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राजा राम का अपनी जनता को पहला संबोधन

 

-गोविंद प्रसाद बहुगुणा

अयोध्या के शासन का कार्यभार संभालने के बाद राजा राम का यह पहला पब्लिक एड्रेस था या प्रेस कॉन्फ्रेंस थी , कुछ भी कह लीजिए आज की भाषा में, उन्होंने सबको बुलाया जिसमें उनके मंत्री, राज्यकर्मी, वरिष्ठ नागरिक और प्रबुद्ध जन आदि सब आमंत्रित किए गये थे और कहा कि-भाई, मेरी कोशिश यही रहेगी कि जो तुम लोग चाहोगे,मैं तुम्हारी अपेक्षाओं पर खरा उतरने की भरसक कोशिश करूं लेकिन गलतियां हर इंसान से हो जाती हैं।यदि आपको लगे कि मैं कुछ गलत कह रहा हूं या कर रहा हूं , तो आप लोग नि:स़कोच मुझे सावधान कर दें। मेरी अपेक्षा यही है कि सभी कर्मचारी राज्य की नीति के अनुसार ठीक से काम करें। यह मनुष्य जन्म बड़े भाग्य से मिलता है लेकिन यह भी सबसे बड़ा सौभाग्य होता है जब आपको जनता की सेवा करने का अवसर मिले -तब राजा के रूप में वह मैं हूं अथवा राज्य का कोई सामान्य कर्मचारी।…
“एक बार रघुनाथ बोलाए। गुर द्विज पुरबासी सब आए॥
बैठे गुर मुनि अरु द्विज सज्जन। बोले बचन भगत भव भंजन॥1॥
* सुनहु सकल पुरजन मम बानी। कहउँ न कछु ममता उर आनी॥
नहिं अनीति नहिं कछु प्रभुताई। सुनहु करहु जो तुम्हहि सोहाई॥2॥
* सोइ सेवक प्रियतम मम सोई। मम अनुसासन मानै जोई॥
जौं अनीति कछु भाषौं भाई। तौ मोहि बरजहु भय बिसराई॥3॥
* बड़ें भाग मानुष तनु पावा। सुर दुर्लभ सब ग्रंथन्हि गावा॥
साधन धाम मोच्छ कर द्वारा। पाइ न जेहिं परलोक सँवारा॥4॥”
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