टीएमयू में होगी एनाटॉमी पर इंटरनेशनल वर्कशॉप
ख़ास बातें
- दुनिया भर से अब तक हुए आईडब्ल्यूए के लिए 1200 रजिस्ट्रेशन
- शरीर रचना विज्ञान में विकसित रुझान : एक वैश्विक नजरिया होगी थीम
- विश्व के विख्यात सोलह एनाटॉमी शिक्षाविद देंगे आईडब्ल्यूए में व्याख्यान
प्रो. श्याम सुंदर भाटिया
तीर्थंकर महावीर यूनिवर्सिटी में एनाटॉमी विभाग की ओर से शरीर रचना विज्ञान में विकसित रुझान: एक वैश्विक नजरिया-2021 होगी। थीम पर अंतर्राष्ट्रीय वर्कशॉप होगी। इस ऑनलाइन कार्यशाला का शुभारम्भ 22 अक्टूबर को होगा। दो दिनी इस वर्कशॉप में न्यूज़ीलैंड से डॉ. स्यु एड्सटर्म, ओमान से डॉ. सृजित दास, स्पेन से सारा प्युग एलिएर, आयरलैंड से ब्रेंडन बायर्ने, यूके से डॉ. मनदीप गिल सागू,स्कॉटलैंड से डॉ. जॉन शारके, सऊदी अरब से डॉ. शाज़िया इक़बाल, भारत से डॉ. दीप्ति शास्त्री, अमरीका से डॉ. वार्ना तारानीकांति, ग्रीस से डॉ. आयानीस स्टवरो, भारत से प्रो. ए शरीफ, टर्की से प्रो. कैगटे बरु: भारत से डॉ. डोरिस जी योहानन, यूके से डॉ. सिसिलिया ब्रेसेट, अमरीका से डॉ. प्रीति एम मिशेल बतौर गेस्ट स्पीकर्स शिरकत करेंगे।
इंटरनेशनल वर्कशॉप ऑफ़ एनाटोमी आईडब्ल्यूए के ऑर्गेनाइजिंग चेयरमैन एवं टीएमयू मेडिकल कॉलेज के वाइस प्रिंसिपल प्रो. एसके जैन ने बताया, एनाटॉमी विभाग की ओर से इंटरनेशनल वर्कशॉप का शंखनाद 22 अक्टूबर को प्रातः 9 बजे होगा। यह वर्कशॉप एनाटॉमिकल सोसायटी ऑफ़ इंडिया की संरक्षण में होगी। डॉ. जैन ने बताया, अब तक वर्कशॉप के लिए 1200 से अधिक डेलीगेट्स अपना नाम दर्ज करा चुके हैं। इस वर्कशॉप में करीब एक दर्जन देशों के जाने-माने एनाटॉमिस्ट इम्पोर्टेंस ऑफ़ रिसर्च इन एनाटॉमी, डिमेस्टिफाइंग एनाटॉमी फॉर एवरीडे यूज़, ब्लेंडेड लर्निंग इन एनाटॉमी, स्टडिंग एनाटॉमी फ्रॉम एन्सिएंट एरा टू 21 सेंचुरी आदि टॉपिक्स पर लेक्चर्स देंगे। इस वर्कशॉप की ऑर्गेनाइजिंग सेक्रेटरी प्रो. निधि शर्मा ने बताया, वर्कशॉप में एनाटोमी फील्ड में होने वाली नयी-नयी तकनीकों पर न केवल व्याख्यान होंगे बल्कि दुनिया के नामचीनः एनाटॉमी विद्वान अपने अनुभव साझा करेंगे। इस वर्कशॉप का संचालन डॉ. सुप्रीति भटनागर करेंगी। कुलाधिपति श्री सुरेश जैन, जीवीसी श्री मनीष जैन, एमबीजी श्री अक्षत जैन, कुलपति प्रो. रघुवीर सिंह, निदेशक प्रशासन श्री अभिषेक कपूर, मेडिकल कॉलेज की प्रिंसिपल प्रो. श्यामोली दत्ता ने कहा, आईडब्ल्यूए-2021 देश और दुनिया के रिसर्चर्स लिए मील का पत्थर साबित होगी।