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हिमाचल में नमक के पहाड़ : सेंधा नमक की कमी पूरी कर रहा है हिमालय

–जयसिंह रावत

नमक समुद्र से ही नहीं बल्कि हिमालय से भी निकलता है. और इसकी खानें ज्यादा दूर नहीं बल्कि उत्तराखंड के पड़ोस हिमाचल प्रदेश में हैं।  हिमाचल समेत देश भर में सेंधा नमक को लेकर पाकिस्तान पर निर्भरता अब खत्म हो जाएगी।यह नमक समुद्र वाले नमक से भी अधिक गुणकारी और  औषधीय गुणों से भरपूर सेंधा नमक है।   व्रत और त्योहारों के दौरान इस्तेमाल होने वाले सेंधा नमक को रॉक साल्ट माइन से निकालकर खाने योग्य बनाया जाएगा। मंडी के द्रंग में सेंधा नमक की खान है। यहां से हिंदुस्तान साल्ट लिमिटेड कंपनी ने 5 टन नमक निकाल लिया है। इसे सोल्यूशन माइनिंग टेक्नोलॉजी से खाने योग्य बनाया जाएगा।

16.03 मिलियन टन नमक मौजूद

उल्लेखनीय है कि द्रंग में खान से निकलने वाला नमक खाने योग्य नहीं था। अरसे से इसका उत्पादन ठप था। अप्रैल 2017 में नमक निकालने का काम शुरू किया गया लेकिन अगस्त में बरसात के पानी के बहाव के डर से इसे 2-3 महीनों के लिए बंद करना पड़ा। पानी का बहाव अब भी चुनौती बना है, लेकिन नमक निकालने का काम बहाल कर दिया गया है।  द्रंग की खदानों में करीब 16.03 मिलियन टन नमक मौजूद है। हिंदुस्तान साल्ट लिमिटेड के आंकड़ों के मुताबिक 2018 तक एशिया में रॉक साल्ट का इस्तेमाल 5 फीसदी तक बढ़ेगा।

औषधीय गुणों समेत यह नमक हड्डियों के लिए फायदेमंद होता है। केमिकल फैक्ट्रियों में रॉक साल्ट की भारी मांग है। नमक सजावटी सामान में काम आता है, क्योंकि इसके क्रिस्टल बेहद चमकीले होते हैं।

पाकिस्तान से आता है नमक

पाकिस्तान में इस्लामाबाद से करीब 160 और लाहौर से 260 किलोमीटर दूर झेलम जिले के खेवरा, वारछा और कालाबाग क्षेत्र में सबसे अच्छी गुणवत्ता का सेंधा नमक निकाला जाता है।

खेवरा में दुनिया की दूसरी बड़ी नमक की खदानें हैं। यहां से हर साल करीब 3.25 लाख टन रॉक साल्ट निकलता है। अपनी जरूरत पूरी करने के बाद पाकिस्तान इसे भारत सहित दुनिया के कई देशों को निर्यात करता है।

अब पाकिस्तान पर निर्भरता खत्म, अपने देश में ही मिल जाएगी ये चीज

द्रंग नमक खान में 2011 में नमक का उत्पादन बंद हो गया था. इसके बाद चट्टानी नमक की जगह पर पाकिस्तान के सिंधी नमक की आपूर्ति की जाती रही है. जिसे अब भारत में सप्लाई के लिए बंद करने के संकेत दिए हैं. भारत सरकार के उपक्रम हिन्दुस्तान साल्ट माइन लिमिटेड के अधीन देश की एकमात्र द्रंग और गुम्मा नमक खाने हिमाचल में ही मौजदू हैं. मंडी के द्रंग में सेंधा नमक की खान से हिंदुस्तान साल्ट लिमिटेड कंपनी ने 5 टन नमक निकाल लिया है. इसे सोल्यूशन माइनिंग टेक्नोलॉजी से खाने योग्य बनाया जा रहा है.

रॉक सॉल्ट माइन के एजीएम महेंद्र सिंह ने बताया कि सोल्यूशन माइनिंग टेक्नोलॉजी से नमक को खाने योग्य एवं शुद्ध किया जा रहा है. उल्लेखनीय है कि द्रंग में खान से निकलने वाला नमक खाने योग्य नहीं था. सोल्यूशन माइनिंग टेक्नोलॉजी से नमक को खाने योग्य एवं शुद्ध किया जाएगा। इसमें सबसे पहले पहाड़ को ऊपर से ड्रिल किया जाएगा और बाद में यहां पर मीठा पानी डाला जाएगा। मीठे पानी से अंदर नमक घुल जाएगा। इस नमक के घोल को बाद में प्लांट में लाकर फिल्टर किया जाएगा, जिससे नमक शुद्ध होगा और खाने योग्य बनाया जाएगा।

अरसे से इसका उत्पादन ठप था. अप्रैल 2017 में नमक निकालने का काम शुरू किया गया लेकिन अगस्त में बरसात के पानी के बहाव के डर से इसे 2-3 महीनों के लिए बंद करना पड़ा. पानी का बहाव अब भी चुनौती बना है, लेकिन नमक निकालने का काम बहाल कर दिया गया है.

क्या होता है सेंधा नमक
सेंधा नमक, सैन्धव नमक, लाहौरी नमक या हैलाईट (Halite) सोडियम क्लोराइड (NaCl), यानि साधारण नमक, का क्रिस्टल पत्थर-जैसे रूप में मिलने वाला खनिज पदार्थ है. यह अक्सर रंगहीन या सफ़ेद होता है, हालांकि कभी-कभी अन्य पदार्थों की मौजूदगी से इसका रंग हल्का नीला, गाढ़ा नीला, जामुनी, गुलाबी, नारंगी, पीला या भूरा भी हो सकता है. भारतीय खाने में और चिकित्सा में हाज़मे के लिए इस्तेमाल होने वाला सेंधा नमक होता है.

नाम की उत्पत्ति

ऐतिहासिक रूप से पूरे उत्तर भारतीय उपमहाद्वीप में यह नमक सिंध, पश्चिमी पंजाब के सिन्धु नदी के साथ लगे हुए हिस्सों और ख़ैबर-पख़्तूनख़्वा के कोहाट ज़िले से आया करता था जो अब पाकिस्तान में हैं और जहाँ यह ज़मीन में मिलता है. ‘सेंधा नमक’ और ‘सैन्धव नमक’ का मतलब है ‘सिंध या सिन्धु के इलाक़े से आया हुआ’. पश्चिमोत्तरी पंजाब में नमक कोह (यानि नमक पर्वत) नाम की मशहूर पहाड़ी श्रृंखला है जहाँ से यह नमक मिलता है और इसी इलाक़े में प्रसिद्ध खेवड़ा नमक खान है. इस नमक को ‘लाहौरी नमक’ भी कहा जाता है क्योंकि यह अक्सर लाहौर से होता हुआ पूरे उत्तर भारत में बेचा जाता था.

आयुर्वेद के अनुसार नमक पाचन क्रिया को दुरुस्त रखने में मददगार है. बता दें कि आयुर्वेद में पांच तरह के नमक का जिक्र किया गया है. पहला समुद्र, रोमाका या सांभरा (यह गुजरात और राजस्थान के सांभर झील से निकलता है), तीसरा विदा (यह सांभरा नमक और आंवला चूर्ण को मिश्रण होता है), चौथा सौवर्चला लवण और पांचवा सेंधा नमक. आयुर्वेद में रोजाना सेंधा नमक को प्रयोग में लाने की बात कही गई है क्योंकि यह सबसे शुद्ध होता है और इसमें किसी भी तरह के केमिकल का इस्तेमाल नहीं किया जाता है.

सेंधा नमक एक प्रकार का खनिज नमक (रॉक साल्ट) है जो पाकिस्तान के पंजाब प्रान्त के झेलम जिले के खेवरा खानों से निकलता है। यह थोड़ी लाली लिये हुए सफेद नमक होता है। भारतीय उपमहाद्वीप में उपवासव्रत आदि के समय लोग सेंधा नमक में बना हा अल्पाहार या फलाहार ही लेते हैं। सेंधा नमक को ‘लाहौरी नमक’ भी कहा जाता है, क्योंकि यह पाकिस्तान मे अधिक मात्रा मे मिलता है।

आयुर्वेद की बहुतसी दवाईयों मे सेंधा नमक का उपयोग होता है। सेंधा नमक की सबसे बडी समस्या है कि भारत मे यह काफ़ी कम मात्रा मे होता है। भारत मे ८० प्रतिशत नमक समुद्री है, १५ प्रतिशत जमीनी और केवल पांच प्रतिशत पहाडी यानि कि सेंधा नमक। सेंधा नमक समुद्री नमक से कम नमकीन होता है। साफ़ है कि इसका अधिक उपयोग करना पडता है।

काला नमक और सेंधा नमक दोनो ही खनिज हैं। भारत के हिमाचल प्रदेश में मिलने वाला नमक वस्तुतः सेंधा नमक ही है। भारत में सेंधा नमक राजस्थान के सांभर झील से भी प्राप्त होता है। भारत में यह नमक लघु उद्योगों और हिंदुस्तान साल्ट लिमिटेड के खदानों द्वारा मख्यतः आपूरित होता है।

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