मानसून से पहले आपदा प्रबंधन अधिकारियों को दिए गये इंसीडेंट रिस्पांस सिस्टम (IRS) के टिप्स
The Incident Response System (IRS) is an effective mechanism for reducing ad-hoc measures in response. It envisages a composite team with various Sections to attend to all the possible response requirements. The IRS designates officers to perform various duties and get them trained in their respective roles.
By- Usha Rawat
देहरादून, 25 जून। आगामी मानसून तथा चारधाम यात्रा के दौरान किसी भी आपदा से प्रभावी तरीके से निपटने के लिए उत्तराखंड राज्य आपदा प्रबंधन प्राधिकरण की ओर से विभिन्न विभागों के नोडल अधिकारियों, जिला आपदा प्रबंधन अधिकारियों तथा विभिन्न रेखीय विभागों के लिए इंसीडेंट रिस्पांस सिस्टम (IRS) पर प्रशिक्षण आयोजित किया। राष्ट्रीय आपदा प्रबंधन संस्थान (एनआईडीएम) के प्रो. शेखर चतुर्वेदी ने वर्चुअली संबोधित करते हुए आपदा के समय आईआरएस के महत्व और उपयोगिता के बारे में बताया। उन्होंने कहा कि आईआरएस एक ऐसी एकीकृत व्यवस्था है, जिसके माध्यम से आपदा के समय राहत और बचाव कार्यों को बेहतर तरीके से संचालित करने में मदद मिलती है। उन्होंने बताया कि आईआरएस में सभी विभागों के कार्य और दायित्व तय हैं। सभी विभागों की भूमिका भी स्पष्ट है, इसलिए आपदा के समय बहुत बेहतर तरीके से रिसोर्स मैनेजमेंट किया जा सकता है। विभिन्न संसाधनों को किस तरीके से जुटाया जाता है और कैसे उन्हें मौके पर भेजकर राहत और बचाव किया जाता है, इसके लिए एक फुलप्रूफ व्यवस्था बनाई गई है।
प्रो. शेखर चतुर्वेदी ने कहा कि आपदा के समय उत्तराखंड के साथ ही अन्य पहाड़ी राज्यों के लिए आईआरएस सिस्टम बहुत उपयोगी साबित हो सकता है। आपदा के दौरान क्षेत्राधिकार को लेकर जो भी जटिलताएं और समस्याएं सामने आती हैं, उनका समाधान भी आईआरएस में किया गया है और यह सुनिश्चित किया गया है कि क्षेत्राधिकार के विवादों के कारण आपदा प्रबंधन के साथ ही राहत और बचाव कार्यों में व्यवधान न हो। इसके अलावा उन्होंने कहा कि उत्तराखंड जैसे पहाड़ी और विषम भौगोलिक स्थितियों वाले राज्य के लिए एकीकृत कमांड और एरिया कमांड बहुत मददगार साबित हो सकते हैं।
प्रो. शेखर चतुर्वेदी ने कहा कि 16 राज्य और केंद्र शासित प्रदेश ऐसे हैं जिन्होंने अभी तक आईआरएस को नोटिफाई नहीं किया है। उन्हें जल्द आईआरएस को नोटिफाई कर इसे अपनाना चाहिए। उन्होंने कहा कि आपदा के दौरान कार्य करने वाले सभी विभागों के लिए आईआरएस बहुत उपयोगी साबित हो सकता है।
उन्होंने बताया कि आईआरएस में एकीकृत संचार व्यवस्था, ट्रांसफर ऑफ कमांड, एरिया कमांड, इंसीडेंट एक्शन प्लान, रिसोर्स मैनेजमेंट आदि को लेकर बहुत ही अच्छा सिस्टम विकसित किया गया है।
प्रशिक्षण में यूएसडीएमए के अपर मुख्य कार्यकारी अधिकारी (क्रियान्वयन) राजकुमार नेगी, अधिशासी निदेशक डॉ. पीयूष रौतेला, एसईओसी के प्रभारी राहुल जुगरान, यूएसडीएमए के विशेषज्ञ मनीष भगत, डॉ. वेदिका पंत, रोहित कुमार, डॉ. पूजा राणा, जेसिका टेरोन, तंद्रीला सरकार, हेमंत बिष्ट, जिला आपदा प्रबंधन अधिकारी, एसईओसी में तैनात विभिन्न विभागों के नोडल अधिकारी मौजूद थे।