ब्लॉग

रेत पर नाम लिखने से क्या फायदा, एक आई लहर कुछ बचेगा नहीं….

 

तीर्थंकर महावीर यूनिवर्सिटी के अखिल भारतीय कवि सम्मेलन में बही देर रात तक श्रृंगार, हास्य, वीर और व्यंग्य की बयार

—-uttarakhandhimalaya.in ——-

प्रेम गीतों के राजकुमार डॉ. विष्णु सक्सेना तीर्थंकर महावीर यूनिवर्सिटी के अखिल भारतीय कवि सम्मेलन में भले ही देर रात अंत में आए, लेकिन उन्होंने खचाखच भरे पंडाल में हजारों स्टुडेंट्स और मेहमानों का दिल जीत लिया। श्रोता झूमने को विवश हो गए। तालियों की गड़गड़ाहट के बीच पंडाल गुंजायमान हो गया। बार-बार सीटियां बजाकर डॉ. सक्सेना की हौसलाफजाई होती रही। स्टुडेंट्स में उन्हें ऑडियो एंड वीडियों में कैद करने की होड लगी रही। वन्स मोर, वन्स मोर का बार-बार शोर होता रहा। डॉ. सक्सेना ने अपने मुक्तकों- तू हवा है तो कर ले अपने हवाले मुझको…, दिले बीमार हो तो दवाएं देदे.., प्यास बुझ जाए तो शबनम खरीद सकता हूं….,सोचता था कि तुम गिरकर संभल जाओगे…, तू जो ख़्वाबों में भी आ जाए तो मेला कर दे…. सुनाए तो सभी श्रोता बार-बार झूमते रहे। डॉ. सक्सेना के चर्चित प्रेम गीत- हमें कुछ पता नहीं हैं, हम क्यों बहक रहे है… रातें सुलग रही हैं दिन भी दहक रहे हैं… पर श्रोताओं ने तालियों की गड़गड़ाहट के बीच मुहब्बत जिन्दाबाद का नारा पंडाल में बार-बार गूंजता रहा। चांदनी रात में रंग ले हाथ में जिंदगी को नया मोड़ दें… तुम हमारी कसम तोड़ दो, हम तुम्हारी कसम तोड़ दें गीत सुनाया तो सभी श्रोताओं ने तालियों, सीटियों और मुहब्बत जिन्दाबाद के साथ डॉ. सक्सेना के साथ- साथ झूमने लगे। श्रोताओं की बेहद डिमांड को देखते हुए उन्होंने एक और चर्चित गीत- रेत पर नाम लिखने से क्या फायदा, एक आई लहर कुछ बचेगा नहीं…., तुमने पत्थर सा दिल हमको कह तो दिया, पत्थरों पर लिखोगे मिटेगा नहीं… गाया तो पूरे पंडाल में श्रोताओं ने स्टैंडिंग ऑवेशन दिया।

अखिल भारतीय कवि सम्मेलन-2023 का शंखनाद मां सरस्वती की स्तुति के बीच मुख्य अतिथि एमएलसी डॉ. जयपाल सिंह व्यस्त, कुलाधिपति श्री सुरेश जैन, जीवीसी श्री मनीष जैन, श्री अनिल जैन ने दीप प्रज्ज्वलित करके किया। इस मौके पर कवि- डॉ. विष्णु सक्सेना, श्री सर्वेश अस्थाना, श्री हेमंत पाण्डेय, श्री अमन अक्षर, श्री अर्जुन सिसौदिया, श्रीमती श्वेता सिंह की भी गरिमामयी मौजूदगी रही। संचालन हास्य के कवि श्री सर्वेश अस्थाना ने संभाला। मुख्य अतिथि एमएलसी डॉ. जयपाल सिंह व्यस्त ने कहा, मुरादाबाद साहित्य की सांस्कृतिक नगरी है। साहित्य का यहां से गहरा नाता है। कुलाधिपति श्री सुरेश जैन ने हाउ द जोश कहकर पंडाल में मौजूद हजारों युवाओं का उत्साहवर्धन किया। कवि अस्थाना ने माहौल को और रंग देते हुए चुटकी ली, कल योगी आए थे, आज वियोगी आए हैं। पंडाल योगी-योगी से गूंज उठा। कवियों का मल्यापर्ण कर और अतिथियों को बुके देकर गर्मजोशी से स्वागत किया गया। उन्होंने कहा, आठ साल पहले टीएमयू आया था, इससे अच्छे श्रोता कहीं नहीं देखे। टीएमयू देश की श्रेष्ठ यूनिवर्सिटीज़ मे से एक है, जहां के कुलाधिपति श्री सुरेश जैन फ्रैंडली हैं। उन्होंने युवाओं में जोश भरते हुए कहा, जंजीरों की झंकारों में जंगे आजादी पलती है, उस ओर जमना चलता है जिस ओर जवानी चलती है। उन्होंने कवि सम्मेलन को आनन्द का उत्सव बताया। सम्मेलन की शुरूआत मां सरस्वती की वंदना से कवियत्री श्वेता सिंह ने कुछ इस तरह से की- दे आशीष कर उपकार शारदे, तेरी बेटी खड़ी है तेरे द्वार शारदे। कवि सम्मेलन के अंत में सभी कवियों को मुख्य अतिथि डॉ. जयपाल सिंह व्यस्त, जीवीसी श्री मनीष जैन और श्री अनिल जैन ने स्मृति चिन्ह देकर सम्मानित किया गया।

इंदौर से आए प्रेम के कवि अमन अक्षर को युवा दिलों पर दस्तक देने के लिए सबसे पहले आमंत्रित किया गया। कवि अक्षर बोले- आग पर हाथ धरना पड़ेगा तुम्हें… खुद को लाचार करना पड़ेगा तुम्हें, जिंदगी तो कहेगी मुहब्बत तो कर, फिर मुहब्बत में मरना पड़ेगा तुम्हें। खचाखच भरे पंडाल में युवाओं को अपने को जोड़ते हुए कहा- हमने जितने बरस बिताएं हैं, सब तेरी याद के साए हैं। अपने सपनों का घर जलाया है, पर तेरे ख़त नहीं जलाए हैं। कवि सम्मेलन के दूसरे चरण में अमन अक्षर ने अपना चर्चित राम गीत- जग है सारा प्रेरणा प्रभाव केवल राम हैं…. भाव सूचियां बहुत हैं, भाव केवल राम है। सुनाया तो पूरा पंडाल भक्तिमय माहौल में रंगा नज़र आया।

 

हास्य कवि हेमंत पाण्डेय ने सभी श्रोताओं को खूब हंसाया। श्रंृगार कवियत्री श्वेता सिंह की बारी आई तो पूरा पंडाल तालियों की गड़गड़ाहट से गूंज उठा। वीर रस के अर्जुन सिसौदिया ने अपनी रचनाओं से श्रोताओं में नया जोश भर दिया।कवि सम्मेलन में टीएमयू फर्स्ट लेडी श्रीमती बीना जैन, श्रीमती ऋचा जैन, कुलाधिपति की पौत्री सुश्री नंदिनी जैन, वीसी प्रो. रघुवीर सिंह, रजिस्ट्रार डॉ. आदित्य शर्मा, डीन प्रो. मंजुला जैन, निदेशक प्रशासन श्री अभिषेक कपूर, सीसीएसआईटी के निदेशक प्रो. आरके द्विवेदी, सीटीएलडी के निदेशक प्रो. आरएन कृष्णिया, फिजिकल कॉलेज के प्राचार्य प्रो. मनु मिश्रा, निदेशक एचआर श्री मनोज जैन, डॉ. नीलिमा जैन, टिमिट निदेशक प्रो. विपिन जैन, निदेशक छात्र कल्याण प्रो. एमपी सिंह, हॉस्पिटल के निदेशक श्री विपिन जैन, डॉ. सीमा अवस्थी, आदि की भी गरिमामयी मौजूदगी रही।

देखते ही बना छात्र-छात्राओं का उत्साह
तीर्थंकर महावीर विश्वविद्यालय में दीक्षांत समारोह के दूसरे दिन आयोजित कवि-सम्मेलन में सैकड़ों छात्र-छात्राओं का उत्साह पूरी तरह उत्सवधर्मिता के रंग में सराबोर दिखाई दिया। उल्लेखनीय है कि एक दिन पूर्व ही विश्वविद्यालय में सूबे के मुख्यमंत्री, योगी आदित्यनाथ ने छात्र-छात्राओं को डिग्रियों का वितरण किया था। मुख्यमंत्री की मौजूदगी में विद्यार्थियों का उत्साह जिस तरह चरम पर रहा, उसी तरह शनिवार को दूसरे कवि-सम्मेलन में भी बरकरार जारी दिखाई दिया। कवि-सम्मेलन की शुरुआत से पहले ही सारा पंडाल छात्र-छात्राओं की उपस्थिति से भरा नजर आया। छात्र-छात्राओं में कवियों की रचनाओं को सुनने का उत्साह ऐसा रहा कि निर्धारित समय से करीब एक घंटा पहले ही पूरा पंडाल विश्वविद्यालय के छात्र-छात्राओं से भरा नजर आया।

 

मुहब्बत का काम दिलों को जोड़नाः डॉ. विष्णु सक्सेना
प्रेम गीतों के सशक्त हस्ताक्षर डॉ. विष्णु सक्सेना का साफ मानना है कि मुहब्बत का काम दिलों को जोड़ना है। कविता का सृजन लोगों में प्रेम के रंग भरना है। उन्होंने कहा, कवि को निष्पक्ष और निर्विकार होना आवश्यक है। डॉ. सक्सेना ने तीर्थंकर महावीर यूनिवर्सिटी की ओर से आयोजित कवि सम्मेलन से पूर्व कहीं। डॉ. सक्सेना बोले, जब पतन होता है तो सभी क्षेत्रों में होता है। सोशल मीडिया पर बोले, समय के साथ हमें भी बदलना होता है। सोशल मीडिया के कवि क्षणिक होते हैं। यह एक आभासी दुनिया है। वास्तविक अनुभव मंचों पर ही मिलता है। युवाओं को अपने संदेश में उन्होंने कहा, पहले नौजवान खूब पढ़ाई करें। नई पीढ़ी पढ़ना नहीं चाहती हैं। वह सफलता के लिए शॉर्टकट अपनाती है, लेकिन सफलता का कोई शॉर्टकट नहीं है। कवि बनने के लिए जल्दबाजी न करें। अपने कल्चर को न भूलें। कभी भी किसी का दिल न दुखाएं।

व्यंग्य विधा डायग्नोसिस की मानिंद: सर्वेश अस्थाना

हास्य और व्यंग्य के जाने-माने कवि श्री सर्वेश अस्थाना कहते हैं, व्यंग्य समाज के लिए डायग्नोसिस की मानिंद है। व्यंग्य समाज में व्याप्त किसी कुरीति, भ्रष्टाचार आदि पर होता है। विदेश में हिन्दी कवि सम्मेलनों पर बोले, भारतीयों में हमारे लिए आकर्षण होता है। जो हमारे लिए भी गर्व की बात है। हास्य व्यंग्य में भाव की प्रमुखता होती है। कवि माहौल को देखकर काव्य पाठ करता है। आज का युवा बहुत जल्दबाजी में है। उसमें धैर्य की कमी है। अतः युवाओं को सुखी जीवन जीने के लिए कदम-दर-कदम संभल कर चलना होगा, तभी आगे आने वाली पीढ़ी अच्छी रचनाकर बन सकेगी। टीएमयू के कवि सम्मेलन में अस्थाना बोले, भाव दिल के करीब होते हैं। भाव किस विधा में निकलकर आते हैं, यह निश्चित नहीं है। सभी विधाएं मेरे दिल के करीब हैं, लेकिन मेरी पहचान हास्य और व्यंग्य है।

——————————————————————————————————————————————————————–

नवगीत विधा अपने आप में एक आन्दोलन: अमन अक्षर
युवा दिलों की धड़कन, प्रेम गीतों के धनी कवि अमन अक्षर का कहना है, नवगीत विधा अपने आप में एक आन्दोलन है। पारंपारिक गीतों में जो छूट गया था, नवगीत ने उसे पूरा किया है। कुछ बड़े रचानकारों ने इस आन्दोलन को विस्तार दिया है। इससे छंदबद्ध कविता का और अधिक विकास हुआ है। तीर्थंकर महावीर यूनिवर्सिटी के कवि सम्मेलन में पधारे अमन अक्षर ने कहा, समय के साथ श्रृंगार विधा का स्वरूप बदला है। ये बदलाव कलाकारों के माध्यमों से आए हैं, लेकिन कविता का भाव वही है, सिर्फ शब्दावली बदलती रही है। पहले किताबें थीं, तो अब सोशल मीडिया इसका बड़ा प्लेटफार्म बना है। भाव समाज के परिस्थिति के अनुरूप बदलते रहते हैं।

 

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

error: Content is protected !!