ब्लॉग

देहरादून में कोरोना की तीसरी लहर ! ! !

    –सुशील उपाध्याय
वैज्ञानिकों ने अनुमान लगाया है कि देश में कोरोना की तीसरी लहर फरवरी में आएगी, लेकिन लगता है, देहरादून में तीसरी लहर आ गई है। एक जनवरी के आंकड़ों से तुलना करें तो 12 दिन में कोरोना के मामले 13 गुना हो गए हैं। और 40 दिन पहले की तुलना में 30 गुना हो चुके हैं। यहां 11 जनवरी को लगभग एक हजार मामले रिकॉर्ड किये गए हैं। देहरादून जिले की आबादी करीब 17 लाख है। यह उत्तराखंड की आबादी का करीब 16 फीसद है। जबकि यहां पूरे प्रदेश के 40 फीसद से ज्यादा केस सामने आ रहे हैं।
देश के संदर्भ में वैज्ञानिकों ने अनुमान लगाया है कि तीसरी लहर के पीक के दौरान रोजाना 8 लाख से अधिक केस सामने आएंगे। जो अभी पीक की तुलना में करीब एक चौथाई हैं। अब देहरादून में दर्ज हो रहे कुल मामलों (17 लाख पर एक हजार) को देश की आबादी के संदर्भ में देखिए तो मौजूदा राष्ट्रीय औसत 8 लाख से अधिक का सामने आएगा। मतलब साफ है कि उत्तराखंड की राजधानी में तीसरी लहर आ गई है। इससे भी अधिक चिंता की बात यह है कि पॉजिटिविटी रेट करीब 10 फीसद तक पहुंच गया है। अभी उत्तराखंड में रोजाना 20-22 हजार की टेस्टिंग हो रही है। यदि इसी टेस्टिंग को 40-45 की अधिकतम टेस्टिंग क्षमता पर ले जाया जाए तो इस बात की पूरी आशंका है कि कोरोना केस तत्काल 4 हजार के आंकड़े को पार कर जाएंगे।
कुल मिलाकर आंकड़े यही बता रहे हैं कि स्थिति दिन-प्रतिदिन चिंताजनक हो रही है। इस वक्त विधानसभा निर्वाचन प्रक्रिया के कारण सामान्य आवाजाही भी बढ़ी हुई है। तीन लाख से अधिक सरकारी कर्मचारी चुनाव ड्यूटी के कारण रोजाना सैंकड़ों लोगों के सम्पर्क में आ रहे हैं। इस कारण यह डर और बड़ा हो जाता है कि आने वाले दिनों में स्थिति ज्यादा बिगड़ सकती है। इस समय पुलिस फोर्स चुनाव ड्यूटी में है इसलिए उन लोगों पर रोक लगाना मुश्किल है जो अनावश्यक रूप से बाहर घूम रहे हैं। उत्तराखंड और विशेष रूप से देहरादून की स्थिति को देखते हुए कुछ निर्णय लिए जाने की जरूरत है-
स्थिति सामान्य होने या चुनाव सम्पन्न होने तक स्कूल-कॉलेज ऑफलाइन बन्द कर दिए जाएं। केवल ऑनलाइन पढ़ाई हो।
दिल्ली की तर्ज पर सभी प्राइवेट दफ्तरों में वर्क फ्रॉम होम लागू किया जाए। सरकारी दफ्तर खुले रह सकते हैं क्योंकि चुनाव ड्यूटी होने के कारण वहां पहले से ही नाममात्र के कर्मचारी हैं।
दूसरे प्रदेशों, विशेष रूप दिल्ली आने-जाने वाली बसों को 50 परसेंट की क्षमता के साथ ही चलाया जाए।
अनावश्यक रूप से बाहर घूमने वालों पर सख्ती की जाए।
इलेक्शन ड्यूटी में लगे सभी अधिकारियों, कर्मचारियों की अभियान चलाकर कोरोना जांच हो और सभी को बूस्टर डोज दी जाए। प्रदेश की क्षमता को देखते हुए इस काम को 3 से 4 दिन में पूरा किया जा सकता है।
इनके अलावा और भी कई कदम उठाए जा सकते हैं। यह तय है कि यदि समय रहते जरूरी कदम नहीं उठाए गए तो 14 फरवरी को मतदान होने के दिन तक कोरोना की स्थिति काबू के बाहर हो सकती है। तब देहरादून में ही यह संख्या कई हजार का आंकड़ा पार कर सकती है। फिलहाल इस बात की भी चिंता की जानी चाहिए कि जिन लोगों ने दूसरी लहर में पीड़ितों को संभाला था, अब उनमें से ज्यादातर लोग चुनाव ड्यूटी में हैं।

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

error: Content is protected !!