भाजपा की तरह कांग्रेस के बूढ़े रिटायर क्यों नहीं होते ?
-जयसिंह रावत
सूत न कपास और जुलाहों में लट्ठम लट्ठा वाली कहावत एक बार फिर कांग्रेसियों ने हरियाणा में दुहरा कर अपनी जीत की संभावनाओं पर खुद ही पानी फेर दिया। लगभग ऐसा ही नवम्बर 2023 में हुये राजस्थान, मध्य प्रदेश और छत्तीसगढ़ विधानसभाओं के चुनाव में भी हुआ था। हरियाणा की ही तरह उन राज्यों के मठाधीशों के भरोसे रही कांग्रेस अति आत्मविश्वास के चलते चुनाव हार गयी। गत लोकसभा चुनाव नतीजों के बाद लग रहा था कि मरणासन्न पड़ी कांग्रेस भाजपा जैसे अति शक्तिशाली प्रतिद्वन्दी से लड़ने के लिये खड़ी होने जा रही है लेकिन हरियाणा चुनाव ने कांग्रेसियों की सफलता की उड़ान को झटका दे दिया। राष्ट्रीय स्तर पर भाजपा का असली मुकाबला कांग्रेस ही कर सकती है लेकिन कांग्रेसी गुटबाजी और गलतफहमियों के चलते खुद ही अपी संभावनाओं पर पलीता लगा रहे हैं। लोकसभा चुनाव में चुनाव सर्वेक्षकों के ओपीनियन और एग्जिट पोलों ने जिस तरह भाजपा को गफलत में रखा उसी तरह चुनावी भविष्यवाणियों की गफलत ने इस बार हरियाणा में कांग्रेस की नैया डुबो दी। कांग्रेस के मठाधीश जो कांग्रेस की संभावनाओं को दांव पर लगा कर अपनी सन्तानों के भविष्य को संवारना चाहते हैं, उन्हें रिटायर कर देना चाहिये ताकि देशवासियों को राष्ट्रीय स्तर पर एक विश्वसनीय विकल्प मिल सके।