ब्लॉग

उत्तराखण्ड की कई समस्याओं का समाधान है जनजातीय दर्जा

-अनूप सिंह बिष्ट

उत्तराखंड की संस्कृति और भाषा तभी बचेंगी जब लोग वहीं रहेंगे, और लोग तभी रहेंगे जब रोजगार के अवसर उपलब्ध होंगे।उत्तराखंड की असली समस्या पलायन है, और इसका समाधान तभी संभव है जब स्थानीय लोगों को उनके संसाधनों और अधिकारों की सुरक्षा मिले।

5वीं अनुसूची का दर्जा न केवल संसाधनों पर स्थानीय हक सुनिश्चित करेगा बल्कि रोजगार के अवसर भी बढ़ाएगा। 50% राज्य स्तर और 7.5% केंद्र स्तर पर आरक्षण मिलने से पहाड़ के युवाओं को शिक्षा और नौकरियों में समान अवसर मिलेंगे, जैसा कि अन्य पहाड़ी राज्यों को मिला हुआ है।

8वीं अनुसूची में उत्तराखंडी भाषा का स्थान भी तभी संभव होगा जब जनजातीय राज्य (Tribe Status) की मान्यता मिलेगी। इससे न सिर्फ भाषा को संवैधानिक संरक्षण मिलेगा बल्कि इसे शिक्षा और प्रशासन में भी महत्व दिया जाएगा।

केवल संस्कृति और भाषा की राजनीति करने से कुछ नहीं होगा, जब तक जमीनी स्तर पर ठोस नीतियां लागू नहीं की जातीं। उत्तराखंड के लोगों को संगठित होकर 5th Schedule मुद्दे पर कार्य करना होगा ताकि पहाड़ की पहचान, संसाधन और अधिकार सुरक्षित रह सकें।

 

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

error: Content is protected !!