पर्यावरण

उत्तर भारत में सबसे अधिक हाथी उत्तराखंड में; देश में पांचवें स्थान पर

देहरादून/नई दिल्ली। भारत सरकार के पर्यावरण, वन और जलवायु परिवर्तन मंत्रालय तथा वाइल्डलाइफ इंस्टीट्यूट ऑफ इंडिया (डब्ल्यूआईआई) द्वारा आयोजित 36वीं वार्षिक अनुसंधान संगोष्ठी में जारी नई राष्ट्रीय हाथी गणना रिपोर्ट ने उत्तराखंड को उत्तर भारत का ‘हाथी हॉटस्पॉट’ घोषित कर दिया है। राज्य में 1,792 हाथी पाए गए हैं, जो उत्तर भारत (शिवालिक पहाड़ियां और गंगा मैदान क्षेत्र) में सबसे अधिक संख्या है। देश स्तर पर यह आंकड़ा उत्तराखंड को पांचवें स्थान पर लाता है, जहां कर्नाटक (6,013), असम (4,159), तमिलनाडु (3,136) और केरल (2,785) आगे हैं।

यह पहली बार है जब हाथी गणना डीएनए आधारित तकनीक से की गई, जो पारंपरिक अवलोकन विधि से कहीं अधिक सटीक है। 2017 की जनगणना में देशभर में 29,964 हाथी अनुमानित थे, लेकिन नई विधि के कारण पुरानी रिपोर्ट से सीधी तुलना संभव नहीं। सर्वेक्षण प्रोजेक्ट एलिफेंट के तहत 2021 से 2024 तक चला, जिसमें 21 राज्यों के जंगलों का अध्ययन किया गया।

सर्वे की विधि और आंकड़े

  • तीन चरणीय प्रक्रिया:
    1. फील्ड सर्वे: एम-स्ट्रिप्स ऐप से डेटा संग्रह, 3,19,460 डंग प्लॉट (हाथी गोबर स्थल) बनाए गए।
    2. सैटेलाइट विश्लेषण: जंगलों की गुणवत्ता और आवास का आकलन।
    3. डीएनए जांच: 21,056 गोबर नमूनों से 4,065 अलग-अलग हाथियों की पहचान। ‘मार्क-रेकैप्चर’ मॉडल से कुल आबादी का अनुमान।
  • कुल 6.7 लाख किलोमीटर जंगलों की पैदल खोजबीन और 6,66,977 फुट सर्वे
  • उत्तराखंड में कार्य मुख्य रूप से 2022-2023 में पूरा हुआ, जबकि पूर्वोत्तर में 2024 तक चला।
  • राज्य के कोर जोन जैसे जिम कॉर्बेट, राजाजी नेशनल पार्क और आसपास के क्षेत्रों में हाथियों की घनत्व अधिक पाया गया।

रिपोर्ट को पूर्व मुख्य वन संरक्षक एसपी यादव, पूर्व पर्यावरण सचिव रमेश पांडे, डब्ल्यूआईआई के निदेशक गोबिंद भारद्वाज और अन्य विशेषज्ञों ने जारी किया। उन्होंने बताया कि यह डेटा हाथी कॉरिडोर संरक्षण, मानव-वन्यजीव संघर्ष कम करने और आवास सुधार के लिए नीतियां बनाने में मदद करेगा।

उत्तराखंड में हाथी आबादी का महत्व

  • क्षेत्रीय वृद्धि: शिवालिक पहाड़ियां और गंगा मैदान क्षेत्र में कुल 2,062 हाथी, जिनमें उत्तराखंड का योगदान प्रमुख। राज्य में हाथियों की संख्या में वृद्धि का कारण बेहतर संरक्षण प्रयास, जैसे इलेक्ट्रिक फेंसिंग और गजमित्र कार्यक्रम।
  • चुनौतियां: बढ़ती आबादी से मानव-हाथी संघर्ष बढ़ा है। हाल ही में रामनगर, टिहरी और हरिद्वार में फसल नुकसान और हमले की घटनाएं रिपोर्ट हुईं। वन विभाग ने 24×7 निगरानी, ड्रोन सर्विलांस और किसानों को मुआवजा बढ़ाने की योजना बनाई।
  • संरक्षण पहल: प्रोजेक्ट एलिफेंट के तहत उत्तराखंड को ‘एलीफेंट रिजर्व’ का दर्जा। विशेषज्ञों का कहना है कि डीएनए डेटाबेस से हाथियों की माइग्रेशन ट्रैकिंग आसान होगी, जो नेपाल बॉर्डर से आने वाले झुंडों पर फोकस करेगी।

विशेषज्ञों की राय

डब्ल्यूआईआई के वैज्ञानिकों ने बताया कि यह विधि भविष्य के सर्वे के लिए स्टैंडर्ड बनेगी। पर्यावरण मंत्री का बयान: “यह रिपोर्ट संरक्षण को मजबूत करेगी, लेकिन जलवायु परिवर्तन और वन कटाई से खतरा बरकरार।” स्थानीय वन अधिकारी ने अमर उजाला को कहा, “उत्तराखंड में हाथी पर्यटन को बढ़ावा दे सकते हैं, लेकिन संघर्ष प्रबंधन जरूरी।”

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

error: Content is protected !!