धर्म/संस्कृति/ चारधाम यात्रापर्यावरण

वन देवी जनजागरण यात्रा का देवाल के अंतिम गांव हाट कल्याणी में हुआ समापन

-हरेंद्र बिष्ट की रिपोर्ट-
थराली/देवाल, 6 फरबरी। पांच दिवसीय वन देवी जनजागरण यात्रा गुरूवार को जिले के अंतिम विकासखंड देवाल के हाट कल्याणी गांवों में समापन हो गया हैं। यहां पर भी ग्रामीणों ने जंगलों को आग से बचाने की शपथ ली।

3 फरवरी को जिला मुख्यालय गोपेश्वर से शुरू हुई जनजागरण यात्रा बुधवार की देर सायं अलकनंदा भूमि एवं संरक्षण प्रभाग गोपेश्वर की प्रभागीय वनाधिकारी प्रियंका शुंडली के नेतृत्व में हाट कल्याणी गांवों पहुंची जहां पर पूर्वी पिंडर रेंज देवाल, अलंकार भूमि संरक्षण रेंज थराली के वनाधिकारियों,वन कर्मियों एवं हाट कल्याणी सहित आसपास के गांवों की महिला मंगल दलों व गांवों के ग्रामीणों ने यात्रा का भव्य स्वागत किया।इस मौके पर ग्रामीणों ने जंगलों को आग से बचाने से संबंधित लोक गीत, नाटक एवं चाचरी प्रस्तुत किए।इस मौके पर आयोजित गोष्ठी को संबोधित करते हुए अलकनंदा डीविजन की डीएफओ अलकनंदा प्रियंका शुंडली ने कहा कि उत्तराखंड देवभूमि हैं यहां के पहाड़ी जिलों के अधिकांश गांवों जंगलों के बीच बसे हुए हैं, इन्हीं जंगलों में यहां के तमाम देवी, देवताओं का वास रहता है,जंगलों में आग लगने के कारण जहां वन संपदा, जीव-जंतुओं को तो भारी नुकसान पहुंचता ही हैं, वही जंगलों में वास करने वाले देवी-देवताओं के मंदिरों इनमें रखी सामग्रियों को नुकसान होता है। जिससे वें रूष्ठ हो जातें हैं परिणामस्वरूप बरसात में बाढ़, भूस्खलन,बादल फटने जैसी दुर्भाग्यपूर्ण घटना होती हैं। जिससे का सीधा प्रभाव यहां के वासियों को भुगतना पड़ता हैं। डीएफओ ने जंगलों को आग से बचाने का प्ररण लेने की अपील करते हुए उपस्थित जनसमूह से जंगलों को आग से बचाने की शपथ दिलाई। इस मौके पर बद्रीनाथ वन प्रभाग गोपेश्वर के अंतर्गत मध्य पिंडर रेंज देवाल के रेंजर मनोज देवराड़ी, अलकनंदा रेंज थराली के रेंजर सुरेंद्र बिष्ट, कर्णप्रयाग के रविन्द्र निराला, दौलत सिंह बिष्ट,वन दरोगा खिमानंद खंडूड़ी, रमेश भंडारी, गंभीर सिंह बिष्ट,दिनेश गुसाईं, दीपक सिंह मेहरा, कुंदन सिंह नेगी, रघुवीर सिंह, राकेश जोशी,भरत सिंह बिष्ट, कुंवर सिंह गुसाईं, दिनेश चंदोला आदि के नेतृत्व में ग्रामीणों ने यात्रा का स्वागत किया। गुरुवार को प्रातः काल देवी की पूजा अर्चना करने के बाद देवी की डोली हाट कल्याणी गांव से सीधे जिला मुख्यालय गोपेश्वर को चली गई।

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