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और महँगी होंगी बीड़ी और सिगरेट : टैक्स बढ़ाने के लिए केंद्र ने पेश किए दो विधेयक

 

uttarakhand  himalaya desk-

सिगरेट, पान मसाला और अन्य तंबाकू उत्पाद अब और महंगे होने जा रहे हैं। केंद्र सरकार ने इन उत्पादों पर लगने वाले क्षतिपूर्ति उपकर (Compensation Cess) की जगह अधिक कर लगाने की तैयारी कर ली है। इसके लिए केंद्रीय उत्पाद शुल्क (संशोधन) विधेयक, 2025 और स्वास्थ्य सुरक्षा व राष्ट्रीय सुरक्षा उपकर विधेयक, 2025 को मंगलवार को लोकसभा में पेश किया गया।

सरकार के अनुसार टैक्स बढ़ने से तंबाकू उत्पादों की कीमतों में वृद्धि होगी, जिससे इनके उपभोग में कमी आने की संभावना है। साथ ही, नए उपकर से सरकार को राजस्व जुटाने में भी मदद मिलेगी।

नया सेस ढांचा तैयार

प्रस्तावित स्वास्थ्य सुरक्षा और राष्ट्रीय सुरक्षा सेस के तहत सिगरेट, पान मसाला व अन्य तंबाकू उत्पादों के उत्पादन में इस्तेमाल होने वाली मशीनों और उपकरणों पर भी सेस लगाने का प्रावधान है।
क्षतिपूर्ति सेस की शुरुआत 2017 में जीएसटी लागू होने के बाद राज्यों को वित्तीय नुकसान से बचाने के लिए की गई थी, जिसे पाँच वर्ष तक जारी रखना था। बाद में इसे कुछ समय के लिए बढ़ाया गया, लेकिन अब यह 2025 तक ही लागू रहेगा।

अब केंद्र सरकार नए सेस के माध्यम से राजस्व जुटाने की तैयारी कर रही है। प्रस्ताव में कहा गया है कि 2024-25 में राज्यों को दिए गए जीएसटी मुआवजे की पूर्ति के लिए इन उत्पादों पर नया सेस जरूरी है।

नए कानून का कर ढांचा — क्या होगा असर

सिगरेट (लंबाई 65 मिमी तक प्रति 1000 स्टिक)

पुरानी दर: 4,006 रुपये

नई दर: 5,000 रुपये

सिगरेट (65 मिमी से अधिक प्रति 1000 स्टिक)

पुरानी दर: 4,006 रुपये

नई दर: 5,200 रुपये

फिल्टर सिगरेट (60–70 मिमी प्रति 1000 स्टिक)

पुरानी दर: 4,406 रुपये

नई दर: 5,400 रुपये

अधिक लंबाई वाली सिगरेट (70 मिमी से ज्यादा प्रति 1000 स्टिक)

नई दर: 7,000 रुपये (पहले से अधिक वृद्धि)

सरकार ने क्यों लाए दो विधेयक?

अब तक तंबाकू और पान मसाले पर जीएसटी व एक्साइज दोनों कर लागू थे, लेकिन क्षतिपूर्ति सेस समाप्त होने से सरकार को राजस्व में कमी आ सकती थी। इसकी पूर्ति के लिए नए उपकर लागू करने की जरूरत महसूस की गई।

साथ ही, इन उत्पादों पर टैक्स बढ़ाकर उपभोग को कम करने और सार्वजनिक स्वास्थ्य को सुरक्षित रखने पर भी सरकार का फोकस है।
स्वास्थ्य मंत्रालय के अनुसार, तंबाकू से जुड़ी बीमारियों से देश में हर साल लाखों मौतें होती हैं और भारी आर्थिक बोझ पड़ता है।

प्रस्ताव में यह भी कहा गया है कि तंबाकू उत्पादों के उत्पादन में मशीनों के उपयोग को नियंत्रित करना जरूरी है, क्योंकि बड़े पैमाने पर स्वचालित मशीनों से उत्पादन बढ़ता है और कर चोरी की संभावनाएँ भी रहती हैं।

नए विधेयकों के पारित होने के बाद राज्यों को जीएसटी मुआवजा न मिलने की स्थिति में उनकी वित्तीय स्थिति को मजबूत करने में मदद मिलने की उम्मीद जताई जा रही है।

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