टीबी उन्मूलन 2025: क्या यह सिर्फ एक सपना है?
The Government of India launched the 100-day TB Elimination Campaign with the goal of making the country TB-free by 2025. The Prime Minister called it a decisive step, but the reality is that TB remains a serious threat to millions of lives. The question arises—did this campaign, conducted across 347 districts, achieve the desired results? Data suggests that the path to TB eradication is still difficult and full of challenges. Tuberculosis (TB) is an infectious disease caused by the Mycobacterium tuberculosis bacterium. It primarily affects the lungs but can also damage other vital organs of the body. Every year, March 24 is observed as World Tuberculosis Day to highlight global efforts against TB. However, the critical question remains: Are we truly on track to eliminate TB by 2025, or will this goal remain just an aspiration? Will it become a reality, or will it remain merely a dream?—JS Rawat
2025 तक भारत को टीबी मुक्त बनाने के लक्ष्य के तहत सरकार ने 100 दिवसीय टीबी उन्मूलन अभियान की शुरुआत की थी। प्रधानमंत्री द्वारा इसे एक निर्णायक कदम बताया गया, लेकिन वास्तविकता यह है कि टीबी आज भी लाखों जिंदगियों के लिए गंभीर खतरा बनी हुई है। 347 जिलों में चलाया गया यह अभियान क्या वास्तव में वांछित परिणाम दे पाया? आंकड़े बताते हैं कि टीबी उन्मूलन की राह अब भी कठिन बनी हुई है। क्षय रोग (टीबी) एक संक्रामक बीमारी है, जो माइकोबैक्टीरियम ट्यूबरक्यूलोसिस (Mycobacterium tuberculosis) नामक जीवाणु से फैलती है। यह मुख्य रूप से फेफड़ों को प्रभावित करता है, लेकिन शरीर के अन्य अंगों को भी नुकसान पहुँचा सकता है। हर वर्ष 24 मार्च को विश्व क्षय रोग दिवस (World Tuberculosis Day) मनाया जाता है। यह दिन उन प्रयासों को रेखांकित करने का अवसर प्रदान करता है जो क्षय रोग (टीबी) के उन्मूलन के लिए किए जा रहे हैं। लेकिन सवाल यह उठता है कि क्या हम 2025 तक इस बीमारी को समाप्त करने की राह पर हैं, या फिर यह लक्ष्य सिर्फ एक आकांक्षा बनकर रह जाएगा?
भारत में टीबी की स्थिति
भारत में राष्ट्रीय टीबी उन्मूलन कार्यक्रम (NTEP) के तहत टीबी के मामलों में कमी आई है, लेकिन यह गिरावट पर्याप्त नहीं है। 2015 में प्रति 100,000 आबादी पर 237 मामलों की तुलना में 2023 में यह संख्या घटकर 195 हुई, लेकिन यह 100% उन्मूलन से अब भी बहुत दूर है। टीबी से संबंधित मौतों में भी 21.4% की कमी आई है, फिर भी हर साल हजारों लोग इस बीमारी का शिकार हो रहे हैं।
विश्व स्वास्थ्य संगठन (WHO) की वैश्विक तपेदिक रिपोर्ट 2024 के अनुसार, भारत में टीबी के मामलों में गिरावट की दर वैश्विक औसत (8.3%) से दोगुनी तेज रही है। लेकिन सवाल यह है कि क्या यह दर 2025 तक उन्मूलन के लिए पर्याप्त होगी? विशेषज्ञ मानते हैं कि अगर टीबी को पूरी तरह खत्म करना है, तो सिर्फ दवाओं से ही नहीं, बल्कि सामाजिक-आर्थिक सुधारों से भी जुड़कर काम करना होगा।
100 दिवसीय टीबी उन्मूलन अभियान – क्या यह सफल रहा?
भारत सरकार ने टीबी के उन्मूलन को गति देने के लिए 100 दिवसीय टीबी उन्मूलन अभियान शुरू किया। केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्री श्री जगत प्रकाश नड्डा ने हरियाणा के पंचकूला में इस पहल की शुरुआत की। यह अभियान 347 जिलों में असुरक्षित आबादी के लिए टीबी की पहचान, निदान में देरी को कम करने और उपचार के परिणामों को बेहतर बनाने पर केंद्रित था। लेकिन क्या यह पूरी तरह सफल रहा? विशेषज्ञों का मानना है कि सिर्फ 100 दिनों में किसी महामारी जैसी बीमारी को नियंत्रित करना अव्यावहारिक है। टीबी उन्मूलन के लिए निरंतर प्रयास, मजबूत स्वास्थ्य प्रणाली, व्यापक जन-जागरूकता, पोषण सुधार और सामाजिक-आर्थिक स्थितियों को बेहतर बनाने की जरूरत है।
टीबी से बचाव और उपचार में कहां चूक हो रही है?
टीकाकरण: बीसीजी (BCG) वैक्सीन नवजात शिशुओं को दी जाती है, लेकिन यह सिर्फ गंभीर टीबी के मामलों से बचाव करती है। सक्रिय टीबी की रोकथाम के लिए नए टीकों की जरूरत है।
जल्दी पहचान और इलाज: टीबी के मामलों की रिपोर्टिंग में अब भी देरी हो रही है, जिससे संक्रमण का प्रसार बढ़ता है।
साफ–सफाई और पोषण: कुपोषण टीबी को बढ़ावा देने वाला एक बड़ा कारक है, लेकिन इस दिशा में सरकार के प्रयास अधूरे हैं।
सार्वजनिक स्वास्थ्य पहल: जागरूकता अभियान चल रहे हैं, लेकिन ग्रामीण और गरीब तबके तक इनकी पहुंच अब भी सीमित है।
क्या भारत 2025 तक टीबी मुक्त हो सकता है?
भारत ने 2025 तक टीबी उन्मूलन का लक्ष्य रखा है, लेकिन विशेषज्ञों का मानना है कि यह लक्ष्य कठिन है। WHO की “End TB” रणनीति के तहत संक्रमित व्यक्तियों के उपचार पर जोर दिया जा रहा है, लेकिन मौजूदा गति से यह संभव नहीं दिखता।
टीबी उन्मूलन सिर्फ एक स्वास्थ्य मुद्दा नहीं है, बल्कि गरीबी, कुपोषण, भीड़भाड़, कमजोर स्वास्थ्य सेवाओं और जागरूकता की कमी से भी जुड़ा हुआ है। अगर सरकार और समाज ने मिलकर अधिक गंभीर प्रयास नहीं किए, तो 2025 का लक्ष्य एक असफल वादा बन सकता है।टीबी के उन्मूलन के लिए सिर्फ संकल्प ही नहीं, बल्कि ठोस रणनीति और निरंतर प्रयासों की जरूरत है। 100 दिन का अभियान सराहनीय था, लेकिन यह मात्र एक शुरुआत थी। इसे लंबी अवधि की नीति, सशक्त स्वास्थ्य प्रणाली और सामाजिक सुधारों से जोड़ना होगा। टीबी से मुक्त भारत का सपना तभी साकार होगा जब हम सभी इस अभियान में सक्रिय भूमिका निभाएंगे और “टीबी हारेगा, देश जीतेगा!” के संकल्प को पूरी निष्ठा से साकार करेंगे।
विश्व क्षय रोग दिवस की पूर्व संध्या पर भारत के राष्ट्रपति का संदेश
विश्व क्षय रोग दिवस हर साल 24 मार्च को मनाया जाता है। भारत की राष्ट्रपति श्रीमती द्रौपदी मुर्मू ने विश्व क्षय रोग दिवस की पूर्व संध्या पर अपने संदेश में कहा है:-
“विश्व क्षय रोग दिवस के अवसर पर, मैं स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण मंत्रालय के तत्वावधान में राष्ट्रीय क्षय रोग उन्मूलन कार्यक्रम द्वारा जन भागीदारी के माध्यम से जागरूकता पैदा करने के लिए चलाए जा रहे राष्ट्रीय अभियान की सराहना करती हूँ।
इस वर्ष के विश्व क्षय रोग दिवस का विषय है – “हाँ, हम क्षय रोग को समाप्त कर सकते हैं: प्रतिबद्ध, निवेश और परिणाम” । यह इस समझ को दर्शाता है कि क्षय रोग को समाप्त करने के लिए एकजुट और ठोस वैश्विक प्रयास की आवश्यकता है। क्षय रोग का उन्मूलन राष्ट्रीय और वैश्विक स्वास्थ्य चुनौती है। इस संक्रामक रोग ने दुनिया भर में लाखों लोगों को सामाजिक और आर्थिक रूप से प्रभावित किया है। क्षय रोग को समाप्त करने के हमारे एकजुट प्रयासों और राष्ट्रीय क्षय रोग उन्मूलन कार्यक्रम के तहत जागरूकता अभियानों के परिणामस्वरूप पिछले एक दशक में देश में क्षय रोग के मामलों में भारी कमी आई है। मैं राष्ट्रीय क्षय रोग उन्मूलन कार्यक्रम की इस उल्लेखनीय उपलब्धि की सराहना करती हूँ।
मैं सभी संबंधित पक्षों और प्रतिभागियों से सामूहिक रूप से काम करने और भारत को टीबी मुक्त बनाने का आग्रह करती हूं।”