Zee और सोनी की डील क्यों टूटी ?
सुभाष चंद्रा ने टेलीविजन की ताक़त भारत में बहुत पहले समझी थी. उन्होंने 30 साल पहले देश का पहला प्राइवेट चैनल Zee टीवी शुरू किया था.वो देश के मीडिया मुग़ल कहे जाने लगें. समय का पहिया ऐसा घूमा कि अब उनके परिवार के पास Zee एंटरटेनमेंट में सिर्फ़ 4% शेयर रह गए हैं. अपना अस्तित्व बचाने के लिए Zee एंटरटेनमेंट ने दो साल पहले सोनी टीवी के साथ विलय की घोषणा कर दी. अब सोनी ने यह डील तोड़ दी. हिसाब किताब सोनी और Zee टीवी की डील का.
पाँच साल पहले तक Zee एंटरटेनमेंट में सब कुछ ठीक था. सुभाष चंद्रा परिवार के पास 2018 में क़रीब 42% शेयर थे. 2019 ख़त्म होने तक शेयर 4% रह गए. क़र्ज़ चुकाने के लिए उन्हें अपने शेयर बेचने पड़ें. ये क़र्ज़ उनकी दूसरी कंपनियों ने सड़क बनाने जैसे काम करने के लिए लिया था. क़र्ज़ के बदले Zee के शेयर गिरवी रखे थे. 2019 में सुभाष चंद्रा ने ओपन लेटर लिखा था कि एक एक पाई चुका दूँगा.उन्होंने बैंक, NBFC और म्यूचुअल फ़ंड से क़र्ज़ ना चुकाने के लिए माफ़ी माँगी थी. तब उन्होंने तीन ग़लतियों का ज़िक्र किया था
- इंफ़्रास्ट्रक्चर सेक्टर में निवेश
- वीडियोकॉन से D2H सर्विस ख़रीदना
- भाइयों से बँटवारे के बाद सारा क़र्ज़ अपने सिर पर लेना
2019 में ही सुभाष चंद्रा ने चेयरमैन का पद छोड़ दिया. Zee एंटरटेनमेंट को 2021 में सोनी के साथ विलय करना पड़ा. सुभाष चंद्रा के बेटे और जी एंटरटेनमेंट के CEO पुनीत गोयनका को नई कंपनी का CEO बनना था. सुभाष चंद्रा परिवार के पास इस नई कंपनी में अपने शेयर 4% से बढ़ाकर 20% तक ले जाने का प्रावधान भी था. यही डील वापसी की उम्मीद बनकर उभरी थी.
Zee और सोनी की सालाना आय क़रीब 15 हज़ार करोड़ रुपये है. दोनों के पास 75 चैनल और दो OTT है. टेलीविजन मार्केट में दोनों का मार्केट शेयर 20% के आसपास हैं. दोनों के 13 करोड़ OTT यूज़र्स हैं. यह विलय दो साल में यानी दिसंबर 2023 तक पूरा हो जाना था.यहाँ यह नोट करना महत्वपूर्ण है कि Zee के न्यूज़ चैनल अलग कंपनी में हैं. वो इस डील का हिस्सा नहीं थे.
6 महीने पहले तक सब कुछ ठीक चल रहा था तभी SEBI की जाँच ने डील पर सवाल खड़े कर दिए. शेयर बाज़ार की देखरेख करने वाली संस्था SEBI ने पुनीत और उनके पिता सुभाष चंद्रा पर Zee एंटरटेनमेंट से ₹200 करोड़ निकालने का आरोप लगाया. यह काम बोर्ड की जानकारी के बिना हुआ. ये रक़म ग्रुप की कंपनी को क़र्ज़ दिलाने के लिए निकाली गई थी. SEBI ने पिता पुत्र पर Zee टीवी या आगे चलकर बनने वाली किसी कंपनी में कोई पद लेने से रोक दिया. अपील अथॉरिटी ने बाद में फ़ैसले पर रोक लगा दी. SEBI को जाँच 8 महीने में पूरी करने के लिए कहा, यही जाँच डील टूटने का कारण बन गई.
डील पूरी करने की डेडलाइन दिसंबर में थी. दोनों पक्षों ने डील को महीने भर के लिए आगे बढ़ाया कि कोई रास्ता निकल जाएगा. रास्ता नहीं निकला, सोनी ने डील तोड़ दी.सूत्रों की मानें तो उसे डर था कि पुनीत गोयनका आगे चलकर SEBI की जाँच में दोषी पाए जाते हैं तो नई कंपनी पर संकट के बादल छा जाएंगे. पुनीत को ही नई कंपनी का CEO बनना था. हालाँकि Zee एंटरटेनमेंट ने बयान में कहा है कि पुनीत पीछे हटने के लिए तैयार थे. सुभाष चंद्रा ने वित्त मंत्री निर्मला सीतारमन को पत्र लिखकर आरोप लगाया कि SEBI ने डील में अड़ंगा डाला.
अब सोनी और Zee दोनों एक दूसरे के खिलाफ कोर्ट कचहरी में लग गए हैं. दोनों के रास्ते अलग अलग है. लीनियर टेलीविजन का मार्केट मुश्किल हो गया है. डिज़्नी और रिलायंस भी इसी कारण मर्जर पर बातचीत कर रहे हैं. सोनी और Zee टीवी मिलकर इसका मुक़ाबला कर सकते थे. Zee टीवी की एक मुश्किल यह भी है कि प्रमोटर परिवार सुभाष चंद्रा के पास अब सिर्फ़ चार प्रतिशत शेयर है. यह ख़तरा बना हुआ है कि बाक़ी शेयर होल्डर उन्हें मैनेजमेंट से हटा सकते हैं. यह कोशिश वैसे पहले भी हो चुकी है, नाकाम रही थी.