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पूर्व विधायकों की पेंशन: उत्तराखण्ड को लग रही है हर साल 6.32 करोड़ की चपत

देहरादून, 7 जनवरी (उहि)। अपना पूरा जीवन सरकार को समर्पित करने वाले कर्मचारियों की पेंशन तो सरकार ने छीन रखी है मगर कुछ सालों तक विधायकी करने वाले विधायकों पर सरकारी पेंशन अनवरत बरसती जा रही है। उत्तराखण्ड जैसे अल्प संसाधनों वाले गरीब राज्य को प्रतिमाह 52 लाख रुपये से अधिक राशि पूर्व विधायकों की पेंशन के रूप में गंवानी पड़ रही है। बिना किसी काम के राज्य सरकार के खजाने पर पूर्व विधायकों की पेंशन का लगभग 6.32 करोड़ का बोझ पड़ रहा है। इसीलिये आम नागरिकों का मानना है कि राज्य बनने का फायदा नौकरशाहों, नेताओं और माफियाओं ने ही उठाया है। यही नहीं विधायकगण जब चाहे अपने वेतन भत्ते भी बढ़ा लेते हैं। नियमानुसार विधानसभा की साल में कम से कम 60 बैठकें होनी चाहिये ताकि राज्य की समस्याओं और भविष्य पर विस्तार से मंथन हो सके। मगर उत्तराखण्ड में साल में 20 बैठकें भी नहीं हो पाती हैं। कई बार तो बजट बिना पूरी बहस के पास हो जाते हैं। यही नहीं मार्च 2016 में तो कुछ विधायकों ने राज्य का बजट 6 महीनों तक लटकवा दिया था ताकि सरकारी काम काज और विकास कार्य ठप्प हो सकें।

काशीपुर निवासी सूचना अधिकार कार्यकर्ता नदीम उद्दीन (एडवोकेट) को सूचना के अधिकार के तहत मिली जानकारी के अनुसार उत्तराखंड के कुल 95 पूर्व विधायकों को हर माह कुल 52 लाख 73 हजार नौ सौ रूपये की मासिक पेंशन दी जा रही हैै। इसमें पूर्व विधायकों को 1997 से 2 पूर्व विधायकों को, 1 पूर्व विधायक को 1998 से, 8 पूर्व विधायकों को 2002 से, 9 को 2004 से, 6 को 2007 से, 1 को 2008 से, 1  को 2009 से, 31 पूर्व विधायकों को 2012 से, 5 को 2016 से, 29 को 2017 से, 1 को 2018 से तथा 1 पूर्व विधायक को 2019 से पेंशन मिल रही है।

नदीम को उपलब्ध सूची के अनुसार 1997 से पेंशन लेने वालों में मौ0 असलम खान, कुंवर नरेन्द्र सिंह, 1998 से राजीव कुमार, 2002 से  राम सिंह सैनी, मोहन सिंह रावत ’गांववासी, निरूपमा गौड़़़, लाखी राम जाशी, नारायण सिंह राणा, ज्ञान चन्द्र, सुरेश चन्द्र आर्य, के0सी0सिंह बाबा, 2004 से धनी राम सिंह नेगी, विरेन्द्र सिंह, रामयश सिंह, किशन सिंह तड़ागी, नवीन चन्द्र तिवारी, पूरन चन्द्र शर्मा, कुंवर सिंह नेगी, गोपाल दत्त ओझा, पृथ्वीपाल सिंह चैहान, 2007 से उम्मेद सिंह मांजिला, कैलाश शर्मा, काशी सिंह ऐरी,, सूरवीर सिंह सजवाण, राम प्रसाद टम्टा, डा0 नारायण सिंह जन्तवाल, 2008 से इसम सिंह, 2009 से तेजपाल सिंह रावत, 2012 से राजेश जुवांठा, किशोर उपाध्याय, बलवीर सिंह, ओम गोपाल रावत, कुलदीप कुमार, जोत सिंह गुनसोला, सुरेश चन्द्र जैन, चै0 यशवीर सिंह, शहजाद, तसलीम अहमद, शैलेन्द्र सिंह रावत, यशपाल बेनाम, आशा नौटियाल, केदार सिंह फोनियाल, अनिल नौटियाल, गोविन्द लाल, शेर सिंह गडिया,पुष्पेश त्रिपाठी, रणजीत रावत, प्रेमानन्द महाजन, तिलक राज बेहड, नारायण पाल, गोपाल सिंह राना, वीना महाराना, जोगा राम टम्टा, गगन सिंह, कैरन मेयर, दिवाकर भट्ट, मातबर सिंह, गोविन्द सिंह बिष्ट, किरन मण्डल, 2016 से अमृता रावत, शैलेन्द्र मोहन सिंघल, विजय बहुगुणा, भीमलाल आर्य, दान सिंह भंडारी, 2017 से माल चन्द्र, विजयपाल सिंह सजवाण, जीत राम, विक्रम सिंह नेगी, महावीर सिंह, राजकुमार, हीरा सिंह बिष्ट, चन्द्र शेखर, हरिदास, सरवत करीम अंसारी, विजय बड़थ्वाल, गणेश गोदियाल, मयूख सिंह, नारायण राम आर्य, ललित फस्र्वाण, मदन सिंह बिष्ट, मनोज तिवारी, हेमेश खर्कवाल, सरिता आर्य, आर0 पी0 गार्डनर, राजेन्द्र सिंह भण्डारी, शैला रानी रावत, मंत्री प्रसाद नैथानी, दिनेश धनै, नवप्रभात, दिनेश अग्रवाल, सुरेन्द्र सिंह नेगी, हरीश रावत, हरीश चन्द्र दुर्गापाल, 2018 से महेन्द्र सिंह माहरा तथा 2019 से भुवन चन्द्र खंडूरी को पेंशन मिल रही है।

नदीम को उपलब्ध सूची के अनुसार पूर्व विधायकों में सबसे कम 14 हजार कैरन मेयर को तथा सर्वाधिक 91 हजार राम सिंह सैनी को पेंशन मिल रही है। इसके अतिरिक्त 40 हजार से 45 हजार प्रतिमाह तक 7 पूर्व विधायकों को, 46 हजार से 48800 तक 24 विधायकों को, 50 हजार से 55 हजार तक 18 विधायकों को, 58 हजार से 60 हजार तक 25 को विधायकों, 62 हजार से 66 हजार तक 7 को,  67 हजार से 72 हजार तक 7 पूर्व विधायकों को, 73 हजार 2 पूर्व विधायकों को, 76 हजार 1 पूर्व विधायक को, 79 हजार 1 को तथा 85 हजार की मासिक पेंशन 1 पूर्व विधायक को मिल रही है।

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