सूर्य का प्रकोप: जब सौर तूफान ने पृथ्वी को झकझोर दिया!
The sun often ejects ionized gas, (plasma) and magnetic fields in the form of coronal mass ejections (CMEs) into inter-planetary space. When these CMEs encounter planets such as our Earth, they interact with the planetary magnetic fields resulting in major magnetic storms. Accelerated particles and geomagnetic storms can adversely affect human technology on Earth and in space. Thus, understanding and predicting CMEs has both scientific and practical importance. In late-April 2023, a severe geomagnetic storm in Earth’s magnetosphere led to an vivid display of the aurora in in lower latitudes extending to places like Ladakh. Astronomers have used multiwavelength observations from multiple space telescopes to track the origins of the storm in the Sun. They found that the rotation of the filament structure when it was near the Sun was the leading cause behind this solar storm which resulted in such a strong effect on the Earth.

-Edited by- Jay Singh Rawat-
अप्रैल 2023 के अंत में, पृथ्वी के चुंबकीय मंडल (मैग्नेटोस्फीयर) में एक तीव्र भू-चुंबकीय तूफान आया। इसका प्रभाव इतना व्यापक था कि लद्दाख जैसे स्थानों तक ध्रुवीय प्रकाश (औरोरा) देखा गया। खगोलविदों ने इस तूफान की उत्पत्ति को समझने के लिए कई अंतरिक्ष दूरबीनों का उपयोग किया। अध्ययन में पाया गया कि सूर्य के पास मौजूद एक सूत्रीय संरचना (फिलामेंट स्ट्रक्चर) के घूमने से यह सौर तूफान उत्पन्न हुआ, जिसने पृथ्वी पर गंभीर असर डाला।
सौर तूफानों का कारण और प्रभाव
सूर्य नियमित रूप से आयनित गैस (प्लाज्मा) और चुंबकीय क्षेत्र को कोरोनल द्रव्यमान उत्सर्जन (सीएमई) के रूप में अंतरिक्ष में उत्सर्जित करता है। जब ये सीएमई पृथ्वी जैसे ग्रहों तक पहुंचते हैं, तो वे ग्रह के चुंबकीय क्षेत्र के साथ प्रतिक्रिया करते हैं, जिससे भू-चुंबकीय तूफान उत्पन्न होते हैं। ये तूफान पृथ्वी और अंतरिक्ष में स्थापित प्रौद्योगिकियों को प्रभावित कर सकते हैं, जिससे संचार प्रणालियों, उपग्रहों और विद्युत ग्रिड्स पर नकारात्मक प्रभाव पड़ सकता है। इसलिए, वैज्ञानिकों के लिए सीएमई को समझना और इसका पूर्वानुमान लगाना बहुत महत्वपूर्ण है।
सबसे तीव्र भू–चुंबकीय तूफान
21 अप्रैल 2023 की आधी रात (भारतीय समयानुसार) सूर्य के ‘सक्रिय क्षेत्र 13283’ से एक शक्तिशाली सीएमई विस्फोट हुआ। यह सौर चक्र 25 का सबसे तीव्र भू-चुंबकीय तूफान था। यह सीएमई लगभग 1500 किमी/सेकंड की तेज गति से पृथ्वी की ओर बढ़ा और 23 अप्रैल को दोपहर 12:30 बजे पृथ्वी के वायुमंडल से टकराया। इसके एक घंटे बाद ही पृथ्वी पर भू-चुंबकीय तूफान शुरू हो गया। यह तूफान अपने चरम पर “G4 गंभीर” श्रेणी में वर्गीकृत किया गया।
इस तूफान के दौरान, लद्दाख में स्थित भारतीय खगोलीय वेधशाला के सभी आकाशीय कैमरों ने ध्रुवीय प्रकाश (औरोरा) को रिकॉर्ड किया। यह वेधशाला भारतीय खगोल भौतिकी संस्थान (Indian Institute of Astrophysics) द्वारा संचालित है।
वैज्ञानिक अनुसंधान और निष्कर्ष
भारतीय खगोल भौतिकी संस्थान के वैज्ञानिकों ने इस सौर तूफान के स्रोत का पता लगाने के लिए विभिन्न डेटा का विश्लेषण किया। इस अध्ययन के प्रमुख लेखक डॉ. पी. वेमारेड्डी ने बताया कि यह सीएमई सूर्य की सतह पर एक कमजोर चुंबकीय क्षेत्र से उत्पन्न हुआ था। आमतौर पर, ऐसे मामलों में तीव्र भू-चुंबकीय तूफान की संभावना कम होती है, क्योंकि इसमें ऊर्जा संचय की प्रक्रिया धीमी होती है। लेकिन इस बार चुंबकीय प्रवाह की संरचना में अप्रत्याशित रूप से बड़े बदलाव हुए, जिससे तूफान अत्यधिक शक्तिशाली बन गया।
भविष्य के शोध और आदित्य–एल1 मिशन
सीएमई के प्रभाव को बेहतर ढंग से समझने के लिए वैज्ञानिक अब हाल ही में लॉन्च की गई भारतीय अंतरिक्ष वेधशाला आदित्य–एल1 से प्राप्त डाटा का विश्लेषण कर रहे हैं। यह वेधशाला सूर्य के वातावरण की गहराई से निगरानी करेगी और सीएमई की गति और दिशा को मापने में मदद करेगी। भारतीय खगोल भौतिकी संस्थान द्वारा विकसित ‘विजिबल एमिशन लाइन कोरोनाग्राफ’ (VELC) उपकरण विशेष रूप से सूर्य के निकट सीएमई गतिविधियों को रिकॉर्ड करेगा।
यह अध्ययन दर्शाता है कि कोरोनल द्रव्यमान उत्सर्जन (सीएमई) और उसके चुंबकीय प्रभाव को समझना पृथ्वी और अंतरिक्ष प्रौद्योगिकी की सुरक्षा के लिए आवश्यक है। वैज्ञानिकों को उम्मीद है कि भविष्य में इस प्रकार की घटनाओं की सटीक भविष्यवाणी करने में आदित्य-एल1 मिशन महत्वपूर्ण भूमिका निभाएगा।
Publication: Filament Eruption from Active Region 13283 Leading to a Fast Halo-CME and an