तीर्थंकर महावीर यूनिवर्सिटी के रिद्धि-सिद्धि भवन में उत्तम संयम धर्म पर बही आस्था की बयार
ख़ास बातें
- डॉ. रत्नेश, डॉ. विपिन, डॉ. रजनीश, रजत ने स्वर्ण कलशों से किया अभिषेक
- ताण्डव और राजस्थानी नृत्य, कमठ का उपसर्ग नाटक की प्रभावी प्रस्तुतियां
- टिमिट के अंतिम बरस के 95 स्टुडेंट्स को स्मृति चिन्ह देकर की विदाई
- कुलपति प्रो. रघुवीर सिंह ने बतौर मुख्य अतिथि किया दीप प्रज्जवलित
-प्रो. श्याम सुंदर भाटिया
उत्तम संयम धर्म के दिन प्रथम स्वर्ण कलश से अभिषेक का सौभाग्य डॉ. रत्नेश जैन, द्वितीय स्वर्ण कलश का डॉ. विपिन जैन, तृतीय स्वर्ण कलश का डॉ. रजनीश जैन, चतुर्थ स्वर्ण कलश का सौभाग्य रजत जैन को मिला। प्रथम स्वर्ण कलश से शांतिधारा करने का सौभाग्य सीसीएसआईटी के छात्रों अनिकेत जैन, पारस जैन, संस्कार जैन, सागर जैन, सनिष्क जैन और द्वितीय रजत कलश से शांतिधारा करने का सौभाग्य संयम जैन, अंबुज जैन, संस्कार जैन, अर्पित जैन, श्रुतिक जैन, गर्वित जैन को प्राप्त हुआ। इस मौके पर कुलाधिपति श्री सुरेश जैन, फर्स्ट लेडी श्रीमती बीना जैन, ग्रुप वाइस चेयरमैन श्री मनीष जैन, इनकी धर्मपत्नी श्रीमती रिचा जैन गरिमामई मौजूदगी रही। दूसरी ओर टीएमयू ऑडी में आयोजित कल्चरल इवनिंग में टिमिट के छात्र – छात्राओं ने देशभक्ति से ओतप्रोत कार्यक्रमों से सभी का दिल जीत लिया। इससे पूर्व इस सांस्कृतिक सांझ का यूनिवर्सिटी के कुलपति प्रो. रघुवीर सिंह ने बतौर मुख्य अतिथि दीप प्रज्जवलित करके शुभारम्भ किया। इस मौके पर विशिष्ट अतिथि के तौर पर सीए श्री अभिनव अग्रवाल, उनकी धर्मपत्नी श्रीमती ऋचा अग्रवाल, रजिस्ट्रार डॉ. अदित्य शर्मा उपस्थित रहे। मुख्य अतिथि प्रो. रघुवीर सिंह ने दस लक्षण महापर्व के महत्व पर प्रकाश डालते हुए कहा, मनुष्य को स्वयं आत्म विश्लेषण करने का मौका मिलता है, इसीलिए जैन समाज दस प्रमुख सिद्धान्तों का कड़ाई से पालन करता है। प्रो. सिंह बोले, आदमी को हमेशा सत्य बोलना चाहिए। सच यह है, सत्य वही बोल सकता है, जिसने कमजोरी पर विजय पा ली हो। इन अतिथियों ने एमबीए, बीबीए, बीकॉम, एलएलबी के अंतिम बरस के 95 जैन छात्र-छात्राओं को स्मृति चिन्ह देकर विदाई दी।
कल्चरल इवनिंग का शुभारम्भ मंगलाचरण से हुआ, जिसमें सेजल जैन, अंशिका जैन, रिधि जैन, तृप्ति जैन, पायल जैन, आयुषी जैन, अनन्या तारिया, वेदिका जैन ने भाग लिया। ताण्डव नृत्य में वर्तिका मोदी, श्रीयांश जैन जबकि राजस्थानी नृत्य में आकांक्षा जैन, सोलंकी जैन, अशिका जैन, निकिता शुक्ला, अर्पिता जैन आदि की अविस्मरणीय प्रस्तुति रही। जैन नाटिका – कमठ का उपसर्ग में दर्शाया गया, पार्श्वनाथ भगवान का कमठ के साथ आठ जन्म तक कैसा बैर था? वह बैर, जब भगवान वीतराग हुए, तब जाकर छूटा। प्रभु भक्ति पर लॉ की छात्राओं ने नृत्य प्रस्तुत किया। जज पैनल में एसोसिएट डीन टीएमयू डॉ. मंजुला जैन, ज्वाइंट रजिस्ट्रार टीएमयू डॉ. अल्का अग्रवाल, ज्वाइंट रजिस्ट्रार टीएमयू डॉ. ज्योति पुरी, एंक्रिंग तन्मय माथुर और साक्षी जैन ने की। कार्यक्रम के मुख्य कॉऑर्डिनेटर डॉ. विभोर जैन जबकि सहायक कॉऑर्डिनेटर्स गरिमा रावत, डॉ. अंकित कुमार, श्रीमती दीप्ति राज वर्मा आदि मौजूद रहे।
कोटा से आयीं ब्रह्मचारिणी आशा जैन ने उत्तम संयम धर्म पर अपने प्रवचन में एक नर्तकी की कहानी सुनाई। उन्होंने कहा, जो संयम धारण करेगा, वह मोक्ष प्राप्त करेगा। सौ धर्म इन्द्र और देव भी इसे प्राप्त करने में सक्षम नहीं हो पाते हैं। संयम दो तरह के होते हैं, प्राणी संयम और इन्द्रिय संयम। पाँच इन्द्रिय और मन को केवल कर्मभूमि का मनुष्य ही नियंत्रित कर संयम रख सकता है। जैसे कई बीज बोने पर भी केवल वे ही बीज पौधे बन पाते है, जो संयम रख पाते है, पुण्यशाली होते हैं। ब्रह्मचारिणी आशा जैन ने अपनी मधुर और सुरीली आवाज भक्तिमय पूजन कराया। उनके साथ लोहागढ़ से आयीं ब्रह्मचारिणी रेखा जैन भी उपस्थित रहीं। आज समुच्चय पूजन, भगवान महावीर पूजन , सोलहकरण पूजन और दसलक्षण पूजन हुई। दिल्ली से आई सरस एंड पार्टी ने अपनी सुरीली आवाज में पारसनाथ जी के जयकारों से मधुवन गूंजे रे, मधुवन चालो रे ….., स्वर्ण कलश से डगरी भरो, आज प्रभु न्हवन करेंगे ….. , भला किसी का कर ना सको, तो बुरा किसी का मत करना ….. , लागी लागी रे लगन प्रभु नाम की ….. , मस्ती में झूमे मस्ताने हो गए, बाबा तेरे दीवाने हो गए ….. , पंखिड़ा ओ पंखिड़ा ….. , सरीखे भजनों से पूरा रिद्धि- सिद्धि भवन भक्तिमय हो गया।