सुशीला कार्की ने संभाली नेपाल की ध्वस्त शासन व्यवस्था की कमान

काठमांडू, 13 सितम्बर। नेपाल की पूर्व मुख्य न्यायाधीश, सुशीला कार्की, ने 12 सितंबर की देर साय को नेपाल के अंतरिम प्रधानमंत्री के रूप में कार्यभार संभाला। यह एक ऐतिहासिक क्षण है क्योंकि वह नेपाल के इतिहास में इस महत्वपूर्ण पद को संभालने वाली पहली महिला हैं। यह नियुक्ति पूर्व प्रधानमंत्री केपी शर्मा ओली के इस्तीफे के बाद हुई, जिनकी सरकार को सोशल मीडिया पर प्रतिबंध लगाने के कारण देशव्यापी विरोध प्रदर्शनों का सामना करना पड़ा था।
यह विरोध, जिसे ‘जेन ज़ी’ आंदोलन भी कहा जाता है, नेपाल के युवाओं द्वारा भ्रष्टाचार और राजनीतिक अस्थिरता के खिलाफ बढ़ते असंतोष को दर्शाता है। राष्ट्रपति रामचंद्र पौडेल ने शीतल निवास में आयोजित एक समारोह में सुशीला कार्की को पद और गोपनीयता की शपथ दिलाई। इस समारोह में नेपाल के मुख्य न्यायाधीश, वरिष्ठ सरकारी अधिकारी और विदेशी राजनयिक भी उपस्थित थे।
भ्रष्टाचार के खिलाफ कड़ा रुख
कार्की की नियुक्ति का निर्णय राष्ट्रपति पौडेल, सेना प्रमुख जनरल अशोक राज सिग्देल और युवा प्रदर्शनकारियों के प्रतिनिधियों के बीच कई बैठकों के बाद लिया गया। अंतरिम सरकार का मुख्य कार्य अगले छह महीनों के भीतर नए संसदीय चुनाव कराना है। कार्यभार संभालने के तुरंत बाद, सुशीला कार्की ने अपनी पहली कैबिनेट बैठक में 4 मार्च 2026 को नए आम चुनाव कराने का प्रस्ताव रखा।
सुशीला कार्की को उनकी ईमानदारी और निष्पक्षता के लिए जाना जाता है। वह जुलाई 2016 में नेपाल की पहली महिला मुख्य न्यायाधीश बनी थीं। हालांकि, उनका कार्यकाल एक साल से भी कम समय तक चला क्योंकि सांसदों ने उनके खिलाफ महाभियोग प्रस्ताव पेश किया था, जो बाद में असफल रहा। अपनी न्यायिक सेवा के दौरान, उन्होंने भ्रष्टाचार के खिलाफ कड़ा रुख अपनाया, जिसने उन्हें जेन ज़ी प्रदर्शनकारियों और आम जनता के बीच एक लोकप्रिय चेहरा बना दिया।
भारत ने भी नेपाल में नई अंतरिम सरकार के गठन का स्वागत किया है और उम्मीद जताई है कि यह नेपाल में शांति और स्थिरता लाने में मदद करेगा।
