कौन जीतेगा बद्रीनाथ का रण ? मुद्दा-ए- बहस पकड़ गया जोर
-गौचर से दिग्पाल गुसांईं-
उप चुनाव भले ही बद्रीनाथ विधानसभा सीट पर हो रहा हो लेकिन इसकी गूंज गौचर में भी सुनाई दे रही है। कौन जीतेगा कौन हारेगा इसका गुणा-भाग यहां भी लगाए जाने लगा है।
दरअसल बद्रीनाथ विधानसभा सीट के गंगनाली क्षेत्र के दर्शनों गांवों के लोगों का रोजमर्रा सामान खरीदने का मुख्य बाजार गौचर ही है। स्वास्थ्य लाभ के लिए भी रानौ, बमोथ, क्वीठी, कांडा, तोली गैलुंग, सूगी, करछुना, कुमेड़ा आदि गांवों के लोग गौचर ही आते हैं। इन गांवों व गौचर क्षेत्र का विभाजन अलकनंदा नदी करती है।
भाजपा हो या कांग्रेस दोनों ही दलों ने गौचर के कार्यकर्ताओं को इन गांवों में प्रचार का जिम्मा सौंपा है। इन दोनों दलों के शीर्ष नेता भी गौचर पहुंचकर रानौ पुल पारकर अपने प्रचार की शुरुआत कर रहे हैं। यह पहला मौका है जब इन दोनों राष्ट्रीय दलों ने बद्रीनाथ विधानसभा उप चुनाव को करो या मरो की तर्ज पर प्रतिष्ठा का प्रश्न बना दिया है।
भाजपा ने लोकसभा चुनाव के दौरान कांग्रेस छोड़कर भाजपा में सामिल हुए राजेन्द्र भंडारी को ही प्रत्याशी बनाया है तो कांग्रेस ने भी पूर्व जिला पंचायत अध्यक्ष लखपत बुटोला पर दांव लगाया है।
भाजपा प्रत्याशी के चुनाव प्रचार में भाजपा प्रदेश अध्यक्ष महेन्द्र भट्ट, स्वास्थ्य मंत्री धन सिंह रावत,कबीना रेखा आर्य, भाजपा प्रवक्ता विनोद सुयाल, प्रदेश प्ररभारी दुष्यंत कुमार गौतम के अलावा भी कई विधायकों व कार्यकर्ता गांव-गांव की खाक छानने में जुटे हुए हैं।आठ जुलाई को मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी का पोखरी में आने का कार्यक्रम निर्धारित हुआ है।
इसी प्रकार कांग्रेस ने भी अपने प्रत्याशी की जीत के लिए ऐड़ी चोटी का जोर लगा दिया है। कांग्रेस के लोकसभा प्रत्याशी रहे गणेश गोदियाल, पूर्व मुख्यमंत्री हरीश रावत,नेता प्रतिपक्ष यशपाल आर्य, केदारनाथ के पूर्व विधायक मनोज रावत, कफकोट के पूर्व विधायक ललित फरस्वाण, पूर्व सांसद प्रदीप टम्टा, जिला अध्यक्ष मुकेश नेगी, प्रदेश अध्यक्ष करन माहरा के अलावा तमाम छोटे-बड़े कार्यकर्ता गांवों की पगडंडी नापकर जनता को विकास के लिए कांग्रेस प्रत्याशी लखपत बुटोला को जिताने का आग्रह कर रहे हैं।
इस सबके इतर निर्दलीय प्रत्याशी नवल खाली ने भी दोनों दलों के प्रत्याशियों को घर घर जाने को मजबूर कर दिया है। राजनीति के जानकारों का कहना है जैसे जैसे मतदान की तिथि नजदीक आ रहा है मुकाबला त्रिकोणीय नजर आने लगा है। इन प्रत्याशियों का ऊंट किस करवट बैठता है यह तो 13 जुलाई को मतगणना के बाद ही पता चलेगा।