मोदी-ट्रम्प मुलाकात के बाद, 119 निर्वासित भारतीयों का दूसरा जत्था आज रात पहुंचेगा अमृतसर
The latest deportation includes 67 individuals from Punjab, 33 from Haryana, eight from Gujarat, three from Uttar Pradesh, two each from Rajasthan and Maharashtra, and one each from Goa, Jammu and Kashmir, and Himachal Pradesh.
–translated and edited by Usha Rawat-
अमेरिका से 119 डिपोर्ट किए गए भारतीयों का एक और विमान शनिवार को अमृतसर हवाई अड्डे पर उतरेगा। इनमें से आधे से अधिक लोग पंजाब के हैं। एक और उड़ान 16 फरवरी को आने की उम्मीद है। यह स्पष्ट नहीं है कि निर्वासितों को अमेरिका का कोई विमान लेकर आएगा या भारतीय सरकार ने उड़ान की व्यवस्था की है।
15 फरवरी को इंडियन एक्सप्रेस में कमलदीप सिंह ब्रार की एक रिपोर्ट के अनुसार, 104 भारतीयों वाला एक C-17 विमान अमृतसर पहुंचा था, जिनमें से अधिकांश हरियाणा, गुजरात और पंजाब से थे। सूत्रों के अनुसार, दूसरे जत्थे के निर्वासित, पहले विमान की तुलना में, शायद हथकड़ी में नहीं होंगे। केंद्र सरकार को पहले उड़ान में यात्रियों के साथ हुई दुर्व्यवहार के कारण आलोचना का सामना करना पड़ा था।
निर्वासितों के कथित “मानवाधिकार उल्लंघन” को लेकर संसद में हंगामा मच गया था, और विदेश मंत्री ने इस मुद्दे को अमेरिकी सरकार के साथ उठाने का वादा किया था। दूसरा विमान शनिवार को रात 10 बजे से 11 बजे के बीच अमृतसर अंतर्राष्ट्रीय हवाई अड्डे पर पहुंचने की उम्मीद है। सूत्रों ने बताया कि इसमें पंजाब से 67, हरियाणा से 33, गुजरात से 8, उत्तर प्रदेश से 3, महाराष्ट्र और राजस्थान से 2-2, और गोवा, हिमाचल प्रदेश तथा जम्मू और कश्मीर से एक-एक निर्वासित होंगे।
पहले विमान में अधिकांश निर्वासितों ने अमेरिका में अवैध “डंकी” मार्ग से प्रवेश किया था। कई लोगों ने महीनों लंबी यात्रा की थी, जिसके लिए उन्होंने अवैध एजेंटों को बड़ी रकम चुकाई थी। उनके लौटने के बाद पंजाब और हरियाणा सरकारों ने कई ऐसे एजेंटों को गिरफ्तार किया है। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की अमेरिका यात्रा के दौरान अवैध आप्रवासन का मुद्दा राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप के साथ उठाया गया था।
इससे पूर्व विदेश सचिव विक्रम मिस्री ने कहा था कि , “उन्होंने छात्रों और पेशेवरों की कानूनी गतिशीलता के रास्ते को सुगम बनाने और शॉर्ट-टर्म पर्यटक और व्यापार यात्रा को सुविधाजनक बनाने का वादा किया है, साथ ही अवैध आप्रवासन और मानव तस्करी को आक्रामक रूप से संबोधित करने का भी संकल्प लिया है। दोनों पक्षों ने सार्वजनिक और कूटनीतिक सुरक्षा तथा दोनों देशों की संप्रभुता और क्षेत्रीय अखंडता को खतरे में डालने वाले तत्वों के खिलाफ निर्णायक कार्रवाई करने का वादा किया है। इसके संदर्भ में कानून प्रवर्तन को मजबूत करने की प्रतिबद्धता है, जो हमारी दृष्टि से महत्वपूर्ण है, विशेष रूप से कुछ घटनाओं के मद्देनजर।”
एक्सप्रेस की रिपोर्ट के अनुसार, अमेरिका से डिपोर्ट किए गए 30 पंजाबी लोगों में से 14 ने अपने एजेंटों के नाम बताए। निर्वासितों द्वारा बताए गए 14 यात्रा एजेंटों में से 5 दुबई से हैं, एक-एक स्पेन और दिल्ली से, और अन्य पंजाब के विभिन्न शहरों से, जैसे तंदा, पटियाला, लुधियाना, अटारी, नवांशहर आदि। कुछ डिपोर्टियों ने अपने एजेंटों के उपनाम जैसे साबू, डॉक्टर (पाकिस्तान से), हैप्पी, रॉकी, संधू बताए, लेकिन उन्होंने कहा कि उन्हें उनके पूर्ण नाम या पते का ज्ञान नहीं है।
समाचार एजेंसी पीटीआई के अनुसार, निरवासन उड़ानें हर दो सप्ताह में तब तक जारी रहेंगी जब तक सभी अवैध भारतीय आप्रवासी अमेरिका से वापस नहीं भेज दिए जाते। नवीनतम निर्वासन में पंजाब से 67, हरियाणा से 33, गुजरात से 8, उत्तर प्रदेश से 3, राजस्थान और महाराष्ट्र से 2-2, और गोवा, जम्मू और कश्मीर तथा हिमाचल प्रदेश से एक-एक व्यक्ति शामिल हैं। निर्वासित भारतीय नागरिकों के साथ किए गए व्यवहार ने जनता और विपक्षी दलों ने आक्रोश प्रकट किया है।इस यात्रा के दौरान निर्वासितों को हथकड़ी और बेड़ियों में जकड़े जाने की रिपोर्ट्स ने भारतीय सरकार की इस स्थिति से निपटने की आलोचना हुयी है। जबकि अमेरिकी इमिग्रेशन और कस्टम्स एन्फोर्समेंट ने इन कदमों का बचाव करते हुए कहा कि ये मानक सुरक्षा प्रोटोकॉल हैं, जो निरवासन उड़ानों के दौरान भागने या व्यवधानों को रोकने के लिए उपयोग किए जाते हैं। हालांकि, कई लोगों ने यह तर्क दिया है कि उन व्यक्तियों को बेड़ियों में जकड़ना, जिन्होंने केवल आप्रवासन उल्लंघन किया है और अन्य अपराध नहीं किए हैं, अत्यधिक और अमानवीय है। विपक्षी नेताओं ने भारतीय सरकार से अपने नागरिकों के साथ विदेशों में हो रहे इस अन्यायपूर्ण व्यवहार के खिलाफ मजबूत कदम उठाने का आह्वान किया है।