सुप्रीम कोर्ट: छोटे टेट्रा पैक में बिकने वाली व्हिस्की बेहद खतरनाक
नई दिल्ली: दो प्रमुख व्हिस्की उत्पादकों के बीच ट्रेडमार्क विवाद के दौरान यह खुलासा हुआ कि उनकी बिक्री का बड़ा हिस्सा दक्षिण-पश्चिम भारत में छोटे टेट्रा पैक के माध्यम से होता है। इस पर सोमवार को सुप्रीम कोर्ट की खंडपीठ ने हैरानी जताई और पूछा कि राज्य सरकारें शराब की ऐसी पैकेजिंग की अनुमति क्यों दे रही हैं।
सीजेआई नामित न्यायमूर्ति सूर्यकांत और न्यायमूर्ति जॉयमाल्या बागची की खंडपीठ ने चिंता व्यक्त करते हुए कहा, “यह बहुत खतरनाक है। यह एक जूस के टेट्रा पैक जैसा दिखता है। कल्पना कीजिए अगर यह बच्चों के हाथ लग जाए! माता-पिता और शिक्षक कभी संदेह भी नहीं करेंगे कि इन टेट्रा पैक में नशीला पदार्थ है।”
मामला एलाइड ब्लेंडर्स से संबंधित था, जो ‘ऑफिसर’स च्वाइेस’ का निर्माण करती है, और जॉन डिस्टिलर्स से, जो ‘ओरिजिनल च्वाइेस’ ब्रांड नाम से अपनी व्हिस्की बेचती है। जॉन डिस्टिलर्स की ओर से वरिष्ठ अधिवक्ता मुकुल रोहतगी ने बताया कि दोनों कंपनियों का कारोबार 30,000 करोड़ रुपये से अधिक का है, और केवल कर्नाटक में ही उनकी 65% बिक्री टेट्रा पैक के माध्यम से होती है।
दोनों कंपनियों ने इंटेलेक्चुअल प्रॉपर्टी अपीलेट बोर्ड (IPAB) में एक-दूसरे के ट्रेडमार्क में संशोधन की मांग करते हुए याचिकाएँ दायर की थीं। IPAB ने दोनों याचिकाएँ यह कहते हुए खारिज कर दी थीं कि उनके ट्रेडमार्क इतने समान नहीं हैं कि उपभोक्ताओं में भ्रम पैदा हो।
7 नवंबर को मद्रास हाई कोर्ट की एक बेंच ने ‘ओरिजिनल च्वाइेस’ के ट्रेडमार्क में संशोधन का आदेश दिया, क्योंकि वह ‘ऑफिसर’स च्वाइेस’ से मिलता-जुलता था। इस आदेश को सुप्रीम कोर्ट में चुनौती दी गई, जहाँ अदालत के सामने विभिन्न आकार और पैकिंग वाली शराब की बोतलें प्रस्तुत की गईं।
दोनों पक्षों ने मध्यस्थता के जरिए समझौते का प्रयास करने पर सहमति जताई, जिसके लिए सुप्रीम कोर्ट के सेवानिवृत्त न्यायाधीश एल. नागेश्वर राव को मध्यस्थ नियुक्त किया गया, ताकि एक सौहार्दपूर्ण समाधान निकाला जा सके।
