बिजनेस/रोजगार

तम्बाकू जानलेवा भी और आर्थिकी का टॉनिक भी, जानिए तम्बाकू के दोनों पक्ष !

 

Tobacco is one of the important commercial crops grown in India. It provides employment directly and indirectly to 45.7 million people and Rs.9,739.06 crore in terms of foreign exchange to the National exchequer. During 2022-23. India has a prominent place in the production of tobacco in the world. During 2021, India stands as 2nd largest country in production (FAO Stat data, 2021) and 4th largest exporter of unmanufactured tobacco in the world (ITC Trademap data 2021). India produces different styles of Flue Cured Virginia tobacco, which vary in their physical and chemical characteristics.

 

 


-जयसिंह रावत
तम्बाकू सेवन को मौत का पिछला दरवाजा माना जाता है। राष्ट्रीय तम्बाकू नियंत्रण कार्यक्रम के अभिलेखों के अनुसार देश में तम्बाकू जनित बीमारियों से प्रतिदिन औसतन 3500 लोगों की मौतें होती हैं। विश्व स्वास्थ संगठन (डब्लुएचओ) की एक रिपोर्ट के अनुसार 35 से अधिक उम्र के लोगों के तम्बाकू जनित बीमारियों के इलाज पर प्रत्यक्ष और परोक्ष रूप से 1.77 लाख करोड़ रुपये खर्च हुये थे। डब्लुएचओ की रिपोर्ट के अनुसार भारत में वर्ष 2019 में 12 लाख से अधिक लोगों की मौत तम्बाकू जनित बीमारियों के कारण हुयीं थीं जिनमें 2.40 लाख लोग ं धूम्रपान करने वालों के आसपास रहते थे। तम्बाकू की महामारी पर नियंत्रण करने के लिये भारत में 11वीं पंचवर्षीय योजना के दौरान वर्ष 2007-08 में राष्ट्रीय तंबाकू नियंत्रण कार्यक्रम (एनटीसीपी) शुरू किया गया था जिस पर हर साल एक बड़ी रकम खर्च होती। इसी कार्यक्रम के तहत 2025 तक तम्बाकू उपभोग में 30 प्रतिशत कमी लाने का लक्ष्य रखा गया है। लेकिन इस बेहद डरावने सच के पीछे एक सच और भी है जो कि अक्सर चर्चा में नहीं आ पाता है। यह दूसरा सच तम्बाकू उत्पादन और अर्थ व्यवस्था में इसके योगदान का है।

करोडों लोगों को रोजगार देता है तम्बाकू

भारत सरकार के वाणिज्य और उद्योग मंत्रालय के अधीन कार्यरत् गुण्टूर स्थित राष्ट्रीय तम्बाकू बोर्ड के अनुसार तम्बाकू भारत में उगाई जाने वाली महत्वपूर्ण व्यावसायिक फसलों में से एक है। यह प्रत्यक्ष और अप्रत्यक्ष रूप से 4.57 करोड़ लोगों को रोजगार प्रदान करता है। तम्बाकू बोर्ड के अनुसार राष्ट्रीय खजाने में 9,739.06 करोड़ रुपये की विदेशी मुद्रा अर्जित कराता है। तम्बाकू बार्ड के रिकार्ड के अनुसार वर्ष 2022-23 के दौरान दुनिया में तम्बाकू के उत्पादन में भारत का प्रमुख स्थान रहा। 2021 के दौरान, भारत उत्पादन में चीन के बाद दूसरा सबसे बड़ा देश (एफएओ स्टेट डेटा, 2021) और दुनिया में अनिर्मित तम्बाकू का चौथा सबसे बड़ा निर्यातक (आईटीसी ट्रेडमार्क डेटा 2021) रहा। भारत फ्लू क्योर्ड वर्जीनिया तम्बाकू के विभिन्न प्रकार के उत्पादों का उत्पादन करता है, जो उनकी भौतिक और रासायनिक विशेषताओं में भिन्न होती हैं। बोर्ड के अनुसार भारत ने 2020 में 766,000 टन से अधिक पत्ती का उत्पादन किया। यह वैश्विक उत्पादन का 9 प्रतिशत है। भारत में प्रमुख तम्बाकू उत्पादक राज्यों में गुजरात, आंध्र प्रदेश, उत्तर प्रदेश, कर्नाटक, पश्चिम बंगाल, तेलंगाना और बिहार शामिल हैं। गुजरात, आंध्र प्रदेश और उत्तर प्रदेश देश के कुल उत्पादन में क्रमशः लगभग 45, 20 और 15 प्रतिशत का योगदान करते हैं।

महत्वपूर्ण आर्थिक कृषि फसलों में से एक है तम्बाकू

वणिज्य मंत्रालय के अधीन केन्द्रीय तम्बाकू अनुसंधान संस्थान राजामुन्द्री (सीटीआरआइ) की वेबसाइट में दिये गये विवरण के अनुसार तम्बाकू दुनिया में आर्थिक रूप से सबसे महत्वपूर्ण कृषि फसलों में से एक है। यह सूखा सहने वाली, कठोर और कम अवधि वाली फसल है जिसे ऐसी मिट्टी पर उगाया जा सकता है जहाँ अन्य फसलों की खेती लाभप्रद रूप से नहीं की जा सकती। भारत में तम्बाकू की फसल 45 हजार हेक्टेयर (शुद्ध खेती वाले क्षेत्र का 0.27 प्रतिशत ) क्षेत्र में उगाई जाती है, जिससे 75 करोड़ किलोग्राम तम्बाकू पत्ती का उत्पादन होता है। चीन और ब्राजील के बाद भारत क्रमशः दूसरा सबसे बड़ा उत्पादक और निर्यातक है। फ्लू-क्योर्ड वर्जीनिया(एफसीवी )तम्बाकू का उत्पादन 20 हजार हेक्टेयर क्षेत्र से लगभग 30 करोड़ किलोग्राम है, जबकि 25 हजार हेक्टेयर क्षेत्र से 45 करोड़ किलोग्राम गैर तम्बाकू का उत्पादन होता है। वैश्विक परिदृश्य में, भारतीय तम्बाकू का क्षेत्रफल 10 प्रतिशत और कुल उत्पादन का 9 प्रतिशत है।

 

भारत में 15 राज्यों में होती है तम्बाकू की खेती

भारत में तम्बाकू उत्पादन की अनूठी विशेषता यह है कि पूरे देश में फैली विविध कृषि-पारिस्थितिक स्थितियों के तहत फ्लू-क्योर्ड वर्जीनिया और विभिन्न प्रकार के गैर फ्ल्यू क्यौर्ड वर्जीनिया तम्बाकू का उत्पादन किया जाता है। देश के लगभग 15 राज्यों में तम्बाकू की खेती की जाती है, जो कृषि समुदाय की अर्थव्यवस्था और समृद्धि को महत्वपूर्ण रूप से प्रभावित करता है। भारत में प्रमुख तम्बाकू उत्पादक राज्यों में गुजरात, आंध्र प्रदेश, उत्तर प्रदेश, कर्नाटक, पश्चिम बंगाल, तेलंगाना और बिहार शामिल हैं। गुजरात, आंध्र प्रदेश और उत्तर प्रदेश देश के कुल तम्बाकू उत्पादन में क्रमशः लगभग 45, 20 और 15 प्रतिशत का योगदान करते हैं। कर्नाटक लगभग 8 प्रतिशत के साथ दूसरे स्थान पर है, जबकि शेष राज्य सामूहिक रूप से देश के कुल तम्बाकू उत्पादन का लगभग 2-3 प्रतिशत हिस्सा बनाते हैं। एफसीवी, बीड़ी, हुक्का, च्यूइंग, सिगार-रैपर, चेरूट, बर्ली, ओरिएंटल, एचडीबीआरजी, लंका, पिक्का, नाटू, मोतिहारी, जटी आदि देश में उगाए जाने वाले तम्बाकू के विभिन्न प्रकार हैं। एफसीवी, बर्ली और ओरिएंटल तम्बाकू प्रमुख निर्यात योग्य प्रकार हैं।

44 लाख को रोजगार देती है बीड़ी

राजामुन्द्री स्थित सीटीआरआइ के अनुसार 60 लाख किसान और तम्बाकू की खेती में जुड़ेे 2 करोड़ खेत मजदूर शामिल हैं। इसके अलावा 1 करोड़ लोग प्रसंस्करण, विनिर्माण और निर्यात में कार्यरत हैं। अकेले बीड़ी बनाने से 44 लाख लोगों को रोजगार मिलता है और 22 लाख आदिवासी तेंदू पत्ता संग्रह में शामिल हैं। मुख्य लाभार्थी छोटे और सीमांत किसान, ग्रामीण महिलाएं, आदिवासी युवा और समाज के कमजोर वर्ग हैं। तम्बाकू से प्रतिवर्ष 4,400 करोड़ रुपये की विदेशी मुद्रा प्राप्त होती है, जो देश के कुल कृषि-निर्यात का 4 प्रतिशत है, तथा 14,000 करोड़ रुपये उत्पाद शुल्क राजस्व के रूप में प्राप्त होते हैं, जो सभी स्रोतों से प्राप्त कुल उत्पाद शुल्क राजस्व का 10 प्रतिशत से अधिक है।

 

विश्व का दूसरा बड़ा तम्बाकू निर्यातक है भारत

भारतीय तम्बाकू को ‘पैसे के लिए मूल्य’ माना जाता है। भारत तम्बाकू के प्रमुख निर्यातकों में से एक है, तथा ब्राजील के बाद दूसरे स्थान पर है। विश्व तम्बाकू व्यापार में देश की हिस्सेदारी मात्रा के हिसाब से 6 प्रतिशत तथा मूल्य के हिसाब से 0.7 प्रतिशत है तथा हमारे निर्यात का 80-85प्रतिशत हिस्सा अकेले फ्लू-क्योर्ड वर्जीनिया (एफसीवी) का है। पिछले पांच वर्षों के दौरान, तम्बाकू तथा तम्बाकू उत्पादों के निर्यात में क्रमशः मात्रा और मूल्य के हिसाब से 76 प्रतिशत तथा 209 प्रतिशत की वृद्धि हुई है। यू.के., जर्मनी, बेल्जियम, तत्कालीन सोवियत संघ, दक्षिण कोरिया तथा दक्षिण अफ्रीका भारतीय एफसीवी तम्बाकू के प्रमुख आयातक हैं, जो हमारे निर्यात का 60 प्रतिशत से अधिक हिस्सा हैं। वर्तमान में निर्यात बाजार में भारत के प्रतिस्पर्धी देश ब्राजील, जिम्बाब्वे, तुर्की, चीन और इंडोनेशिया हैं। विश्व सिगरेट निर्यात में भारत की हिस्सेदारी मात्र 1 प्रतिशत से भी कम है। हालांकि, सुगंधित बीड़ी, हुक्का तंबाकू पेस्ट, सुगंधित चबाने वाले तंबाकू और जर्दा का निर्यात उल्लेखनीय है और निकट भविष्य में इन उत्पादों के निर्यात को बढ़ाने की गुंजाइश है।

 

भारत में बड़ी कम्पनियां का सिगरेट उद्योग पर दबदबा

भारतीय सिगरेट बाजार पर चार कंपनियों का प्रभुत्व है जिनमें आईटीसी लिमिटेड, गॉडफ्रे फिलिप्स इंडिया लिमिटेड (जीपीआई), वीएसटी इंडस्ट्रीज लिमिटेड और फिलिप मॉरिस इंटरनेशनल (पीएमआई) शमिल हैं जिनकी 2022 में कुल सिगरेट बिक्री में 98 प्रतिशत हिस्सेदारी थी। टुबैको बोर्ड गण्टूर की वेबसाइट में पंजीकृत वर्जीनियां तंबाकू निर्माता कंपनियों में 24 कंपनियों की सूची दी गयी है। इनके अलावा सिनार बीड़ी उद्योग और मोहलाल हरगोविन्द दास बीड़ी उद्योग जैसी कुछ बीड़ी कंपनियां भी हैं जिनमें लाखों महिला पुरुष काम करते हैं। बीड़ी बनाने का काम समूचे भारत में फैला हुआ है और इसमें महिलाओं एवं बच्चियां बहुतायत से जुडी हैं। लाखों की संख्या में ग्रामीण और शहरी गरीब महिला कामगार अपना परिवार इससे पालती हैं। तेंदू पत्तों में तंबाकू फैलाकर और फिर शंक्वाकार में मोड़ कर बीड़ी तैयार की जाती है। नेशनल लाइब्रेरी ऑफ मेडिसिन के एक सर्वे के अनुसार तम्बाकू सेवन के विविध स्वरूपों में बीड़ी पीने वाले वयस्कों का अनुपात 2009-2010 के दौरान 50.1 प्रतिशत था जो 2016-2017 के दौरान बढ़कर 57.0 प्रतिशत हो गया।

भारत में लगभग 267 मि लियन वयस्क तंबाकू का उपभोग करते हैं

ग्लोबल एडल्ट टोबैको सर्वे इंडिया, 2016-17 के अनुसार, भारत में लगभग 267 मि लियन वयस्क (15 वर्ष और उससे अधिक- सभी वयस्कों का 29%) तंबाकू का उपभोग करते हैं। धुआँ रहित तंबाकू भारत में तंबाकू के उपयोग का सबसे प्रचलित रूप है।

बीमारियों और मृत्यु के प्रमुख कारणों में से एक

यह भा रत में कई बीमारियों और मृत्यु के प्रमुख कारणों में से एक है और प्रत्येक वर्ष इससे लगभग 1.35 मिलियन लोगों की मौत होती है। भारत, तंबाकू का दूसरा सबसे बड़ा उपभोक्ता और उत्पादक भी है। वर्ष 2011 में भारत में 35-69 आयु वर्ग के व्यक्तियों के लिए तम्बाकू के उपयोग के कारण होने वाली सभी बीमारियों की कुल आर्थिक लागत 1,04,500 करोड़ रुपये (22.4 बिलियन अमेरिकी डॉलर) थी, जिसमें से 16% प्रत्यक्ष लागत और 84% अप्रत्यक्ष लागत थी।

(Note :  तम्बाकू आर्थिकी के लिए जितना भी लाभदायक हो मगर हम इसे जानलेवा ही मानेंगे और पाठकों को इससे बचने की सलाह ही देंगे।  –एडमिन )

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