टीएमयू ने मास्टर आरव के वार्म वेलकम को पलक पांवड़े बिछाए

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दस बरस के आरव नेता जी को लेकर देशभर में जला रहे हैं अलख, तीर्थंकर महावीर यूनिवर्सिटी में पहुंचकर मणिपुर से 2200 किलोमीटर की साइकिल यात्रा की मुकम्मल
खास बातें
  • आठ राज्यों से होकर 15 मई को पहुंचेंगे दिल्ली के सुभाष चंद्र बोस स्मारक पर
  • दादा जी से नेता जी की बहादुरी की कहानियाँ सुन-सुन कर आरव हुए प्रेरित
  • रोहिणी में छठी के छात्र आरव भारद्वाज दिल्ली के डॉक्टर दम्पति के हैं पुत्र
प्रोफसर श्याम भाटियाL
दस बरस के साइकिल यात्री आरव भारद्वाज के तीर्थंकर महावीर यूनिवर्सिटी पहुंचने पर यूनिवर्सिटी ने वार्म वेलकम को पलक पांवड़े बिछा दिए हैं। न केवल कुलपति प्रो. रघुवीर सिंह ने आरव को बुके दी बल्कि यूनिवर्सिटी के आला अफसरों, निदेशकों, प्राचार्यों, फेकल्टीज बल्कि स्टुडेन्टस ने कतारबद्ध होकर फूलमालाओं से स्वागत किया। स्वागत करने वालांे में निदेशक प्रशासन श्री अभिषेक कपूर, रजिस्ट्रार डॉ. आदित्य शर्मा के संग-संग टीएमयू परीक्षा नियंत्रक डॉ. प्रदीप अग्रवाल, डेंटल कॉलेज के प्राचार्य प्रो. मनीष गोयल, एफओईसीएस के डॉयरेक्टर प्रो. आरके द्विवेदी फार्मेसी कॉलेज के प्राचार्य डॉ.  अनुराग वर्मा, एफओई की प्राचार्या प्रो. रश्मि मेहरोत्रा, टीएसीओई के प्राचार्य डॉ. रत्नेश जैन, नर्सिंग कॉलेज के प्राचार्य डॉ. एसके कुलकर्णी, फिजिकल एजुकेशन कॉलेज के प्राचार्य प्रो. मनु मिश्रा, श्री योगेश शर्मा, ज्वाइंट रजिस्ट्रार रिसर्च, डॉ. ज्योतिपुरी, डिप्टी डॉयरेक्टर-एकाउंटस श्री गौरव अग्रवाल, फाइनेंस ऑफिसर डॉ. हर्षित जैन के संग-संग बड़ी संख्या में यूनिवर्सिटी के स्टुडेंटस भी शामिल थे। आरव के साथ हौसला अफजाई को उनके दादा एमएस भारद्वाज और पिता डॉ. अतुल भारद्वाज भी थे। यूनिवर्सिटी में इनका भी बुके देकर स्वागत किया गया।
आखिर कौन है मास्टर आरव भारद्वाज
नेताजी सुभाष चंद्र बोस के संदेश को देश के कोने-कोने में फैलाने के लिए 2500 किलोमीटर के साइकिल अभियान पर निकले दिल्ली के 10 वर्षीय आरव भारद्वाज गुरूवार को तीर्थंकर महावीर विश्वविद्यालय, मुरादाबाद कैम्पस पहुंचे। इसी के साथ उन्होंने अपना करीब 2200 किलोमीटर से अधिक का सफर पूरा कर लिया है। रोहिणी के छठी कक्षा में पढ़ने वाले आरव भारद्वाज दिल्ली के एक डॉक्टर दंपति के बेटे हैं। उनके पिता सर्जन, जबकि उनकी माँ एक बाल रोग विशेषज्ञ हैं। वह बोस के उत्साही प्रशंसक हैं और उन्हें श्रद्धांजलि के रूप में साइकिल चलाने का फैसला किया है। वह मणिपुर सहित आठ राज्यों से गुजरते हुए 15 मई को दिल्ली के सुभाष चंद्र बोस स्मारक पर पहुंचेंगे। आज जब पूरा देश बोस जी की 125वीं जयंती और 75वां आजादी का अमृत महोत्सव मना रहा है, ऐसे में छोटी उम्र में ही इतनी लम्बी दूरी साइकिल से तय करने का साहसिक निर्णय बेमिसाल है।
मोबाइल फोन, सोशल मीडिया और फास्ट फूड को छोड़े युवा पीढ़ी
उल्लेखनीय है, उन्होंने 14 अप्रैल को मणिपुर के मोइरंग से अपनी यात्रा शुरू की है, जहॉ से कभी देश की आजादी को लड़ने के लिए नेता जी ने प्रारम्भ की थी। वह भारतीय राष्ट्रीय सेना-आईएनए का आधार था। मणिपुर के मुख्यमंत्री श्री एन बीरेन सिंह ने मोइरंग में आईएनए युद्ध स्मारक से आरव की साइकिल यात्रा को हरी झंडी दिखाई। आरव बताते हैं कि देश प्रेम और नेता जी से लगाव दादा जी एमएस भारद्वाज के कारण हुआ। जब मैं कक्षा दो में था तो दादा जी ने स्वतंत्रता सेनानियों के बारे में कहानियाँ सुनाने लगे थे। आरव अपनी याददाश्त पर जोर देते हुए बताते हैं, दादा जी ने बताया -14 अप्रैल, 1944 को नेताजी के नेतृत्व में आईएनए ने ब्रिटिश सैनिकों को हराया था। दादा जी से कहानियॉ सुन-सुन कर मैं नेताजी और देश के लिए उनकी लड़ाई से प्रेरित हुआ था। साथ ही आरव ने बाकी बच्चों को संदेश दिया कि बच्चों का ध्यान मोबाइल फोन, सोशल मीडिया और फास्ट फूड की ओर न होकर, खेलों की ओर अग्रसर होना चाहिए ताकि वे देश के लिये पदक अर्जित कर सके।

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