टीएमयू का एग्रीकल्चर कॉलेज इंडिया की प्राइवेट यूनिवर्सिटीज के टॉप 10 में

Spread the love

-प्रो. श्याम सुंदर भाटिया

तीर्थंकर महावीर यूनिवर्सिटी का कॉलेज ऑफ एग्रीकल्चर साइंसेज इंडियन काउंसिल ऑफ एग्रीकल्चर रिसर्च- आईसीएआर की गुणवत्ता की कसौटी पर खरा उतरा है। आईसीएआर की मान्यता मिलने के बाद टीएमयू के एग्रीकल्चर कॉलेज ने ऊँची छलांग लगाई है। टीएमयू का एग्रीकल्चर कॉलेज अब देशभर की प्राइवेट यूनिवर्सिटीज में टॉप 10 में आ गया है। एक्रीडिटेशन के बाद अब टीएमयू एग्रीकल्चर कॉलेज के न केवल बी.एससी. – कृषि छात्रों बल्कि फैकल्टी के लिए भी उड़ान के और रास्ते खुल गए हैं। उल्लेखनीय है, कृषि मंत्रालय के अधीन आईसीएआर की ओर से देशभर में लगभग 73 सेन्ट्रल एग्रीकल्चर यूनिवर्सिटीज और डीम्ड यूनिवर्सिटी संचालित होती हैं। माना यह जाता है, किसी भी कृषि विश्वविद्यालय का आईसीएआर से एक्रीडिटेशन हो जाए तो वहाँ के छात्रों की उच्च शिक्षा और रिसर्च के लिए केन्द्रीय और डीम्ड विश्वविद्यालयों में प्रवेश की राह आसान हो जाती है। आईसीएआर न केवल एक्रीडिटेड कॉलेजों को अनुसंधान और प्रोजेक्ट्स की सहूलियत मुहैया कराता है, बल्कि राष्ट्रीय और अंतर्राष्ट्रीय कांफ्रेंस, वर्कशॉप्स के लिए फंड भी रिलीज करता है। यह भी सच है, चुनिंदा सूबे आईसीएआर से पासआउट या आईसीएआर के एक्रीडिटेड संस्थानों के छात्रों को ही नौकरी मुहैया कराते हैं। टीएमयू का कॉलेज ऑफ एग्रीकल्चर साइंसेज 2014 में स्थापित हुआ। कॉलेज से अब तक करीब 300 बी.एससी. – कृषि स्टुडेंट्स पासआउट हो चुके हैं। टीएमयू एग्रीकल्चर कॉलेज एक्रीडिटेशन के बाद देशभर की प्राइवेट यूनिवर्सिटीज में नवें पाएदान पर आ गया है। नॉर्थ इंडिया में तीसरी, जबकि यूपी की रेंकिंग में नम्बर दो आ गया है। फादर ऑफ इंडियन शिवालिक मैंथा एवं 2005 में पद्मश्री से विभूषित श्री सुशील सहाय कहते हैं, टीएमयू के कॉलेज ऑफ एग्रीकल्चर साइंसेज को मिली आईसीएआर की मान्यता एक बड़ी उपलब्धि हैं। वह कहते हैं, आईसीएआर देश की प्रतिष्ठित संस्था है। अब एग्रीकल्चर कॉलेज के छात्रों की न केवल स्टडी बल्कि प्लेसमेंट भी उम्दा होगा। एक्रीडिटेशन के बाद टीएमयू का ओहदा और बढ़ गया है। उन्होंने इसके लिए टीएमयू के कुलाधिपति श्री सुरेश जैन को हार्दिक बधाई दी है। ऑर्गेनिक खेती के लिए 2019 में पद्मश्री से अलंकृत श्री भारत भूषण त्यागी कहते हैं, एग्रीकल्चर सेक्टर में जाने वाले युवाओं के लिए स्वर्णिम द्वार खुल गए हैं। सरकार भी कृषि व्यवसाय को सर्वोच्च प्राथमिकता दे रही है। अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर क्वालिटी एवं ऑर्गेनिक फूड की डिमांड दिनों-दिन बढ़ रही है। भारत के गुणवतापूर्ण कृषि उत्पादों पर वैश्विक बाजार की नज़र है। महाराणा प्रताप कृषि एवं प्रौद्योगिकी यूनिवर्सिटी, उदयपुर के वाइस चांसलर प्रो. नरेन्द्र सिंह राठौर कहते हैं, आईसीएआर से एक्रीडिटेशन के बाद किसी भी एग्रीकल्चर कॉलेज की डिग्री को प्रोफेशनल मान्यता मिल जाती है। यह केन्द्र सरकार का एक ऐसा सर्टिफिकेट है, जिससे कृषि छात्रों के लिए वैश्विक द्वार खुल जाते हैं।

टीएमयू एग्रीकल्चर कॉलेज अपने छात्रों की स्टडी के प्रति बेहद संजीदा है। कॉलेज में आईसीएआर मानकों के मुताबिक सभी फैकल्टी न केवल नेट और पीएचडी है बल्कि कॉलेज कैंपस में अति आधुनिक लैब्स और लाइब्रेरी भी हैं। प्रेक्टिकल के लिए यूनिवर्सिटी कैम्पस में रिसर्च फॉमिंग है। इस फार्म में आजकल अदरक, हल्दी, लौकी, बैगन, पालक, मूली, भिन्डी, मूंगफली, उर्द के संग-संग गन्ने और धान की खेती भी लहलहा रही है। रिसर्च फॉर्मिंग में औषधि वाटिका भी है। वाटिका दाल-चीनी, अर्जुन, अजवाइन, छोटी इलाइची, हींग आदि से महक रही है। उत्तर प्रदेश, उत्तराखण्ड के सैकड़ों काश्तकार उन्नत खेती करने के मद्देनजर इस रिसर्च फार्म का भ्रमण करते हैं। कृषि आय दोगुनी करने की दृष्टि से ये धरती पुत्र टीएमयू के कृषि वैज्ञानिकों से न केवल साइंटफिक तौर तरीके पूछते हैं, बल्कि कीटों से बचाव के भी तमाम टिप्स लेते हैं। टीएमयू एग्रीकल्चर कॉलेज समय-समय पर ब्लेंडेड मोड लेक्चर्स होते हैं। कोरोना से पूर्व पद्मश्री श्री भारत भूषण त्यागी दो बार यूनिवर्सिटी का न केवल भ्रमण कर चुके हैं बल्कि एग्रीकल्चर के छात्रों से रूबरू हो चुके हैं। कॉलेज में पंतनगर कृषि विवि, सरदार बल्लभ भाई पटेल विवि, आईसीएआर के शिक्षाविद और कृषि वैज्ञानिक ऑनलाइन, आफलइन गेस्ट लेक्चर्स में शिरकत करते रहते हैं। कॉलेज के छात्र देश के मशहूर कृषि मेलों और इंडस्ट्रियल विजिट करते रहते हैं। कॉलेज के पास रिसर्च फर्म के साथ-साथ ग्रीन-हाउस भी है। गार्डन मैंटिनेंस डिवाइस बनाकर प्रो. एमपी सिंह और डॉ. देवेन्द्र पाल की टीम को दो भारतीय पेटेंट्स भी मिल चुके हैं। टीएमयू एग्रीकल्चर कॉलेज से 2021 में बी.एससी. – कृषि पासआउट सोनभद्र की छात्रा निकिता गोयल ने हाल ही में यूपीसीएटीईटी की परीक्षा – 2021 में तेइसवीं रैंक पाई है।

नेपाल के अलावा यूपीए झारखण्ड, बिहार, मध्यप्रदेश, तमिलनाडु जैसे दूरस्थ सूबों से छात्र यहां एग्रीकल्चर में स्नातक करने आते हैं। कॉलेज का प्लेसमेंट, ट्रेक रिकॉर्ड शानदार है। उच्च शिक्षा के संग-संग बहुत से विद्यार्थियों ने अपना स्टार्ट अप्स प्रारम्भ किए है। कॉलेज की समस्त फैकल्टी नेट और पीएचडी हैं। निदेशक छात्र कल्याण प्रो.एमपी सिंह ने आईसीएआर से मिली मान्यता का सारा श्रेय कुलाधिपति श्री सुरेश जैन, ग्रुप वाइस चेयरमैन श्री मनीष जैन, एमजीबी श्री अक्षत जैन, कुलपति प्रो. रघुवीर सिंह, रजिस्ट्रार डॉ. आदित्य शर्मा के संग-संग कॉलेज की फैकल्टी और छात्रों को दिया। मान्यता मिलने से गदगद प्रो. सिंह ने कहा कि चार वर्षीय बी.एससी. (ऑनर्स) कृषि पाठ्यक्रम हेतु सत्र 2021 – 22 की 120 सीटों के लिए प्रवेश चल रहे हैं तथा सीमित सीटें  ही शेष हैं | टीएमयू अपने एग्रीकल्चर कॉलेज में अब जल्द ही एमएससी और पीएचडी के कोर्सेस भी प्रारम्भ करेंगे। विदित रहे टीएमयू के एग्रीकल्चर कॉलेज से पूर्व देशभर के इन आठ कॉलेजों / संस्थानों / यूनिवर्सिटी / डीम्ड यूनिवर्सिटी – इलाहबाद स्कूल ऑफ एग्रीकल्चर – इलाहबाद, एलपीयू – जालंधर, गुरू काशी यूनिवर्सिटी – बटिंडा, अमएस स्वामीनाथन स्कूल ऑफ एग्रीकल्चर – ओडिशा, कॉलेज ऑफ एग्रीकल्चर एंड टेक्नोलॉजी – कुल्लापुरम, शिक्षा ओ अनुसंधान – भुवनेश्वर, स्कूल ऑफ एग्रीकल्चर ग्वालियर, एग्रीकल्चर डवलपमेंट ट्रस्ट कॉलेज ऑफ एग्रीकल्चर – बारामती को आईसीएआर की मान्यता मिल चुकी है।

 

 

 

 

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *