शेयर बाज़ार में घोटाला हुआ क्या ?
By- Milind Khandekar
बाजार को जो पता होता है वो हमें पता नहीं होता है. 12 मई को हिसाब किताब में लिखा था कि शेयर बाज़ार नर्वस है. हफ़्ते भर में दस लाख करोड़ रुपए का नुक़सान हो चुका था. बाज़ार को लग रहा था कि बीजेपी की 300 से कम सीटें आ सकती है. महीने भर बाद बाज़ार का अनुमान सही साबित हुआ. बीजेपी को बहुमत से भी कम 240 सीट मिलीं. इस उथल-पुथल के बीच कांग्रेस सांसद राहुल गांधी ने शेयर बाज़ार में 30 लाख करोड़ रुपये के घोटाले का आरोप लगाया है. हिसाब किताब में चर्चा घोटाले के आरोप के बारे में.
कांग्रेस सांसद राहुल गांधी ने प्रेस कॉन्फ़्रेंस में कहा कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ,गृह मंत्री अमित शाह और वित्त मंत्री ने अलग-अलग इंटरव्यू में कहा कि चार जून से शेयर बाज़ार में रिकॉर्ड तेज़ी आएगी. एक जून को Exit Polls ने बीजेपी को भारी बहुमत का अनुमान लगाया था. तीन जून को बाज़ार में तेज़ी रही और चार जून को बीजेपी को बहुमत नहीं मिलने के कारण बाज़ार में भारी गिरावट. उस दिन निवेशकों के 30 लाख करोड़ रुपए डूब गए. राहुल गांधी का आरोप है कि बीजेपी नेताओं को पहले से पता था कि बहुमत नहीं आ रहा है. फिर भी उन्होंने पाँच करोड़ निवेशकों को पैसे लगाने की सलाह दी. इसमें Exit Poll करने वालों की मिलीभगत थी.
तो सवाल है कि क्या बाज़ार में कोई घोटाला हुआ? इसका जवाब जाँच से ही मिल सकता है. चुनाव नतीजों के दिन तो निवेशकों का नुक़सान हुआ लेकिन हफ़्ते भर का आँकड़ा देखेंगे तो सेंसेक्स और निफ़्टी दोनों तीन प्रतिशत फ़ायदे में है. मोटे तौर पर जिसने सोमवार को शेयर ख़रीदे थे वो नुक़सान में नहीं है कम से कम इंडेक्स का ट्रेंड देखेंगे तो यही लगता है.
प्रधानमंत्री, गृह मंत्री और वित्त मंत्री ने निवेशकों को गुमराह किया क्या? महीने भर पहले जिसने सलाह मान कर शेयर ख़रीदे वो आज 6% के फ़ायदे में है. फ़ायदा नुक़सान छोड़कर क़ानून की बात करेंगे तो SEBI के नियम है. निवेश की सलाह वही लोग दे सकते हैं जो SEBI से रजिस्ट्रेशन कर चुके हैं. इसका अपवाद भी है. नियम कहते हैं कि आप फ़ाइनेंशियल और इकनॉमिक ट्रेंड पर शेयर का नाम लिए बिना टिप्पणी कर सकते हैं. तो प्रधानमंत्री और गृहमंत्री की टिप्पणी इस श्रेणी में आ सकती है. क़ानून की नज़र में यह भले ही सही हो यह सवाल बना रहेगा कि क्या किसी भी नेता को ऐसी टिप्पणी करना चाहिए?
कांग्रेस ने इसको लेकर संयुक्त संसदीय समिति यानी JPC की नियुक्ति की माँग कर दी है. संभावना है कि संसद में इसको लेकर हंगामा भी हो. कामकाज ठप हो जाए. बाज़ार पर इसका क्या असर पड़ेगा अभी कहना मुश्किल है. वही बात फिर लिख रहा हूँ जो पहले लिखी है. चुनाव नतीजों की चिंता छोड़कर लाँग टर्म सोचेंगे तो कोई नुक़सान नहीं दिखता है. यही बात शेयर बाज़ार के जानकार कहते आएँ हैं.
वैधानिक चेतावनी : यह लेख सिर्फ़ जानकारी देने के उद्देश्य से लिखा गया है.इसके आधार पर निवेश का फ़ैसला नहीं करें. शेयर बाज़ार में निवेश के लिए SEBI से मान्यता प्राप्त सलाहकारों से बात करना चाहिए. ( With thanks from Hisab Kitab)