टीएमयू के टीचर्स ने सीखीं आईपीआर की बारीकियां

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खास बातें
  • इन्फ्रिजमेंट से किसी भी आविष्कारक के अधिकारों का हनन सम्भवः वीसी
  • सीईओ बिंदु शर्मा बोलीं , अपने देश के नाम से भी पेटेंट फाइलिंग सम्भव
  • अटॉर्नी गौरव मिश्रा ने बताए , कौन.कौन से हैं आविष्कार पेटेंटबल
 –प्रो. श्याम सुंदर भाटिया
तीर्थंकर महावीर यूनिवर्सिटी के कुलपति प्रो. रघुवीर सिंह ने बताया, विश्व व्यापार संगठन – डब्ल्यूटीओ के गठन होने के बाद से कैसे आईपीआर के बारे में जागरूकता आई और इसका महत्व कितना बढ़ गया है।  साथ ही साथ उन्होंने पेटेन्ट और बौद्धिक संपदा अधिकार – आईपीआर पर प्रकाश डाला। उन्होंने बताया, पहले हमें आईपीआर के बारे में कुछ नहीं पता होता था। विश्व व्यापार संगठन के बन जाने के बाद आईपीआर का महत्व बढ़ने लगा है। इसीलिए हमें अपने नए आविष्कार को सभांल कर रखना है। प्रो. सिंह बोले,    ग्लोबलाइजेशन के कारण अक्सर नए आविष्कार का श्रेय आविष्कारक को नहीं मिल पाता है। उन्होंने बताया, आजकल इंटलेक्चुअल प्रॉपर्टी राइट्स में किस तरह इन्फ्रिजमेंट को रोका जा सकता है। उन्होंने बताया, इन्फ्रिजमेंट किस तरह किसी भी आविष्कारक के अधिकारों का हनन कर सकता है। प्रो. सिंह ने तीर्थंकर महावीर यूनिवर्सिटी के डिपार्टमेंट ऑफ फिजियोथेरेपी में पांच दिवसीय फैकल्टी डवलपमेंट प्रोग्राम. एफडीपी में पेटेंट प्रोटेक्शन एंड कॉमर्शियलाइजेशन पर बतौर मुख्य अतिथि बोल रहे थे। यह एफडीपी फिजियोथैरेपी विभाग और केंद्र सरकार के सेल फॉर आईपीआर प्रमोशन एंड मैनेजमेंट की ओर से आयोजित की गयी।
ओरिजिन आईपी सोलूशन्स की फाउंडर और सीईओ बिंदु शर्मा ने इंडियन एंड ग्लोबल पेटेंट प्रोटेक्शन स्टेटेजीज एंड वे फॉरवर्ड पर बोलते हुए पेटेंट फाइल करने के अलग – अलग कानूनों के बारे में विस्तार से बताया। उन्होंने बताया कि पेटेंट फाइल करने के दो रुट होते हैं – पीसीटटी और कन्वेंशनल रुटस लेकिन भारत में अधिकतर कन्वेंशनल रुट को इस्तेमाल किया जाता है। उन्होंने बताया कि कैसे ट्रांसफर ऑफ टेक्रोलॉजी के माध्यम से पेटेंट के राइट्स किसी और को दिए जा सकते हैं। व्यक्ति अपने देश के नाम से भी पेटेंट फाइल कर सकता है। सीआईपीएएम के असिस्टेंट मैनेजर श्री सुब्रमण्यम ने इन्फ्रिजमेंट ऑफ पेटेंट एंड इट्स इम्पैक्ट ऑन दा इकॉनामी ऑॅफ दा कंट्री पर अपने विचार व्यक्त किए। बनानाआईपी काउंसिल बेंगलु़रू के आईपी मैनेजर एंड अटॉर्नी श्री गौरव मिश्रा ने क्राइटेरिया टू बी कन्सिडरेड फॉर इन्वेंशन टू बी पेटेंट एंड प्रैक्टिस ऑॅफ पेटेंट प्रायर आर्ट सर्च विषय पर बोलते हुए पेटेंट के कॉमर्शियलाइजेशनए रिकग्रिशन और प्रतियोगिता के बारे में बताया। उन्होंने बताया हम प्रोडक्ट्स और प्रोसेसेज को कैसे करा सकते हैं। एक सूची के माध्यम से बतायाए कौन कौन से आविष्कार पेटेंटबल होते हैं और कौन से आविष्कार पेटेंट नहीं किए जा सकतेए फिजियोथैरेपी के कई उदाहरण देते हुए समझाया, हम किन शब्दकोष की मदद से प्रायर आर्ट सर्च कर सकते हैं। भिन्न – भिन्न प्रकार के पेटेंट सर्च के तरीके बताए। बेसिक पेमेंट प्रोसेस के बारे में बताते हुए कहा, कैसे एक व्यक्ति अपने आइडिया को पेटेंट का रुप दे सकता है। पेटेंट फाइल करने की विधि बताते हुए उन्होंने दो प्रकार के एप्लीकेशन प्रोसेस के बारे में बताया। एप्लीकेशन पब्लिकेशनए रिजेक्शन या एक्सेप्टेशन के बारे में विस्तार से बताया। सेशन के अंत में उन्होंने छात्र – छात्राओं के सवालों का भी जवाब दिया। अंत में डिपार्टमेंट ऑफ फिजियोथैरेपी की हेड डॉ. शिवानी एम कॉल ने सीआईपीएएम की असिस्टेंट मैनेजर सुश्री दीक्षा अरोरा समेत सभी अतिथियों का आभार व्यक्त किया। एफडीपी में डॉ. शीतल मलहान, डॉ. फरहान खान, श्री विवेक स्वरुप, श्रीमती कृति सचान,  श्री अंकित सक्सेना, श्रीमती कोमल नागर और श्रीमती प्रिया शर्मा मौजूद रहे। संचालन फैकल्टी उज़्मा सय्यद ने किया।

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