लिक्विड क्रिस्टल के ऑप्टिकल गुणों को मिलाने से नई पीढ़ी के ऑप्टिकल उपकरणों के लिए उपयोगी हो सकती

-uttarakhandhimalaya.in-
वैज्ञानिकों ने लिक्विड क्रिस्टल में तरंग दैर्ध्य के अस्वीकृत बैंड्स को प्रकाशसक्रिय द्वितय (फोटोएक्टिव डाइमर) कार्बनिक अणुओं के साथ अपमिश्रित (डोपिंग) करके इस प्रकार ट्यून किया है जिनकी ऐसी विशेषताएं सामने आती है जो नई पीढ़ी के ऑप्टिकल उपकरणों के लिए उपयोगी हो सकती हैं।
प्रकाश को व्यवस्थित करने की उनकी क्षमता के कारण, नई पीढ़ी के ऑप्टिकल उपकरणों को विकसित करने के लिए फोटोनिक क्रिस्टल (पीसी) में रुचि बढ़ रही है। पीसी की विद्युत् प्रवाह को रोकने की आवधिक क्षमता (डाईइलेक्ट्रिक) संरचना तरंग दैर्ध्य या फोटोनिक बैंडगैप (पीबीजी) के अस्वीकृत बैंड को जन्म देती है। बैंडगैप विद्युत चुम्बकीय विकिरण की ऐसी आवृत्तियों/तरंग दैर्ध्य से मेल खाता है जो सामग्री के माध्यम से प्रवाहित नहीं होते हैं। विभिन्न पीबीजी संरचनाओं में, लिक्विड क्रिस्टल (एलसी), जिनमे अणु एक आवधिक संरचना में स्वयं व्यवस्थित हो जाते हैं, स्वयं-इकट्ठा होने की अपनी क्षमता के कारण ध्यान आकर्षित कर रहे हैं। तरल प्रणालियाँ पीबीजी संरचनाओं को दो चरणों – अर्थात् कोलेस्टेरिक (सीएच) चरण और ट्विस्ट ग्रेन बाउंड्री स्मेक्टिक सी* (टीजीबीसी*) चरण में प्रदर्शित करते हुए क्रमशः एकल और तीन आयामों में आवधिक संरचनाओं को प्रदर्शित करते हैं। इन प्रणालियों के पीबीजी गुणों को बाहरी उत्तेजनाओं जैसे तापमान, नैनोकणों के साथ डोपिंग आदि द्वारा आसानी से बदला जा सकता है।
विज्ञान और प्रौद्योगिकी विभाग (डीएसटी) के अंतर्गत एक स्वायत्त संस्थान, नैनो एवं मृदु पदार्थ विज्ञान केंद्र (सेंटर फॉर नैनो एंड सॉफ्ट मैटर साइंसेज -सीईएनएस) के वैज्ञानिकों ने लिक्विड क्रिस्टल प्रणाली (एलसी सिस्टम) की एक-आयामी और त्रि-आयामी पीबीजी विशेषताओं पर पराबैंगनी (अल्ट्रावायलेट) प्रकाश के प्रभाव का प्रदर्शन किया है।
दो समारूपी अथवा समान इकाइयों (डाइमर्स) वाली संरचना के साथ अतिथि फोटोएक्टिव कार्बनिक यौगिकों की छोटी मात्रा को शामिल करके, 1 या 3-आयामों में पीबीजी की तरंग दैर्ध्य और चौड़ाई को पराबैंगनी (यूवी) प्रकाश की उपस्थिति में ट्यून किया जा सकता है।
देखी गई इस सुविधा का उपयोग एक ऐसे चयनात्मक तरंग दैर्ध्य दर्पण के रूप में किया जा सकता है जिसकी तरंग दैर्ध्य को प्रकाशिक रूप से (ऑप्टिकली) ट्यून किया जा सकता है। एक और रोचक तथ्य यह है कि पराबैंगनी (यूवी) या विकिरणशील (एक्टिनिक) प्रकाश द्वारा निर्धारित दो-आयामी पीबीजी में देखा गया स्मृति (मेमोरी) प्रभाव, स्मृति (मेमोरी) उपकरणों के लिए आश्वस्त रखने वाली एक विशेषता है। ‘जर्नल ऑफ मॉलिक्यूलर लिक्विड्स’ में प्रकाशित यह शोध कार्य राजलक्ष्मी साहू, रेशमा सी., डी.एस. शंकर राव, सी.वी. येलमग्गड, और एस. कृष्णा प्रसाद द्वारा किया गया था।