राष्ट्रीयस्वास्थ्य

छात्रों की आत्महत्या रोकने के लिए सुप्रीम कोर्ट सख्त, राष्ट्रीय टास्क फोर्स गठित


मानसिक स्वास्थ्य पर ज़ोर, शैक्षणिक संस्थानों को मिलेगा नया दिशानिर्देश

नई दिल्ली, 15 अप्रैल। देश में बढ़ती छात्र आत्महत्याओं की घटनाओं को गंभीरता से लेते हुए भारत के सर्वोच्च न्यायालय ने मार्च में एक ऐतिहासिक निर्णय में उच्च शिक्षा संस्थानों में मानसिक स्वास्थ्य से जुड़ी समस्याओं और आत्महत्या की रोकथाम के लिए एक राष्ट्रीय टास्क फोर्स के गठन का आदेश दिया है। यह टास्क फोर्स सुप्रीम कोर्ट के पूर्व न्यायाधीश न्यायमूर्ति एस. रवींद्र भट की अध्यक्षता में गठित की गई है।

अदालत ने स्पष्ट किया कि छात्रों की आत्महत्या केवल व्यक्तिगत विफलताओं की कहानी नहीं, बल्कि शिक्षा व्यवस्था में मौजूद गहरे ढांचागत दोषों का परिणाम है। न्यायालय ने आत्महत्या की घटनाओं में वृद्धि को रोकने के लिए तत्काल और ठोस उपायों की आवश्यकता पर ज़ोर दिया।

मुख्य फोकस क्षेत्र होंगे:

  • शैक्षणिक दबाव, भेदभाव, वित्तीय तनाव और मानसिक स्वास्थ्य से जुड़ी मान्यताओं जैसे आत्महत्या के कारणों की पहचान।

  • छात्र कल्याण और मानसिक स्वास्थ्य नीतियों की प्रभावशीलता का आकलन।

  • शिक्षा संस्थानों में एक सहायक और समावेशी वातावरण के निर्माण हेतु ढांचागत सुधारों की सिफारिश।

टास्क फोर्स की संरचना में शामिल हैं:

  • न्यायमूर्ति एस. रवींद्र भट, अध्यक्ष

  • डॉ. आलोक सरीन, सलाहकार मनोचिकित्सक, सीताराम भार्गव संस्थान

  • प्रो. मैरी ई. जॉन, महिला अध्ययन विशेषज्ञ

  • श्री अरमान अली, दिव्यांगों के लिए कार्यरत सामाजिक कार्यकर्ता

  • प्रो. राजेंद्र कचरू, अमन सत्य कचरू ट्रस्ट के संस्थापक

  • डॉ. अक्सा शेख, सामुदायिक स्वास्थ्य विशेषज्ञ

  • डॉ. सीमा मेहरोत्रा, प्रोफेसर, NIMHANS

  • प्रो. वर्जिनियस ज़ाक्सा, मानव विकास संस्थान

  • डॉ. निधि सभरवाल, उच्च शिक्षा नीति विशेषज्ञ

  • सुश्री अपर्णा भट, वरिष्ठ अधिवक्ता (एमिकस क्यूरी)

सरकारी प्रतिनिधि पदेन सदस्य होंगे:

  • उच्च शिक्षा विभाग, सामाजिक न्याय मंत्रालय, महिला एवं बाल विकास मंत्रालय, विधि मंत्रालय तथा शिक्षा मंत्रालय के सचिव स्तर के अधिकारी।

पहली बैठक और कार्य योजना:

29 मार्च 2025 को टास्क फोर्स की पहली बैठक वर्चुअल माध्यम से आयोजित हुई। अध्यक्ष न्यायमूर्ति भट ने बैठक के एजेंडे की रूपरेखा पेश की और कहा कि विभिन्न हितधारकों — शिक्षक, छात्र, सामाजिक क्षेत्र से जुड़े लोग और नीति निर्माता — से डेटा इकट्ठा करना बेहद ज़रूरी है। इसके लिए विभिन्न प्रश्नावली तैयार की जाएंगी।

टास्क फोर्स ने अपने कार्यों को सुव्यवस्थित करने के लिए तीन कार्य समूहों का गठन किया है। अब तक की गतिविधियों में पिछली रिपोर्टों की समीक्षा, मौजूदा नीतियों और विनियमों का अध्ययन, और सर्वेक्षण हेतु प्रश्नावली डिज़ाइन करना शामिल है।

न्यायालय का संदेश स्पष्ट है:
अब समय आ गया है कि देश की शिक्षा व्यवस्था केवल अकादमिक उत्कृष्टता पर नहीं, बल्कि छात्रों की मानसिक और भावनात्मक भलाई पर भी ध्यान दे। आत्महत्या किसी छात्र की व्यक्तिगत विफलता नहीं, बल्कि संस्थागत असंवेदनशीलता का संकेत है।

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