तारा प्रणाली आरएस ऑफियुकी में 1985 से बार-बार विस्फोट दिखाई दे रहे हैं
The star system RS Ophiuchi has shown recurrent eruptions since 1985. The latest has been in August 2021, when it reached a peak visual magnitude of 4.6 – bright enough to be seen with the naked eye. It is a binary system of a white dwarf star and a red giant, in which the latter supplies the white dwarf with fresh, hydrogen-rich fuel for nova eruption. With enough fuel, the material on the surface of the white dwarf achieves a critically high temperature and pressure, and a thermonuclear runaway (TNR) ensues, which lasts for about 1000 seconds. This explosion generates huge energy making the system visible from a far distance. Scientists have been looking for clues from the 2021 eruption to probe into this star system which has shown recurrent phases of becoming Nova—star that suddenly becomes much brighter for a short period.
नक्षत्र ऑफियुकस पर नज़र रखने वाले खगोलविदों ने लगभग 5,000 प्रकाश-वर्ष दूर एक आवर्तक नोवा प्रणाली ( एक ऐसी क्षणिक खगोलीय घटना जिसमें प्रत्यक्ष रूप में एक “नया तारा” दीखता है और धीरे-धीरे कुछ हफ्तों या महीनों में अपनी चमक खो देता है ) को देखा है।
8 अगस्त, 2021 को आरएस ऑफियुकी नामक तारे में हुए विस्फोट से मिले डेटा का उनका अध्ययन, जिसमें तारा एक निरंतर चमक के साथ गर्म, केंद्रीय आयनीकृत श्वेत वामन ( ड्वार्फ ) को दिखाता है, लेकिन एक महीने के भीतर तेजी से उसके तापमान में फोने वाला परिवर्तन , ऐसे टाइप 1ए सुपरनोवा तारे की संरचना को समझने की कुंजी हो सकता है। टाइप 1ए सुपरनोवा एक दुर्लभ प्रकार का अधिनव तारा ( सुपरनोवा ) है जो ऐसी द्वि-आधारी प्रणाली ( बाइनरी सिस्टम – जिसमें दो तारे एक दूसरे की परिक्रमा करते हुए मिलते हैं ) में होता है और उन से एक सितारों में से एक श्वेत वामन ( सफेद बौना – व्हाइट ड्वार्फ ) होता है ।
तारा प्रणाली आरएस ऑफियुकी में 1985 से बार-बार विस्फोट दिखाई दे रहे हैं। नवीनतम विस्फोट अगस्त 2021 में तब हुआ है, जब यह 4.6 के चरम दृश्य परिमाण पर पहुंच गया – और इसे नग्न आंखों से देखा जा सकता है। यह एक सफेद बौने तारे और एक लाल विशालकाय तारे की एक द्वि- आधारी प्रणाली है, जिसमें बाद वाला तारा सफेद बौने को नोवा विस्फोट के लिए ताजा हाइड्रोजन युक्त ईंधन की आपूर्ति करता है। पर्याप्त ईंधन के साथ, सफेद बौने की सतह पर उपलब्ध सामग्री गंभीर रूप से उच्च तापमान और दबाव प्राप्त कर लेने के बाद एक ऐसी तापनाभिकीय प्रक्रिया ( थर्मोन्यूक्लियर रनवे – टीएनआर) बन जाती है है, जो लगभग 1000 सेकंड तक चलती है। इससे हुआ विस्फोट विशाल ऊर्जा उत्पन्न करता है जिससे यह प्रणाली दूर से ही दिखाई देने लगती है। वैज्ञानिक इस तारा प्रणाली की जांच के लिए 2021 के विस्फोट से ही कोई ऐसा संकेत ढूंढ रहे हैं, जिसने नोवा-स्टार बनने के उन आवर्ती चरणों को दिखाया है जो अचानक छोटी अवधि के लिए बहुत उज्ज्वल हो जाते हैं।
एस.एन. विज्ञान और प्रौद्योगिकी विभाग ( डीएसटी ) के एक स्वायत्त संस्थान, एस. एन. बोस राष्ट्रीय मौलिक विज्ञान केंद्र ( एस. एन. बोस नेशनल सेंटर फॉर बेसिक साइंसेज – एसएनसीबीएस ) के खगोग भौतिकीविदों ने आरएस ऑफियुकी नोवा के विकसित होने वाले वर्णक्रम ( स्पेक्ट्रा ) का अध्ययन करने के लिए एस्ट्रोनॉमिकल रिंग फॉर एक्सेस टू स्पेक्ट्रोस्कोपी डेटाबेस ( एआरएएसडी ) से आवश्यक डेटा प्राप्त किया।
एस.एन. बोस केंद्र में खगोल भौतिकी टीम के प्रमुख डॉ. रामकृष्ण दास ने पाया कि हर विस्फोट के साथ, सफेद बौना उत्सर्जित द्रव्यमान का कम से कम 10 प्रतिशत होता है। उनका मानना है कि अंतत: यह टाइप 1ए सुपरनोवा के रूप में फटेगा और जब भी ऐसी घटना अगर होती है तो यह टाइप 1ए सुपरनोवा के आसपास के उस अनुमान का अंतिम प्रमाण होगा, जिसमें कहा गया है कि यदि एक सफेद बौना 1.4 सौर द्रव्यमान की चंद्रशेखर सीमा को पार करता है, तो यह अपने गुरुत्वाकर्षण दबाव के कारण ध्वस्त हो जाता है और एक नए टाइप 1ए सुपरनोवा को जन्म देता है ।
ऐसा इसलिए है क्योंकि तारे के केंद्र ( कोर ) में इलेक्ट्रॉन अपक्षय दबाव अब गुरुत्वाकर्षण दबाव को संतुलित करने के लिए पर्याप्त नहीं है, जिससे इसका विखंडन हो सकता है । आरएस ऑफ द्वि- आधारी ( बाइनरी ) में सफेद बौने का द्रव्यमान 1.2 से 1.38 सौर द्रव्यमान के बीच होने का अनुमान है। उन्होंने उत्सर्जित द्रव्य ( इजेक्टा ) के त्रि- आयामी ( 3डी ) मॉर्फो काइनेमैटिक मॉडल की मदद से यह अध्ययन किया।
उनका मॉडल यह संकेत देता है कि हीलियम से हाइड्रोजन अनुपात 1.4 से बढ़कर 1.9 हो गया है और नाइट्रोजन से हाइड्रोजन अनुपात 70 से बढ़कर 95 हो गया है। ऑक्सीजन से हाइड्रोजन अनुपात, साथ ही लौह तत्व ( आयरन ) से हाइड्रोजन अनुपात में अत्यधिक वृद्धि हुई है। भारी तत्वों की बढ़ती बहुतायत संलयन ( फ्यूजन ) प्रतिक्रियाओं को ऊर्जा जारी करने का संकेत देती है। उत्सर्जित द्रव्य ( इजेक्टा ) में भी नाइट्रोजन भारी मात्रा में पाया गया। प्रणाली के उत्सर्जित हाइड्रोजन आवरण का द्रव्यमान का भी 3.54 से 3.83 X 10-6 सौर द्रव्यमान की सीमा में होने का अनुमान लगाया गया है ।
डॉ. दास बताते हैं कि आकाश गंगा ( मिल्की वे गैलेक्सी ) में दस आवर्ती नोवा हैं , लेकिन 1988 के बाद से मिल्की वे में सुपरनोवा विस्फोट नहीं हुआ है। सम्भवतः आरएस ऑफ का अगला विस्फोट हमें टाइप 1ए सुपरनोवा के तंत्र को समझने के निकट ले जाएगा ।
अधिक जानकारी के लिए कृपया ramkrishna.das@bose.res.in पर डॉ. रामकृष्ण दास से संपर्क करें।