्यकाल में अंतरिक्ष अनुसंधान और सैटेलाइट प्रौद्योगिकी को बढ़ावा दिया गया। भारत ने इस दौरान कई महत्वपूर्ण सैटेलाइट लॉन्च किए, जो आज मौसम पूर्वानुमान, संचार और रिमोट सेंसिंग जैसे क्षेत्रों में महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं।
उनकी यह सोच कि “तकनीक ही भविष्य है” आज भारत के डिजिटल इंडिया अभियान और स्टार्टअप इकोसिस्टम में स्पष्ट रूप से दिखाई देती है।
पंचायती राज: सत्ता का विकेंद्रीकरण
राजीव गांधी का एक और महत्वपूर्ण योगदान था पंचायती राज व्यवस्था को मजबूत करना। उन्होंने यह समझा कि सच्चा लोकतंत्र तभी संभव है, जब सत्ता का विकेंद्रीकरण हो और ग्रामीण स्तर पर लोग अपने विकास के फैसले खुद ले सकें। इसके लिए उन्होंने 73वें और 74वें संविधान संशोधन की नींव रखी, जो बाद में लागू हुए।
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ग्राम स्तर पर लोकतंत्र: पंचायती राज व्यवस्था ने ग्राम पंचायतों को वित्तीय और प्रशासनिक शक्तियां दीं, जिससे ग्रामीण समुदाय अपने विकास कार्यों को स्वयं नियोजित कर सकें। यह भारत के लोकतांत्रिक ढांचे में एक ऐतिहासिक कदम था।
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महिला सशक्तिकरण: राजीव गांधी ने पंचायती राज में महिलाओं के लिए आरक्षण की वकालत की। उनकी इस सोच ने ग्रामीण भारत में महिलाओं को नेतृत्व के अवसर प्रदान किए। आज पंचायतों में महिलाओं की 33% आरक्षण (कई राज्यों में 50%) उनकी इस दूरदृष्टि का परिणाम है, जिसने लाखों महिलाओं को निर्णय लेने की प्रक्रिया में शामिल किया।
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स्थानीय स्वशासन: राजीव गांधी का मानना था कि सत्ता का केंद्रीकरण विकास में बाधा बन सकता है। पंचायती राज के माध्यम से उन्होंने स्थानीय समस्याओं के समाधान के लिए स्थानीय नेतृत्व को सशक्त किया। यह व्यवस्था आज भी भारत के ग्रामीण विकास का आधार है।
शांति और एकता के लिए प्रयास
राजीव गांधी ने तकनीकी और प्रशासनिक सुधारों के साथ-साथ देश की एकता और अखंडता को बनाए रखने के लिए भी महत्वपूर्ण कदम उठाए। पंजाब, असम और मिजोरम में शांति समझौतों के माध्यम से उन्होंने क्षेत्रीय तनाव को कम करने का प्रयास किया। उनकी यह कोशिश भारत को एकजुट और मजबूत बनाने की दिशा में थी।
बलिदान और प्रेरणा
21 मई, 1991 को तमिलनाडु के श्रीपेरंबुदूर में एक आत्मघाती हमले में राजीव गांधी की असमय मृत्यु ने देश को गहरा आघात पहुंचाया। लेकिन उनका बलिदान हमें यह सिखाता है कि देश के लिए समर्पण और नेतृत्व की राह में चुनौतियां आती हैं, परंतु वे हमें और मजबूत बनाती हैं। उनकी पुण्य तिथि पर हम उनके सपनों को साकार करने का संकल्प लेते हैं।
राजीव गांधी की तकनीकी क्रांति और पंचायती राज के माध्यम से सत्ता के विकेंद्रीकरण की सोच ने भारत को 21वीं सदी के लिए तैयार करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई। उनकी दूरदृष्टि ने न केवल भारत को तकनीकी रूप से सशक्त किया, बल्कि ग्रामीण भारत को लोकतांत्रिक और समावेशी बनाने का मार्ग भी प्रशस्त किया। उनकी पुण्य तिथि पर, आइए हम उनके योगदान को याद करें और उनके सपनों को साकार करने के लिए मिलकर प्रयास करें। (लेख में प्रकट विचार लेखक के निजी हैं। तथ्यों की प्रमाणिकता की जिम्मेदारी भी लेखक की है -एडमिन)