हादसों, घोटालों और अंकिता हत्याकांड के नाम रहा साल 2022

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-जयसिंह रावत
समय का चक्र घूमते-घूमते खट्टी मीठी यादों और नयी उम्मीदों को लेकर नये साल की दहलीज पर आ गया। नव वर्ष के नये संकल्पों, नयी आशाओं और अभिलाषाओं के साथ नये वर्ष में प्रवेश के साथ ही प्रदेशवासी शायद ही गुजरने वाले साल की कुछ यादें भूल पायेंगे। गुजरने वाला साल राजनीतिक घटनाक्रमों की गरमाहट, सड़क हादसों की चीत्कारों और और घटालों के खुलासों के लिये याद रहेगा। साल 2022 सरकारी नौकरियों में बैक डोर भर्तियों, आला अफसरों की गिरफ्तारियों तथा विधानसभा के सेकड़ों कर्मचारियों को निकाले जाने के लिये भी याद रहेगा। गुजर रहे वर्ष सत्ताधारी दल ही ज्यादा सुर्खियां बनाता रहा।साल के अंत में 30 दिसंबर  रुड़की के निकट एक सड़क दुर्घटना में उत्तराखंड के क्रिकेट स्टार ऋषभ पंत घायल हो गए । उनका इलाज देहरादून के एक प्राइवेट अस्पताल में चल रहा है ।  उनकी कुशल क्षेम पूछने देश भर से बड़ी बड़ी हस्तियां देहरादून पहुँच रही हैं । सरकार  और देश वासियों को इतना अधिक पौड़ी  में 33 बारातियों के सड़क हादसे में मारे जाने और 29 युवा पर्वतारोहियों के उत्तरकाशी के द्रोपदी का डांडा में मरे जाने तथा जुलाई ऐसा मध्य प्रदेश के 25  तीर्थ यात्रियों के मारे  जाने  की घटनाओं ने नहीं झकझोरा जितना कि ऋषभ पंत के घायल होने ने व्याकुल किया ।

नयी बोतल में मिली पुरानी ही शराब

पिछले दो दशकों से चले आ रहे बारी-बारी सत्ता बदल टेंªड के अनुसार उत्तराखण्ड को बीतने जा रहे वर्ष नयी सरकार मिलनी थी। लेकिन सत्तारूढ़ भाजपा ने पहली बार वह टेंªड तोड़ दिया। हालांकि मुस्लिम यूनिवर्सिटी जैसे साम्प्रदायिक मुद्दों की भी रिवाज परिवर्तन में अहं भूमिका रही और राज्य को नये चुनाव में पुरानी ही सरकार मिल गयी। जबकि बाद में वह हिमाचल प्रदेश वे वह टेंªड नहीं तोड़ पायी। इस चुनाव में भाजपा ने भारतीय जनता पार्टी द्वारा उत्तराखंड में युवा पुष्कर सिंह धामी पर लगाया गया दांव चला था। पार्टी ने 70 विधानसभा सीटों में से 47 विधानसभा सीटें जीत कर लगातार दूसरी बार सरकार बना ली । जबकि कांग्रेस के खाते में महज 19 सीटें आईं। इस चुनाव में स्वयं मुख्यमंत्री का हार जाना भी एक अविष्मरण्ीय घटना थी। फिर भी पार्टी नेतृत्व ने उन पर अपना विश्वास बरकरार रखा और इस विश्वास को धामी ने चम्पावत उपचुनाव में ऐतिहासिक जीत दर्ज कर कायम रखा। राज्य में पहली बार कोई प्रत्याशी कुल मतों का 93 प्रतिशत अपनी झोली में डाल कर जीता। इस वर्ष के पंचायत चुनाव में भी भाजपा को सन्तोषजनक सफलता मिली। हरिद्वार में बड़ी संख्या में जो निर्दलीय चुनाव जीते थे उनको सत्ता का आकर्षण भाजपा विलीन कर गया।

भाजपा-कांग्रेस के अध्यक्ष बदले, प्रतिपक्ष को भी मिला नया नेता

उत्तराखंड में भाजपा और कांग्रेस के अध्यक्ष पदों पर भी साल 2022 में बदलाव हुआ। बीजेपी ने जहां 30 जुलाई को उत्तराखंड के वरिष्ठ बीजेपी नेता मदन कौशिक को हटाकर बदरीनाथ के पूर्व विधायक महेंद्र भट्ट को अध्यक्ष पद की जिम्मेदारी मिली। इस पद पर महेंद्र भट्ट को बैठाना इसलिए भी चौंकाने वाला रहा क्योंकि वह अपनी चमोली जिले की बदरीनाथ सीट से चुनाव हार चुके थे। दूसरी ओर कांग्रेस ने भी इसी साल अप्रैल महीने में तत्कालीन अध्यक्ष गणेश गोदियाल को हटाकर कुमाऊं में कांग्रेस का युवा चेहरा करण माहरा को अपना प्रदेश अध्यक्ष बनाया। वहीं बीजेपी सरकार में कैबिनेट मंत्री पद पर रहे और बीजेपी छोड़कर कांग्रेस में आए यशपाल आर्य को नेता प्रतिपक्ष की जिम्मेदारी दी गई।

अधीनस्थ सेवा चयन आयोग पेपर लीक मामला रहा सुर्खियों में

उत्तराखण्ड में साल 2022 भर्ती घोटालों के लिये भी लम्बे समय तक याद किया जाता रहेगा। इस वर्ष यूकेएसएससी पेपर लीक घोटालों के कारण सत्ताधारी दल और मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी की सरकार विवादों से भी घिरी रही। इस घोटाले के कारण विपक्ष को सरकार को कोसने का भरपूर मौका मिला। क्योंकि इसके हाकम सिंह जैसे मुख्य खलनायक के भाजपा नेताओं और बड़े नौकरशाहों से रिश्ते गहरे जुड़े मिले। सरकार को घेरने में विपक्ष तब और ज्यादा कामयाब हुआ जब बीजेपी नेता त्रिवेंद्र सिंह रावत ने खुलकर हाकम सिंह के खिलाफ बयानबाजी की और यह स्वीकार किया कि हां वह बीजेपी का ही नेता है। उसके बाद तो संगठन के प्रवक्ताओं ने इस पूरे मुद्दे पर बोलना ही बंद कर दिया था। हालांकि धामी सरकार ने एक विशेष जांच दल से आरोपों की जांच करा कर यूकेएसएसएससी के पूर्व अध्यक्ष और वरिष्ठ पदाधिकारियों सहित 45 लोगों को गिरफ्तार कराया। गिरफ्तार अधिकारियों में पूर्व अध्यक्ष तथा वरिष्ठतम् सेवा निवृत भारतीय वन सेवा अधिकारी और दो पीसीएस अधिकारी भी शामिल थे। इस कांड के खुलासे के बाद युवाओं की आंखें खुलीं कि किस तरह उनके हिस्से की सरकारी नौकरियों पर नेता, माफिया और नौकरशाहों की सांठगांठ डाका डलती रही।

विधानसभा बैकडोर भर्ती में बेपर्दा हुआ राजनीतिक चरित्र

प्रदेश में यूकेएसएससी पेपर लीक मामला शांत भी नहीं हुआ था कि 2022 में विधानसभा भर्ती घोटाला भी सामने आ गया। जिसके बाद कई बीजेपी नेताओं के परिजनों के नाम भी भर्ती घोटाले में सामने आए और यह साफ हो गया कि बीजेपी नेताओं ने प्रेमचंद अग्रवाल के कार्यकाल में जो भर्तियां हुई हैं, उसमें अपने परिजनों को भी नियुक्तियां दिलवाई हैं। बाद में मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने इस मामले की गंभीरता और विपक्ष के हमले को देखते हुए विधानसभा अध्यक्ष से मामले की जांच कराई जिसमें वर्ष 2016 के बाद हुयी भर्तियों को अवैध माना गया और उन सभी भर्तियों को निरस्त कर 228 कर्मचारियों की सेवाये समाप्त कर दी गयीं। हटाये गये कर्मचारी पहले हाइकोर्ट और फिर सुप्रीम कोर्ट गये मगर कहीं से राहत नहीं मिली। फिलहाल बाहर निकाले गए 228 कर्मचारी आंदोलन कर रहे हैं। वर्ष 2016 से पहले की भर्तियों को न छेड़ने से स्वयं विधानसभा अध्यक्षा की निष्पक्षता पर सवाल उठने स्वाभाविक ही थे। इस दौरान स्वयं स्पीकर ऋतु खण्डूड़ी पर बाहरी राज्यों से अपना स्टाफ नियुक्त करने जैसे आरोप लगते रहे। उक्रांद ने उनका दो जगह से मतदाता होने का मुद्दा उठा कर उनकी विधानसभा सदस्यता समाप्त करने की मांग तक उठाई गयी।

मैदान से लेकर चोटियों तक होते रहे हादसे

राजनीति के अलावा 2022 प्रदेश के लिये आपदाओं से भरा वर्ष रहा। अक्टूर के महीनेकी 5 तारीख को पौड़ी जिले में एक सड़क हादसे में 33 बारातियों की जानें चली गई तो अक्टूबर में ही उत्तरकाशी जिले में द्रौपदी का डांडा शिखर से लौट रहे 29 पर्वतारोहियों को हिमस्खलन ने अपनी चपेट में ले लिया। उनके शव निकालने के लिये वायुसेना की मदद लेनी पड़ी। जबकि केदरानाथ में 18 अक्टूबर को हेलीकॉप्टर हादसे में पायलट समेत 7 तीर्थयात्रियों को जान गंवानी पड़ी। इस साल की चार धाम यात्रा यात्रियों के आगमन का नया रिकार्ड बना जिसमें लगभग 40 लाख श्रद्धालु उत्तराखण्ड पहुंचे । लेकिन इस साल की चारधाम यात्र में कुल 311 तीर्थ यात्रियों की मौत हुयी। इनमें सर्वाधिक 135 केदारनाथ यात्रा में, 80 यमुनोत्री, 75 बदरीनाथ और 21 यात्री गंगोत्री यात्रा में मारे गये।साल के अंत में 30 दिसंबर  रुड़की के निकट एक सड़क दुर्घटना में उत्तराखंड के क्रिकेट स्टार ऋषभ पंत घायल हो गए । उनका इलाज देहरादून के एक प्राइवेट अस्पताल में चल रहा है ।  उनकी कुशल क्षेम पूछने देश भर से बड़ी बड़ी हस्तियां देहरादून पहुँच रही हैं । सरकार  और देश वासियों को इतना अधिक पौड़ी  में 33 बारातियों के सड़क हादसे में मारे जाने और 29 युवा पर्वतारोहियों के उत्तरकाशी के द्रोपदी का डांडा में मरे जाने तथा जुलाई ऐसा मध्य प्रदेश के 25  तीर्थ यात्रियों के मारे  जाने  की घटनाओं ने नहीं झकझोरा जितना कि ऋषभ पंत के घायल होने ने व्याकुल किया ।

अंकिता हत्याकांड की कालिख लगी सत्तादल पर

गुजरने वाले साल उत्तराखण्ड का सबसे सनसनीखेज अपराध ऋषिकेश के निकट एक रिसॉर्ट में अंकिता भण्डारी नाम की लड़की की हत्या का रहा। इस जघन्य काण्ड के कारण भी सत्ताधारी दल की खूब किरकिरी हुयी। क्योंकि इस हत्याकांड का मुख्य आरोपी भाजपा के वरिष्ठ नेता का पुत्र था और उसका रिसॉर्ट भी सत्ता की हनक के चलते अवैध रूप् से बना हुआ था। इस काण्ड में एक वीआइपी के भी शामिल होने का आरोप लगा जिसके नाम का कभी खुलासा नहीं हो सका। इसलिये सरकार पर असली आरोपियों को बचाने का आरोप लगा। आरोप है कि रिसॉर्ट के मालिक ने 19 वर्षीय अंकिता भंडारी पर रिसॉर्ट में रहने आने वाले मेहमानों के साथ कथित तौर पर संबंध बनाने के लिए दबाव डाला, और इनकार करने पर उसे मार डाला।

समान नागरिक संहिता की ओर बढ़े कदम

अपनी पहली ही बैठक में राज्य कैबिनेट ने चुनावी प्रतिबद्धता को पूरा करते हुए समान नागरिक संहिता का मसौदा तैयार करने के लिए विशेषज्ञों की एक समिति गठित करने के प्रस्ताव को मंजूरी दे दी। उच्चतम न्यायालय की सेवानिवृत्त न्यायाधीश रंजना प्रकाश देसाई की अध्यक्षता वाली समिति को कुछ ही महीनों के भीतर 2.5 लाख सुझाव मिले। समिति संविधान और कानून विशेषज्ञों की राय लेने के बजाय आम हिन्दू जनता की राय लेती रही ताकि उत्तराखण्ड में धार्मिक धु्रवीकरण तेज किया जा सके। उत्तराखण्ड में 84 प्रतिशत हिन्दू हैं जिनका समान नागरिक कानून 1955 और 56 में बन गये। इसलिये उत्तराख्त्राण्ड को कॉमन सिविल कोड की जगह लोकायुक्त कानून की जरूरत थी जिसे वायदा करने के बाद भी भाजपा ने दफन कर दिया। सरकार ने वायदा करने के बावजूद कठोर भूमि कानून नहीं बनाया अलबत्ता कानून बनाने के लिये कमेट अवश्य बनायी। जिसकी रिपोर्ट गोपनीय रखी गयी।

 

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