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UPI बार बार क्यों बैठ रहा है?

By- Milind Khandekar

UPI यानी Unified Payment Interface के बिना ज़िंदगी की कल्पना मुश्किल हो गईं हैं जैसे हमारे साथ हर दम फ़ोन रहता है तो मानकर चलते हैं कि UPI भी चलेगा. इस पर हमारी बढ़ती निर्भरता  का अंदाज़ा इस बात से लगा सकते हैं कि 2019 में हर महीने 100 करोड़ ट्रांजेक्शन होते थे और अब 1800  करोड़. सिस्टम यह लोड नहीं ले पा रहा है, इसलिए पिछले महीने भर में चार बार UPI बैठ गया. हिसाब किताब में चर्चा करेंगे कि ऐसा क्यों हो रहा है?

UPI के बार-बार बैठने का एक कारण इसका फ़्री होना भी है.

यहीं से चर्चा फिर शुरू हुई कि UPI कब तक फ़्री रहेगा?हालांकि केंद्र सरकार ने शुक्रवार को सफ़ाई भी दे दी कि UPI के ₹2000 से ज़्यादा खर्च करने पर GST लगाने का कोई इरादा नहीं है. सरकार ₹2000 से कम सौदों पर सब्सिडी देती है ताकि UPI के रखरखाव के लिए खर्च की भरपाई हो सकेगी.

पहले पैसे ट्रांसफ़र का गणित समझ लेते हैं

अभी आप एक बैंक खाते से तुरंत दूसरे खाते में (IMPS) पैसे भेजते हैं तो उसमें चार्ज देना पड़ता है. यह चार्ज ₹2 से ₹₹15 तक होता है प्लस GST.

क्रेडिट कार्ड का इस्तेमाल करते हैं तो दुकानदार  1% से 3% तक मर्चेंट डिस्काउंट रेट (MDR) पेमेंट कंपनी ( Visa, Master, Rupay) और बैंकों को देता है. MDR के पीछे सोच यह है कि इससे पेमेंट सिस्टम सुचारू रूप से चलाने के लिए इस्तेमाल किया जाएगा. दुकानदार इसी कारण आप से कहता है कि कैश या UPI देने पर छूट दे देंगे.

आप जब UPI का इस्तेमाल करते हैं तो कोई चार्ज नहीं लगता है. पैसे एक बैंक अकाउंट से दूसरे अकाउंट में जाते है. एक या दो पेमेंट एप जैसे Phone Pe, Paytm शामिल होते हैं. रोज़ करोड़ों बार इस्तेमाल होने के बाद भी बैंक या पेमेंट एप को कोई  पैसा नहीं मिलता है क्योंकि UPI पर MDR  नहीं लगता है.

केंद्र सरकार डिजिटल पेमेंट को बढ़ावा देना चाहती है इस कारण UPI को फ़्री रखना चाहती है. दिक़्क़त यह है कि UPI का फ़ायदा ग्राहकों को मिल रहा है लेकिन बोझ बैंकों और पेमेंट कंपनियों पर पड़ रहा है. PWC का अनुमान है कि UPI से जब आप ₹1000 भेज रहे हैं तो इसका खर्च होता है ₹2.50. सरकार इनको सब्सिडी देती है 20 पैसे. वो भी ₹2000 से कम के सौदे पर.

UPI फ़्री नहीं रहने की अटकलें बजट पेश होने के बाद लगने लगीं.  बजट में सरकार ने सब्सिडी के लिए ₹437 करोड़ का प्रावधान रखा है. यह सब्सिडी लगातार घट रही है जबकि सौदे बढ़ रहे हैं

2021-22: ₹1,389 करोड़

2022-23: ₹2,210 करोड़

2023-24: ₹3,631 करोड़

2024-25: ₹2000 करोड़

2025-26: ₹437 करोड़

सब्सिडी कम होने का एक मतलब यह निकाला गया कि सरकार UPI के बड़े सौदे पर चार्ज लगाने की अनुमति दे सकती है. फिर यह ख़बर भी आयी कि जिन दुकानदारों या कंपनियों का टर्न ओवर ₹40 लाख से ज़्यादा होगा उन पर MDR लगाने का विचार किया जा रहा है. सरकार ने अब खंडन किया है कि UPI पर MDR नहीं लगता है इसलिए GST लगाने का सवाल ही पैदा नहीं होता है. फ़िलहाल मानकर चल सकते है कि UPI फ़्री रहेगा.

फिर भी सवाल है कि बैंकों और पेमेंट कंपनियाँ बढ़ते लोड को सँभालने के लिए पैसे कहाँ से लगाएँगे. उनसे उम्मीद की जाती है कि जो ग्राहक UPI का इस्तेमाल करने के लिए App का इस्तेमाल कर रहा है उसे कोई सर्विस या सामान बेचकर पैसे कमा लेंगे. फ़िलहाल दूसरे सोर्स से इतने पैसे बन नहीं रहे हैं और इसका असर कहीं ना कहीं UPI की सर्विस पर पड़ रहा है. आगे चलकर दो विकल्प होंगे या तो UPI पर पैसे लिए जाएँ या सरकार सब्सिडी बढ़ाएँ.

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