टीएमयू कैम्पस में निकली श्रीजी की भव्य रथयात्रा

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खास बातें

  • सौधर्म इन्द्र बने श्री प्रतीक जैन तो कुबेर प्रो. विपिन जैन
  • घोड़ों पर सवार जैन ध्वज लिए श्रावक थे आकर्षण का केंद्र
  • गीतों और गरबा पर भक्ति में लीन हुईं श्रावक-श्राविकाएं
  • दिव्य घोष की धुनों पर और शोभायमान हुई श्रीजी रथयात्रा
  • भगवान श्री शांतिनाथ की आरती में शामिल हुआ कुलाधिपति का परिवार
  • जिनालय से प्रारम्भ होकर रथयात्रा तीन घंटे में पहुंची रिद्धि-सिद्धि भवन
  • रथयात्रा में शामिल हुए पीठाधीश श्रीस्वस्ति रविंद्र कीर्ति स्वामी जी
  • श्रेय जैन को मिला प्रथम स्वर्ण कलश से अभिषेक करने का सौभाग्य

   प्रो. श्याम सुंदर भाटिया

दसलक्ष्ण धर्म के समापन के बाद तीर्थंकर महावीर यूनिवर्सिटी कैम्पस में श्रीजी  की धूमधाम से भव्य रथयात्रा निकली। रथयात्रा जिनालय से पूरे कैंपस से होती हुयी रिद्धि-सिद्धि भवन पहुंची। रथयात्रा की भव्यता का इससे पता लगता है, रिद्धि-सिद्धि भवन तक पहुँचने में करीब तीन घंटे लग गए। जिनालय से श्रीजी को रथ में विराजमान करने का सौभाग्य प्रतीक जैन को मिला। तत्पश्चात 16वें तीर्थंकर  भगवान शांतिनाथ की आरती हुयी, जिसका सौभाग्य कुलाधिपति परिवार और श्रावक-श्राविकाओं को मिला। रथ पर चार इन्द्र बनने का सौभाग्य यश जैन, अविचल जैन, अर्पण जैन और अभिषेक जैन को मिला। रथ पर कुबेर बनने का सौभाग्य टिमिट के निदेशक प्रो. विपिन जैन और सारथी बनने का सौभाग्य सीए श्री आशीष जैन को प्राप्त हुआ। सौधर्म इन्द्र की भूमिका श्री प्रतीक जैन ने निभाई जबकि रथयात्रा महोत्सव में माला की बोली अमरोहा के श्री सिद्धार्थ जैन ने ली।  रथयात्रा में सबसे आगे श्रावक जैन ध्वज लिए पैदल और घोड़े पर सवार होकर चल रहे थे। इसके बाद श्राविकाएं हाथों में कलश लिए रथयात्रा की शोभा बढ़ा रही थीं। अश्व बग्गी पर बैठने का सौभाग्य प्रो. आयुष भदोरा, प्रो. मुदित जैन और द्वितीय बग्गी में बैठने का सौभाग्य प्रो. अर्पित देरिया, प्रो. सागर जैन को प्राप्त हुआ। श्राविकाएं भक्तिमय संगीत पर गरबा पर आध्यात्म में लीन नजर आयीं। उड़ी उड़ी जाए—-, पारस प्यारा लागे, चँवलेश्वर प्यारा लागे—, आया पर्व पर्युषण प्यारा—, आयो रे, प्रभु जी म्हारे आंगना—-, संगीतमय भजनों पर श्रीमती ऋचा जैन, श्रीमती अर्चना जैन, मिस अंकिता जैन, श्रीमती प्रीति यादव जैन आदि गरबा के रंग में लीन रहीं। रथयात्रा के दौरान श्रावक सफेद-कुर्ता, पजामा जबकि श्राविकाएं सफेद सलवार कुर्ता केसरिया रंग का दुपट्टा पहने हुए थे। दिव्य घोष की आस्थामय ध्वनि के बीच रथ जिनालय से रिद्धि-सिद्धि भवन पहुँचा। रथयात्रा में बतौर मुख्य अतिथि जम्बूद्वीप हस्तिनापुर से आये पीठाधीश श्रीस्वस्ति श्री रविंद्र कीर्ति स्वामी जी, कुलाधिपति श्री सुरेश जैन, फर्स्ट लेडी श्रीमती बीना जैन, ग्रुप वाइस चेयरमैन श्री मनीष जैन उनकी धर्मपत्नी श्रीमती ऋचा जैन, एमजीबी श्री अक्षत जैन सम्मेद शिखर से आए प्रतिष्ठाचार्य श्री ऋषभ शास़्त्री के अलावा जैन समाज की ओर से श्री अनिल जैन, श्री सर्वोदय जैन, श्री जीवन प्रकाश भाई के अलावा टीएमयू की ओर से निदेशक एडमिशन श्री एसपी जैन, निदेशक हॉस्पिटल श्री विपिन जैन, डॉ. आरके  जैन, डॉ. रत्नेश जैन, डॉ. विनोद जैन, डॉ. अक्षय जैन, श्री अरिंजय जैन, श्री आदित्य जैन, डॉ. अर्चना जैन, शैफाली जैन, निकिता जैन आदि की भी गरिमाई मौजूदगी रही।

 

रिद्धि-सिद्धि भवन में जम्बूद्वीप हस्तिनापुर से आए पीठाधीश श्रीस्वस्ति श्री रविंद्र कीर्ति स्वामी जी ने अपने सम्बोधन का शुभारम्भ आचार्यश्री विद्यासागर और प्रमुख गणिनी ज्ञानमती माता जी की चालीस सालों के बाद भेंट होने की चर्चा से किया।  उन्होंने कहा, आचार्यश्री ने माता जी को बड़ी दीदी कहकर सम्बोधित किया था।  श्रावक-श्राविकाओं को क्षमा का महत्व बताते हुए बोले, क्षमा अंदर और वाह्य दोनों भावों से मांगनी चाहिए। इससे अंदर और बाहर के दोनों भेद मिट जाते हैं। स्वामी जी ने कहा, प्रमुख गणिनी स्थापना के समय से ही तीर्थंकर महावीर यूनिवर्सिटी से जुड़ी हैं। उन्होंने अपने आशीर्वचन में कहा, टीएमयू न केवल चरम ऊंचाइयों को स्पर्श करे, बल्कि मेरी इच्छा है, यहाँ स्टुडेंट्स मनोयोग से अध्ययन करें, संग-संग संस्कारों की नींव भी रखें। कुलाधिपति श्री सुरेश जैन ने यूनिवर्सिटी के इतिहास पर प्रकाश डालते हुए कहा, यूनिवर्सिटी जैन स्टुडेंट्स को 6 वर्षों में साठ करोड़ की स्कॉलरशिप दे चुकी है।  उन्होंने टीएमयू को दुनिया की श्रेष्ठ यूनिवर्सिटी बताते हुए कहा, जितने धार्मिक कार्यक्रम टीएमयू में होते हैं, उतने विश्व की किसी यूनिवर्सिटी में नहीं होते होंगे।

इससे पूर्व रिद्धि-सिद्धि भवन में श्रीजी को रथ से पांडुकशिला पर विराजमान किया गया। तत्पश्चात भगवान का अभिषेक हुआ, जिसमें प्रथम स्वर्ण कलश से अभिषेक करने का सौभाग्य श्रेय जैन, द्वितीय स्वर्ण कलश से अभिषेक करने का सौभाग्य सुधर्म जैन, तृतीय स्वर्ण कलश से अभिषेक करने का सौभाग्य डॉण् अर्पित डेरिया और चतुर्थ स्वर्ण कलश से अभिषेक करने का सौभाग्य  सागर जैन को प्राप्त हुआ। प्रथम स्वर्ण कलश से शांतिधारा करने का सौभाग्य ऋतिक जैन, हनी जैन और द्वितीय रजत कलश से शांतिधारा करने का सौभाग्य संकल्प जैन, प्रयास जैन, धार्मिक जैन, पारस जैन, निखिल जैन को मिला।

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