कोटद्वार में भाजपा की जीत दोहरा सकते हैं विनोद रावत, कुशल रणनीतिकारों में होती है विनोद रावत की गिनती

Spread the love
हमने दोस्ती निभाई, उन्होंने नौकर समझ लिया, हरक ने वर्षों की दोस्ती को मिनटों में ठुकरा दिया

देहरादून। पिछले 30 वर्षों से भाजपा से जुड़े विनोद रावत कोटद्वार से भाजपा की जीत दोहरा सकते हैं। कांग्रेस उम्मीदवार सुरेंद्र सिंह नेगी को यदि कोई जबरदस्त टक्कर दे सकता है तो वह हैं विनोद रावत।  रावत छात्र जीवन से ही भाजयुमो से जुड़ गये थे और उन्होंने भाजपा को गढ़वाल में स्थापित करने में अहम भूूमिका अदा की। वह 1989 में भाजपा के लोकसभा उम्मीदवार मनोहर कांत ध्यानी से लेकर जनरल बीसी खंडूड़ी के चुनाव में सक्रियता के साथ जुड़े रहे। भाजयुमो पौड़ी के जिलाध्यक्ष के तौर पर विनोद रावत ने उस दौर में भाजप को पहाड़ में स्थापित किया जब भाजपा का वहां कोई अस्तित्व नहीं था।

विनोद रावत ने लैंसडाउन से भाजपा उम्मीदवार बलवीर सिंह नेगी के चुनाव में भी समर्थन जुटाने की हरसंभव कोशिश की। 1991 के लोकसभा चुनावो में भी जनरल खंडूड़ी के साथ लैंसडाउन, कर्णप्रयाग व पौड़ी विधान सभाओं के भ्रमण में लगातार सिर्फ वह और दयानंद चंदोला ही जुटे रहे।

विनोद रावत को पीड़ा है कि जिस दोस्त यानी हरक सिंह की खातिर उन्होंने पहले भाजपा छोड़ी और फिर किसी अन्य की ओर नहीं देखा तो उस दोस्त ने उन्हें नौकर समझ लिया। ऐसे में उनके पास मित्र का साथ छोड़ने के अलावा कोई चारा नहीं था। विनोद रावत ने हरक सिंह रावत का तब भी साथ दिया जब वे जैनी प्रकरण में फंस गये थे। हरक सिंह रावत को हर चुनाव जिताने में उनकी अहम भूमिका रही।

विनोद रावत एक कुशल रणनीतिकार हैं और किसी भी चुनाव की बाजी पलटने में सक्षम हैं। यदि भाजपा उन्हें कोटद्वार से टिकट देती है तो वह पार्टी की जीत को यहां से दोहरा सकते हैं।

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

error: Content is protected !!